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Satta Ka Sangram: सारण में NDA विकास के मुद्दे पर मैदान में, कहा- नीतीश ही रहेंगे CM; महागठबंधन ने क्या बताया?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सारण Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी Updated Mon, 13 Oct 2025 05:07 PM IST
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सार

Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार में 6 और 11 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर चुनावी माहौल गर्म है। इसी कड़ी में अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ सोमवार को सारण पहुंचा। सुबह और दोपहर आम जनता तथा युवाओं से चर्चा में उनके मुद्दे जाने गए। अब राजनेताओं से चर्चा में पक्ष-विपक्ष अपनी बात रख रहे हैं।

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सत्ता का संग्राम - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार में सियासी पारा हर दिन चढ़ता ही जा रहा है और इस बीच अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ सारण की धरती पर पहुंच चुका है। गंगा के किनारे बसी इस जमीनी सियासत में जनता की आवाज सबसे बड़ी ताकत है। आज 13 अक्तूबर की शाम को राजनेताओं से जनता के मुद्दे पर सवाल पूछे जा रहे हैं और उनके दावों-वादों को तोला जा रहा है। किसके पक्ष में बह रही है हवा? जनता की उम्मीदें और सवाल क्या हैं? जानिए अमर उजाला के चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ से, जहां हर राय, हर सवाल और हर उम्मीद बन रही है इस चुनावी कहानी का अहम हिस्सा।



इससे पहले सुबह टीम ने सारण के मतदाताओं से खुलकर बातचीत की। चाय की प्याली पर चर्चा के दौरान आम लोगों ने अपनी राय साझा की।

इस चर्चा के दौरान स्थानीय कृष्णा कुमार ने कहा कि अभी तक जनसुराज के अलावा किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है। अब बाकी पार्टियों को चाहिए वो अपने-अपने प्रत्याशियों का जल्द एलान करें। उन्होंने कहा कि यह बिहार की धरती है, यहां चुनाव में जाति के साथ-साथ चुनाव चिन्ह का भी बड़ा प्रभाव होता है। उदाहरण के तौर पर कमल और लालटेन के निशान पर किस प्रत्याशी को उतारा गया है, इसी आधार पर चुनावी रणनीति तय की जाती है।
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'जनता बदलाव चाहती है'
कृष्णा ने बताया कि छपरा में निर्दलीय प्रत्याशियों की पकड़ अन्य जिलों की तुलना में कमजोर रहती है। यहां वोटिंग मुख्य रूप से पार्टी के आधार पर होती है। छपरा के स्थानीय मुद्दों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जनता बदलाव चाहती है, लेकिन फिलहाल जातिगत बंधनों में जकड़ी हुई है। हर जाति के लोग अपनी जाति के उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। अगर जाति से ऊपर उठकर देखा जाए, तभी छपरा का वास्तविक विकास संभव है। यह जयप्रकाश नारायण की धरती है, जिसे विकास की सख्त जरूरत है, लेकिन फिलहाल विकास पर ‘अवकाश’ लग गया है।
 

पुलिस हमें अपराधी की नजर से...
वहीं, पंकज नामक एक अन्य मतदाता ने कहा कि विधानसभा चुनाव में जनता चाहती है कि चोरी की सरकार न बने, अपराध पर लगाम लगे और कानून व्यवस्था मजबूत हो। उन्होंने कहा कि 2020 में लोगों ने भाजपा के सीएन गुप्ता को इसी उम्मीद में वोट दिया था कि अपराध रुकेगा। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि अगर किसी की बाइक चोरी हो जाए और वह थाने में शिकायत करने जाए, तो पुलिस उसे ही अपराधी की नजर से देखने लगती है।


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'मुफ्त की रेवड़ियां नहीं चाहिए'
चर्चा में शामिल एक अन्य युवक ने कहा कि इस बार हम बदलाव करेंगे। हमें मुफ्त की रेवड़ियां नहीं चाहिए, हमें रोजगार चाहिए। हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो, इसके लिए विकास और नौकरी सबसे बड़ी जरूरत है। छपरा में आज तक विकास नाम की कोई चीज नहीं हुई, नेता केवल वादे करते रहे हैं, काम के नाम पर कुछ नहीं हुआ।

अमर उजाला की टीम ने दोपहर में युवाओं से मिलकर चुनावी मुद्दों और वोटिंग रुझानों को समझा है।

'सारण की भूमि से जुड़े होने पर हम सभी को गर्व'
युवाओं ने बिहार की मौजूदा स्थिति पर अपनी बेबाक राय रखी। इस दौरान एक युवक ने कहा कि सारण की भूमि से जुड़े होने पर हम सभी को गर्व है, क्योंकि यह लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की धरती है। यहां की मिट्टी की गूंज देश ही नहीं, विदेशों तक है। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की चर्चा यहां के हर बच्चे को पता है। आज भी प्रदेश में जो कुछ विकास हुआ है, वह उनके नाम और आंदोलन की विरासत की वजह से है।

उन्होंने आगे कहा कि युवाओं में राजनीति की अलख सबसे पहले जयप्रकाश जी ने जगाई थी। वे आज भी बिहार के युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिहार की राजनीति में युवाओं की भागीदारी कुछ हद तक बढ़ी जरूर है, लेकिन अभी यह बदलाव पर्याप्त नहीं है। वर्तमान समय में राज्य के सामने सबसे बड़ा मुद्दा पलायन का है। इस पर नेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

पलायन, बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था की खामियां
वहीं, युवा अमित यादव ने कहा कि आज बिहार के युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्याएं पलायन, बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था की खामियां हैं। उन्होंने कहा कि रोजगार के मुद्दे पर राजनीतिक दल गंभीर नहीं हैं। राज्य में रोजगार के अवसर लगभग खत्म हो चुके हैं, जिस कारण अधिकांश युवा दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। अमित ने माना कि सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं के भविष्य के लिए कोई ठोस पहल नहीं की है।

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'तेजस्वी यादव से है उम्मीद'
वहीं एक तीसरे युवक ने कहा कि इस बार प्रदेश में बदलाव की जरूरत है और युवाओं की उम्मीदें तेजस्वी यादव से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी भी एक युवा नेता हैं, जो युवाओं का दर्द बेहतर समझ सकते हैं। उन्होंने चुनाव में नौकरी देने की घोषणा की है और सिंचाई, दवाई तथा रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर खुलकर बात की है। युवक ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 20 साल की सरकार में युवाओं के हाथ में रोजगार नहीं आया। हम तैयारी तो करते हैं, लेकिन परिणाम शून्य मिलता है।

इसी क्रम में शाम को छपरा रेलवे स्टेशन पर राजनेताओं से चर्चा की गई, जिसमें राजग और महागठबंधन के नेताओं तथा समर्थकों ने अपनी राय रखी। 

बिहार समेत देश भर में विकास हुआ है- NDA समर्थक
छपरा के स्थानीय युवा मनीष मिश्रा का कहना है कि चुनाव में मुद्दा वही है जो हमेशा रहता है विकास। उनके अनुसार, छपरा, बिहार और पूरे देश में विकास हुआ है। एनडीए सरकार ने काम किया है। अब पटना पहुंचने में सिर्फ एक से डेढ़ घंटे लगते हैं, जबकि पहले चार घंटे लगते थे। यह सब नीतीश कुमार की वजह से संभव हुआ है। मनीष आगे कहते हैं कि जहां तक ट्रैफिक जाम की बात है, तो शाम के समय हर शहर में थोड़ी बहुत भीड़ रहती ही है। इस वजह से थोड़ी देर हो जाती है।

उन्होंने सरकार की योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि अब अगर कहीं कोई घटना होती है, तो 112 पर कॉल करते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच जाती है। लोगों के घर-घर तक नल-जल योजना के तहत पानी पहुंच रहा है। अब गैस सिलेंडर के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ती। सिलेंडर सीधे घर तक पहुंचते हैं और गैस पाइपलाइन भी बिछाई जा रही है।



 

'सीएम नीतीश ही रहेंगे'
एक अन्य NDA समर्थक ने कहा कि विकास तो हुआ है। पहले छपरा एक देहात की तरह लगता था, अब शहर की जैसा लग रहा है। छपरा में हर तरह का विकास हुआ है। इसका फायदा एनडीए के उम्मीदवार को मिलेगा। पूर्व के विस चुनाव में जो माहौल था, वही माहौल 2025 में भी है। यहां से दस सीटें एनडीए जीतेगी। मुख्यमंत्री तो नीतीश ही रहेंगे।

जब पहली बार एनडीए की सरकार बनी थी, तब भी नीतीश की सीटें कम थीं, फिर भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था। और अब भी उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। जब भाजपा ने सीएम को चेहरा बना दिया है, तो वही सीएम रहेंगे। भाजपा बदलने वाली पार्टी नहीं है। यदि नीतीश बाबू केंद्र में जाना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है।

यहां जलभराव बड़ी समस्या थी- शशि भूषण
वहीं, स्थानीय निवासी शशि भूषण ने आगे कहा कि अभी यहां के सदर अस्पताल में मरीजों को ठीक से नहीं देखा जाता है। हालत बहुत खराब है। गंभीर मरीजों को 10 मिनट के भीतर ही पटना रेफर कर दिया जाता है। छपरा के लोग स्नातक की पढ़ाई के लिए अन्य जगहों पर प्रवेश ले रहे हैं, क्योंकि यहां कोर्स पूरा नहीं हो पाता। लोगों ने यह भी मांग की है कि छपरा रेलवे स्टेशन पर अधिक ट्रेनों के ठहराव की व्यवस्था की जाए।

सुरेश राय (आरजेडी समर्थक) ने कहा कि इस बार स्थिति बहुत खराब है। हमारे सांसद 15 साल से हैं, लेकिन ज़मीन पर ज्यादा बदलाव नहीं दिखता। अगर थोड़ा भी पानी गिर जाए तो हालत बिगड़ जाती है। उन्होंने कहा, कि विकास का मतलब सिर्फ सड़क और पुल बनाना नहीं है। असली विकास शिक्षा है। उनके अनुसार, ग्रामीण इलाकों के बहुत से बच्चे जब जेपी यूनिवर्सिटी में स्नातक करने आते हैं, तो कोर्स पूरा करने में पांच से छह साल लग जाते हैं।

'20 साल में बहुत विकास हुआ'
कुसुम देवी (जेडीयू समर्थक) ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में काफी विकास हुआ है। पहले चरवाहा स्कूल हुआ करते थे, लेकिन अब महिलाएं पढ़ा रही हैं और बच्चे पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों के बच्चे अब इंजीनियर बन रहे हैं। जो मन लगाकर पढ़ते हैं, उन्हें नौकरी भी मिल रही है।
 

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