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Mahabharat: हरियाणा के इस गांव में बीता था रावण का बचपन! जानिए क्या है महाभारत से इसका संबंध

फीचर डेस्क, अमर उजाला Published by: धर्मेंद्र सिंह Updated Wed, 28 May 2025 02:29 PM IST
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सार

Mahabharat: एएसआई के मुताबिक, यह गांव कैथल से 10 किलोमीटर दूर स्थित है और सरस्वती नदी के दक्षिण में है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां एक गांव था, जो महाभारत युद्ध के दौरान नष्ट हो गया था।

Ravana's childhood was in this village what is mahabharat relation with this village of haryana
हरियाणा के इस गांव में बीता था रावण का बचपन! जानिए क्या है महाभारत से इसका संबंध (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Adobe Stock

विस्तार
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Mahabharat: भारतीय इतिहास में महाभारत का युद्ध सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है। यह लड़ाई कौरव और पांडवों के बीच लड़ी गई थी। मान्यता है कि महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ था, जिसके कारण वहां की भूमि आज भी लाल है। महाभारत काल के निशान आज भी कई जगहों पर देखने को मिलते हैं। हरियाणा के एक गांव में भी महाभारत के निशान मिले हैं। इस गांव का नाम पोलड़ है। इस गांव की जमीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की है। एएसआई ने अब लोगों को गांव को खाली करने के लिए नोटिस दिया है। उसका कहना है कि गांव की 48 एकड़ जमीन संरक्षित है, क्योंकि महाभारत काल में यहां पर एक गांव था। हम आपको अपनी खबर में बताते हैं कि आखिर पोलड़ गांव का महाभारत काल से क्या संबंध है?

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एएसआई के मुताबिक, यह गांव कैथल से 10 किलोमीटर दूर स्थित है और सरस्वती नदी के दक्षिण में है। इसके बारे में कहा जाता है कि यहां एक गांव था, जो महाभारत युद्ध के दौरान नष्ट हो गया था। यहां पर एएसआई की खुदाई में सिक्के, भार तौलने वाले पत्थर, मिट्टी तांबे के बर्तन जैसी 465 चीजें मिली थीं। इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए 28 दिसंबर, 1925 को इसे संरक्षित घोषित कर दिया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा यहां पर खुदाई करने पर कई और चीजें मिलने की उम्मीद है।  
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कैथल हरियाणा का एक महाभारत कालीन ऐतिहासिक शहर है। इसकी सीमा करनाल, कुरुक्षेत्र, जींद और पंजाब के पटियाला जिले से मिलती है। पुराणों के अनुसार, युधिष्ठिर ने इस शहर की स्थापना की थी। इसे वानर राज हनुमान का जन्म स्थान भी माना जाता है। इसीलिए पहले इसे कपिस्थल के नाम से जाना जाता था। 

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रावण के दादा पुलस्त्यमुनि की तपोस्थली रहा है गांव

धार्मिक दृष्टि से भी गांव पोलड़ बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक, यह जगह रावण के दादा पुलस्त्यमुनि की तपोस्थली रही है। मान्यता है कि पुलस्त्यमुनि ने यहां पर सरस्वती नदी के किनारे स्थित इक्षुपति तीर्थ पर तपस्या की थी। ग्रामीणों का मानना है कि रावण बचपन में इसी स्थान पर रहा था। 

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गांव में स्थापित सरस्वती मंदिर और सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग इसके ऐतिहासिकता महत्व को दशार्ते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इतिहासकार प्रो. बीबी भारद्वाज ने बताया कि यह स्थान एक प्राचीन नगर था, जो प्राकृतिक आपदा की वजह से उजड़ गया। बाद में इसे एक बार फिर बसाया गया और इसका नाम ‘थेह पोलड़’ पड़ा। ‘थेह’ का अर्थ होता है वह स्थान जहां कभी कोई बस्ती रही हो।

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