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China: टिड्डियों के कारण चीन में मारे गए थे करोड़ों लोग, वजह जानकर आपके उड़े जाएंगे होश

फीचर डेस्क, अमर उजाला Published by: धर्मेंद्र सिंह Updated Wed, 05 Nov 2025 04:22 PM IST
सार

Millions Died in China Due to Locust Swarms: साल 1958 में चीन की सत्ता संभाल रहे माओ जेडॉन्ग (माओ त्से-तुंग) ने एक अभियान शुरू किया था, जिसे 'फोर पेस्ट कैंपेन' कहा जाता है। इस अभियान के तहत उन्होंने चार जीवों (मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया चिड़िया) को मारने का आदेश दिया था।

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Millions Died in China Due to Locust Swarms History Interesting Facts Explained in Hindi
टिड्डियों के कारण चीन में मारे गए थे करोड़ों लोग - फोटो : Adobe Stock
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Millions Died in China Due to Locust Swarms: टिड्डयां गेंहू, अल्फाल्फा, सोयाबीन और मक्का जैसी फसलों को नुकसा पहुंचाती हैं। अगर इनकी ज्यादा हो जाती है, तो किसी भी फसल, पेड़, झाड़ी और घर के बगीचे को खाकर गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीन में इन टिड्डियों के कारण करोड़ों लोग मारे गए थे? जी हां, यह घटना करीब 65 साल पहले की है। 

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दरअसल, साल 1958 में चीन की सत्ता संभाल रहे माओ जेडॉन्ग (माओ त्से-तुंग) ने एक अभियान शुरू किया था, जिसे 'फोर पेस्ट कैंपेन' कहा जाता है। इस अभियान के तहत उन्होंने चार जीवों (मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया चिड़िया) को मारने का आदेश दिया था। उनका कहना था ये फसलों को तबाह कर देते हैं, जिससे किसानों की मेहनत बेकार चली जाती है। 
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अब ये तो आप जानते ही होंगे कि मच्छर, मक्खी और चूहों को ढूंढ-ढूंढकर मारना मुश्किल काम है, क्योंकि ये आसानी से खुद को कहीं भी छुपा लेते हैं, लेकिन गौरैया तो हमेशा इंसानों के बीच ही रहना पसंद करती है। ऐसे में वो माओ जेडॉन्ग के अभियान के जाल में फंस गई। पूरे चीन में उन्हें ढूंढ-ढूंढकर मारा जाने लगा, उनके घोंसलों को उजाड़ दिया गया। लोगों को जहां कहीं भी गौरैया दिखती, वो तुरंत उसे मार देते। सबसे खास बात कि लोगों को इसके लिए इनाम भी मिलता था। जो इंसान जितनी संख्या में गौरैया मारता, उसे उसी आधार पर पुरस्कार से नवाजा जाता। 

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अब भारी संख्या में गौरैया को मारने का नतीजा ये हुआ कि चीन में कुछ ही महीनों में इनकी संख्या में तेजी से गिरावट आई और उधर उल्टा फसलों के बर्बाद होने में बढ़ोतरी हो गई। हालांकि, इसी बीच 1960 में चीन के एक मशहूर पक्षी विज्ञानी शो-शिन चेंग ने माओ जेडॉन्ग को बताया कि गौरैया तो फसलों को कम ही बर्बाद करती हैं, बल्कि वो अनाज को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े (टिड्डियों) को खा जाती हैं। यह बात माओ जेडॉन्ग की समझ में आ गई, क्योंकि देश में चावल की पैदावार बढ़ने के बजाय लगातार घटती जा रही थी। 

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शो-शिन चेंग की सलाह पर माओ ने गौरैया को मारने का जो आदेश दिया था, उसे तत्काल प्रभाव से रोक दिया और उसकी जगह पर उन्होंने अनाज खाने कीड़े (टिड्डियों) को मारने का आदेश दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। गौरैया के न होने से टिड्डियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई थी, जिसका नतीजा ये हुआ कि सारी फसलें बर्बाद हो गईं। 

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इसके कारण चीन में एक भयानक अकाल पड़ा और बड़ी संख्या में लोग भूखमरी के शिकार हो गए। माना जाता है कि इस भूखमरी से करीब 1.50 करोड़ लोगों की मौत हो गई थी। कुछ आंकड़े यह भी बताते हैं कि 1.50-4.50 करोड़ लोगों की भूखमरी की वजह से मौत हुई थी। इसे चीन के इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक माना जाता है। 

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