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Viral: 30 लाख की सैलरी और 5 कोठियां भी न आईं काम, बीमारी में पत्नी ने अनाथालय में छोड़ा, CA की दर्दभरी दास्तां
फीचर डेस्क, अमर उजाला
Published by: दीक्षा पाठक
Updated Wed, 19 Nov 2025 11:48 AM IST
सार
Viral News: ये पूरी घटना सामने आई है एक वीडियो के जरिए, जिसे एक्स पर @BalkaurDhillon नाम के यूजर ने पोस्ट किया है। वीडियो कैप्शन में लिखा है,“CA हूं, पांच कोठियां हैं, तीस लाख की सैलरी थी, बीमार पड़ा तो पत्नी झूठ बोलकर अनाथ आश्रम छोड़ गई।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : freepik.com
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विस्तार
जिंदगी किस मोड़ पर क्या दिखा दे, कोई नहीं जानता। कभी सब कुछ आपके पास होता है। नाम, पैसा, बड़ा घर, शानदार नौकरी और कभी एक पल में सब हाथ से निकल जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ बहादुरगढ़ के रहने वाले एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ, जिनकी कहानी आज सोशल मीडिया पर लोगों की आंखें नम कर रही है। एक समय था जब वे करीब 30 लाख की सालाना सैलरी पाते थे, पांच-पांच कोठियों के मालिक थे और जिंदगी आराम से गुजर रही थी। लेकिन वक्त ने पलटी खाई और हालात ऐसे बने कि आज वही इंसान व्हीलचेयर पर बैठकर मुस्कुराते हुए कहता है कि पैसा आखिर किस काम का? इंसान ही इंसान के काम आता है।
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सोशल मीडिया पर वायरल हुई यह घटना
ये पूरी घटना सामने आई है एक वीडियो के जरिए, जिसे एक्स पर @BalkaurDhillon नाम के यूजर ने पोस्ट किया है। वीडियो कैप्शन में लिखा है,“CA हूं, पांच कोठियां हैं, तीस लाख की सैलरी थी, बीमार पड़ा तो पत्नी झूठ बोलकर अनाथ आश्रम छोड़ गई। पैसे से कुछ नहीं होता, समाज सेवा ही काम आती है।” चार मिनट सोलह सेकंड का यह वीडियो अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं।
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शख्स ने साझा किया अपना दुख
वीडियो में यह व्यक्ति अपनी कहानी बेहद शांत और दर्द भरे अंदाज में बताता है। वह कहता है कि एक दिन अचानक ब्रेन हेमरेज हुआ और हालत इतनी खराब हो गई कि डॉक्टरों को उसके दिमाग के छह बड़े ऑपरेशन करने पड़े। बीमारी ने उसकी बोलने और समझने की क्षमता तक छीन ली थी। यहां तक कि वह अपने आसपास के लोगों को पहचानने में भी असमर्थ हो गया था। धीरे-धीरे मेमोरी लॉस ने उसकी जिंदगी को और मुश्किल बना दिया।
पत्नी छोड़ गई अनाथ आश्रम
सबसे बड़ा झटका तब लगा जब बीमारी के दौरान उसका परिवार उससे दूर होने लगा। वह बताता है कि उसकी पत्नी उसे अस्पताल ले जाने के बहाने साथ निकली, लेकिन बीच रास्ते में छोड़कर चली गई। उसने कहा कि “मेदांता चल रहे हैं,” मगर उसे अनाथ आश्रम में उतारकर वहां से गायब हो गई। परिवार के कुछ लोग कुछ बार मिलने आए, लेकिन पत्नी ने साफ कह दिया, “मैं अब इसे संभाल नहीं पाऊंगी।” दो बच्चे भी उससे दूर हो गए।
आश्रम के लोग बन गए परिवार
लेकिन ऐसे कठिन वक्त में, जब रिश्तेदारों ने साथ छोड़ दिया, तभी अनाथ आश्रम के लोग उसके लिए परिवार बन गए। वह याद करते हुए कहता है, “जब आया था, तब मुझे कुछ समझ नहीं आता था। न बोल पाता था, न किसी को पहचान पाता था। लेकिन यहां के लोगों ने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा।” उनकी देखभाल से धीरे-धीरे उसकी आवाज वापस आई, याददाश्त भी सुधरी। हालांकि एक हाथ और एक पैर आज भी पैरालाइज्ड हैं, लेकिन वह कहता है कि उसकी मानसिक स्थिति बिल्कुल ठीक है और वह व्हीलचेयर पर आराम से चल-फिर लेता है।