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Mystery Temple: क्या है सबरीमाला मंदिर का रहस्य? दर्शन से पहले 41 दिन तक करना होता है ब्रह्मचर्य का पालन

फीचर डेस्क, अमर उजाला Published by: धर्मेंद्र सिंह Updated Wed, 19 Nov 2025 03:51 PM IST
सार

Mystery of Indian Famous SabrimalaTemple in Hindi: भगवान अयप्पा भगवान शिव और भगवान विष्णु (मोहिनी रूप) के पुत्र हैं। हिंदू धर्म में विशेष रूप से दक्षिण भारत में पूजा होती है। भगवान शिव और भगवान विष्णु से उत्पन्न होने के कारण भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र भी कहा जाता है।

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41 days of celibacy and satvik food before darshan secret of Sabarimala ayyappa temple
क्या है सबरीमाला मंदिर का रहस्य और कौन हैं स्वामी अयप्पा? - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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Mystery of Indian Famous SabrimalaTemple in Hindi: भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। देश में कई चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर हैं। यह भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला के लिए भी जाने जाते हैं। एक ऐसा ही मंदिर है, जिसके अंदर कई रहस्य छिपे हैं। इस मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य और सात्विक भोजन का पालन करना होता है। यह मंदिर भारत के केरल राज्य में स्थित है, जिसका नाम सबरीमाला मंदिर है। यह मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है। देशभर के लोगों की इस मंदिर में आस्था है। 

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कौन हैं भगवान अयप्पा? 

भगवान अयप्पा भगवान शिव और भगवान विष्णु (मोहिनी रूप) के पुत्र हैं। हिंदू धर्म में विशेष रूप से दक्षिण भारत में पूजा होती है। भगवान शिव और भगवान विष्णु से उत्पन्न होने के कारण भगवान अयप्पा को हरिहरपुत्र भी कहा जाता है। भगवान अयप्पा सत्य, धार्मिकता, आत्म-अनुशासन और ब्रह्मचर्य के देवता माने जाते हैं। केरल के सबरीमाला में उनका प्रसिद्ध मंदिर है, जो भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। 
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मान्यता है कि महिषासुर की बहन महिषी का वध करने के लिए अयप्पा स्वामी का जन्म हुआ था। राक्षसी महिषि को वरदान मिला था कि सिर्फ भगवान शिव और श्री विष्णु के पुत्र द्वारा ही उसका वध होगा। ऐसे में धरती को विनाश से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहनी का रूप धारण किया और भगवान शिव को मोहित किया।

पंडालम के राजा ने किया पालन-पोषण 

स्वामी अयप्पा के जन्म के बाद भगवान विष्णु और शिवजी ने उनके गले में स्वर्ण कंठिका पहनाया और उन्हें पंपा नदी के किनारे पर रख दिया। इसके बाद पंडालम के राजा राजशेखर ने इनका पालन पोषण किया। संतानहीन राजा ने पुत्र की तरह स्वामी अयप्पा का पालन-पोषण किया। वर्तमान में पंडालम केरल राज्य का एक शहर है।

कुछ समय बीत जाने के बाद राजा राजशेखर की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया। इसके बाद स्वामी अयप्पा के लिए रानी का व्यवहार बदल गया। स्वामी अयप्पा को राजा बहुत स्नेह करते थे। ऐसे में रानी को डर था कि कहीं राजा अपना राजपाठ उन्हें ही न दे दें। 

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रानी ने मंगाया बाघिन का दूध

एक रानी ने बीमारी का नाटक किया और स्वामी अयप्पा से कहा कि वो सिर्फ बाघिन का दूध पीकर ही ठीक हो सकती हैं। स्वामी अयप्पा अपनी मां के लिए बाघिन का दूध लेने वन में गए। तब वहां महिषी ने उन्हें मारना चाहा, लेकिन स्वामी अयप्पा ने उसका वध कर दिया। इसके बाद वह बाघिन का दूध नहीं लाए, बल्कि सवारी करते हुए बाघिन ही ले आए। लोग उन्हें जीवित और बाघिन की सवारी करते देखकर हैरान हो गए और सभी स्वामी अयप्पा के जयकारे लगाने लगे।

यह देखकर राजा भी समझ गए कि उनका पुत्र कोई साधारण मानव नहीं है। उन्होंने रानी के बर्ताव के लिए स्वामी अयप्पा से क्षमा मांगी। स्वामी अयप्पा ने अपने पिता को परेशान देखकर राज्य छोड़ने का फैसला लिया। जब पिता ने अनुरोध किया, तो उन्होंने पिता से सबरी पहाड़ियों में मंदिर बनवाने के लिए कहा और स्वर्ग चले गए। मंदिर बनवाने की वजह पिता के लिए अपनी यादें छोड़ना थ। राजा राजशेखर ने सबरी में मंदिर का निर्माण कराया और भगवान परशुराम ने अयप्पा की मूर्ति का निर्माण किया। 

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मंदिर का चमत्कार और ज्योति

भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य और सात्विक भोजन का नियम पूरा करना पड़ता है। सबरीमाला मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन इस मंदिर के एक चमत्कार के बारे में बेहद कम लोग जानते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में समय-समय पर एक ज्योति जलती हुई नजर आती है। 

इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। मान्यता है कि प्रकाश के रूप में भगवान अयप्पा इस दिन श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। यह भी बताया जाता है कि जब यह रोशनी दिखती है, तो शोर भी सुनाई देता है। 

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पहाड़ियों से घिरा हुआ है मंदिर 

सबरीमाला मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 18 पावन सीढ़ियों को पार करना पड़ता है। इन सभी के अलग-अलग अर्थ बताए गए हैं। पहली पांच सीढ़ियां मनुष्य की पांच इंद्रियों से जोड़ी जाती हैं। फिर आठ सीढ़ियों को मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। तीन सीढ़ियों को मानवीय गुण और दो सीढ़ियों को ज्ञान और अज्ञान का प्रतीक माना जाता है।

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