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Genocide: इतिहास का सबसे भयानक नरसंहार, जब सिर्फ 100 दिन में मार दिए गए थे आठ लाख लोग

फीचर डेस्क, अमर उजाला Published by: धर्मेंद्र सिंह Updated Wed, 05 Nov 2025 05:51 PM IST
सार

Rwanda Genocide: दुनिया के इतिहास में ऐसे नरसंहार हुए हैं, जिन्हें शायद कभी भुलाया नहीं जा सकता है। एक ऐसा ही नरसंहार करीब 30 साल पहले हुआ था, जिसके बारे में कहा जाता है कि 100 दिनों तक चले भीषण नरसंहार में एक-दो नहीं बल्कि करीब आठ लाख लोग मारे गए थे।

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Rwanda Genocide 8 Lakh People Killed in Just 100 Days A Dark Chapter in History
इतिहास का सबसे भयानक नरसंहार, जब सिर्फ 100 दिन में मार दिए गए थे आठ लाख लोग - फोटो : Adobe Stock

Rwanda Genocide: दुनिया के इतिहास में ऐसे नरसंहार हुए हैं, जिन्हें शायद कभी भुलाया नहीं जा सकता है। एक ऐसा ही नरसंहार करीब 30 साल पहले हुआ था, जिसके बारे में कहा जाता है कि 100 दिनों तक चले भीषण नरसंहार में एक-दो नहीं बल्कि करीब आठ लाख लोग मारे गए थे। इसे इतिहास का सबसे भीषण नरसंहार कहा जाए, तो गलत नहीं होगा। इस नरसंहार की शुरुआत की कहानी भी रूह कंपा देने वाली है। तो चलिए जानते हैं आखिर ये नरसंहार कहां हुआ था और क्यों हुआ था, जिसमें लाखों लोग मौत के घाट उतार दिए गए थे। 



यह भीषण नरसंहार अफ्रीकी देश रवांडा में हुआ था, जिसकी शुरुआत साल 1994 में रवांडा के राष्ट्रपति जुवेनल हाबयारिमाना और बुरुंडी के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या से हुई थी। उनके हवाई जहाज को ही उड़ा दिया गया था। इस जहाज को किसने मार गिराया था, यह अब तक साबित नहीं हो सका है, लेकिन कुछ लोग इसके लिए रवांडा के हूतू चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (आरपीएफ) ने ये काम किया था। चूंकि दोनों ही राष्ट्रपति हूतू समुदाय से संबंध रखते थे, इसलिए हूतू चरमपंथियों ने इस हत्या के लिए रवांडा पैट्रिएक फ्रंट को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि, आरपीएफ का आरोप था कि जहाज को हूतू चरमपंथियों ने ही उड़ाया था, ताकि उन्हें नरसंहार का एक बहाना मिल सके। 
 

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Rwanda Genocide 8 Lakh People Killed in Just 100 Days A Dark Chapter in History
इतिहास का सबसे भयानक नरसंहार, जब सिर्फ 100 दिन में मार दिए गए थे आठ लाख लोग - फोटो : Adobe Stock

दरअसल, यह नरसंहार तुत्सी और हुतू समुदाय के लोगों के बीच हुआ एक जातीय संघर्ष था। कहा जाता है कि सात अप्रैल 1994 से लेकर अगले 100 दिनों तक चलने वाले इस संघर्ष में हूतू समुदाय के लोगों ने तुत्सी समुदाय से आने वाले अपने पड़ोसियों, रिश्तेदारों और यहां तक कि अपनी पत्नियों को ही मारना शुरू कर दिया।

कहा जाता है कि हूतू समुदाय के जिन लोगों ने तुत्सी समुदाय से संबंध रखने वाली अपनी पत्नियों को मार डाला, उन्होंने सिर्फ इसलिए उनकी हत्या की, क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं करते तो उन्हें ही मार दिया जाता। सिर्फ यही नहीं, तुत्सी समुदाय के लोगों को मारा तो गया ही, साथ ही इस समुदाय से संबंध रखने वाली महिलाओं को यौनक्रिया के लिए गुलाम बनाकर भी रखा गया। 
 

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इतिहास का सबसे भयानक नरसंहार, जब सिर्फ 100 दिन में मार दिए गए थे आठ लाख लोग - फोटो : Adobe Stock

हालांकि, ऐसा नहीं है कि इस नरसंहार में सिर्फ तुत्सी समुदाय के ही लोगों की हत्या हुई। हूतू समुदाय के भी हजारों लोग इसमें मारे गए। कुछ मानवाधिकार संस्थाओं के मुताबिक, रवांडा की सत्ता हथियाने के बाद रवांडा पैट्रिएक फ्रंट (आरपीएफ) के लड़ाकों ने हूतू समुदाय के हजारों लोगों की हत्या की। हालांकि, इस नरसंहार से बचने के लिए रवांडा के लाखों लोगों ने भागकर दूसरे देशों में शरण ले ली थी। 

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Rwanda Genocide 8 Lakh People Killed in Just 100 Days A Dark Chapter in History
इतिहास का सबसे भयानक नरसंहार, जब सिर्फ 100 दिन में मार दिए गए थे आठ लाख लोग - फोटो : Adobe Stock

रवांडा नरसंहार के लगभग सात साल बाद यानी 2002 में एक अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत का गठन हुआ था, ताकि हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी सके। हालांकि, वहां हत्यारों को सजा नहीं मिल सकी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने तंजानिया में एक इंटरनेशनल क्रिमिलन ट्रिब्यूनल बनाया, जहां कई लोगों को नरसंहार के लिए दोषी ठहराया गया और उन्हें सजा सुनाई गई। इसके अलावा रवांडा में भी सामाजिक अदालतें बनाई गई थीं, ताकि नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाया जा सके। कहा जाता है कि मुकदमा चलाने से पहले ही करीब 10 हजार लोगों की मौत जेलों में ही हो गई थी। 

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माना जाता है कि जातीय संघर्ष में हुए नरसंहार की वजह से ही रवांडा में आज के समय में जनजातीयता के बारे में बोलना गैरकानूनी बना दिया गया है। सरकार की मानें तो ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि लोगों के बीच नफरत न फैले और रवांडा को एक और जनसंहार का सामना न करना पड़े। 

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