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Bihar News: कटिहार में अनोखा क्लासरूम, ट्रेन जैसी रंगीन कक्षाओं ने बच्चों को बनाया पढ़ाई का दीवाना
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कटिहार
Published by: आशुतोष प्रताप सिंह
Updated Tue, 02 Sep 2025 08:52 AM IST
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सार
कटिहार के सुधानी मध्य विद्यालय ने ग्रामीण शिक्षा को मज़ेदार बनाने के लिए कक्षाओं को ट्रेन की बोगियों जैसा रंगीन रूप दिया है। इस रचनात्मक पहल से बच्चों की स्कूल में उपस्थिति बढ़ी है और पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि भी दोगुनी हो गई है।

कटिहार की ‘क्लासरूम' ट्रेन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
कटिहार के सुधानी मध्य विद्यालय ने ग्रामीण शिक्षा को मज़ेदार बनाने के लिए कक्षाओं को ट्रेन की बोगियों जैसा रंगीन रूप दिया है। इस रचनात्मक पहल से बच्चों की स्कूल में उपस्थिति बढ़ी है और पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि भी दोगुनी हो गई है। ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को नया आयाम देने के लिए कटिहार के सुधानी मध्य विद्यालय ने एक अनोखा प्रयोग किया है। यहां कक्षाओं की दीवारों को ट्रेन की बोगियों की तरह रंग-बिरंगे पेंट से सजाया गया है। इस रचनात्मक पहल ने बच्चों के बीच पढ़ाई को मज़ेदार बना दिया है और अब स्कूल जाना उनके लिए एक रोमांचक सफर बन गया है।
पहले जहां किताबों से ऊबकर बच्चे खेतों और घर के कामों में लग जाते थे, वहीं अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि उन्हें अब लगता है जैसे वे किसी चलती ट्रेन की बोगी में बैठकर पढ़ रहे हों। छुट्टी के दिनों में भी वे स्कूल को मिस करने लगे हैं। शिक्षकों के मुताबिक, इस पहल से बच्चों की उपस्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। शिक्षक सपना सिंह और अमित पांडे बताते हैं कि पहले कक्षाएं खाली रहती थीं, लेकिन अब छात्र समय पर पहुंचते हैं और पढ़ाई को मज़ेदार मानते हैं।
पढ़ें: छिंदवाड़ा के बेलगांव में सनसनीखेज वारदात: चोरी के इरादे से घुसे आरोपियों ने की युवक की हत्या, आक्रोश; रोड जाम
स्कूल प्रिंसिपल मोहम्मद अंसार का मानना है कि शिक्षा को खेल और कल्पना से जोड़कर बच्चों में सीखने की ललक पैदा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सुधानी मध्य विद्यालय का यह प्रयोग इस बात का प्रमाण है कि थोड़ी रचनात्मकता से ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। कटिहार का यह "क्लासरूम ट्रेन" मॉडल अब अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है। यह साबित करता है कि यदि पढ़ाई को बच्चों की रुचि और कल्पना से जोड़ा जाए तो शिक्षा बोझ नहीं, बल्कि एक मज़ेदार और रोमांचक सफर बन सकती है।

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पहले जहां किताबों से ऊबकर बच्चे खेतों और घर के कामों में लग जाते थे, वहीं अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। छात्र-छात्राओं का कहना है कि उन्हें अब लगता है जैसे वे किसी चलती ट्रेन की बोगी में बैठकर पढ़ रहे हों। छुट्टी के दिनों में भी वे स्कूल को मिस करने लगे हैं। शिक्षकों के मुताबिक, इस पहल से बच्चों की उपस्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। शिक्षक सपना सिंह और अमित पांडे बताते हैं कि पहले कक्षाएं खाली रहती थीं, लेकिन अब छात्र समय पर पहुंचते हैं और पढ़ाई को मज़ेदार मानते हैं।
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स्कूल प्रिंसिपल मोहम्मद अंसार का मानना है कि शिक्षा को खेल और कल्पना से जोड़कर बच्चों में सीखने की ललक पैदा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सुधानी मध्य विद्यालय का यह प्रयोग इस बात का प्रमाण है कि थोड़ी रचनात्मकता से ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। कटिहार का यह "क्लासरूम ट्रेन" मॉडल अब अन्य स्कूलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है। यह साबित करता है कि यदि पढ़ाई को बच्चों की रुचि और कल्पना से जोड़ा जाए तो शिक्षा बोझ नहीं, बल्कि एक मज़ेदार और रोमांचक सफर बन सकती है।