पीएनबी घोटाले से पहले सीबीआई की थी चंदा कोचर पर नजर, जांच में कई बड़े नाम
निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंकों में शुमार आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी व सीईओ चंदा कोचर पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की नजर पीएनबी घोटाले के पहले से थी। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक चंदा कोचर के खिलाफ सबसे पहले अक्तूबर 2016 में अरविंद गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी।
इसके बाद सीबीआई ने 8 दिसंबर 2017 को कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल धूत के खिलाफ जांच शुरू कर दी थी। पीएनबी घोटाला इसके दो महीने बाद सामने आया था।
कार्रवाई में देरी से उठे सवाल
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एक धड़े ने बृहस्पतिवार को आरबीआई की नियामक शक्तियों पर सवाल खड़े किए। बैंकों ने कहा कि आरबीआई निजी क्षेत्र के बैंकों से निपटने के लिए पर्याप्त शक्तियों का दावा करने के बावजूद आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मामले में कोई कार्रवाई करने में असफल रहा है।
यह सवाल बृहस्पतिवार को सीबीआई की तरफ से आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर व अन्य का नाम उस मामले में शामिल करने के बाद उठा है, जिसमें वीडियोकॉन समूह को आपसी साठगांठ से 3250 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया था।
सार्वजनिक बैंकों से जुड़े कई अधिकारियों ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक सरकारी व निजी बैंकों के मामले में अलग-अलग तरीका अपनाता है। एक अग्रणी सार्वजनिक बैंक के कार्यकारी निदेशक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि नीरव मोदी के 14 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में पंजाब नेशनल बैंक के प्रबंध निदेशक व दो अन्य कार्यकारी निदेशकों को हटा दिया गया था।
इन बड़े बैंक अधिकारियों पर भी जांच
सीबीआई ने जो केस दर्ज किया है उसमें कई बड़े बैंक अधिकारियों का नाम शामिल किया गया है। इनमें आईसीआईसीआई बैंक के वर्तमान सीईओ संदीप बख्शी, के वी कामथ, के रामकुमार, संजॉय चटर्जी, एन एस कन्नान, जरीन दारूवाला, राजीव सब्बरवाल और होमी खुसरोखान का नाम भी है।
ऐसा इसलिए क्योंकि वीडियोकॉन को लोन देने के लिए बनी कमेटी में यह भी शामिल थे। बता दें कि चंदा कोचर ने वीडियोकॉन कर्ज घोटाले में नाम आने के बाद अक्तूबर, 2018 में आईसीआईसीआई बैंक से इस्तीफा दे दिया था।
यह है आरोप
दीपक कोचर की कंपनी में वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने निवेश किया था। इसके बाद बैंक ने वीडियोकॉन को 3,250 करोड़ रुपए का कर्ज दिया। गलती साबित होने पर बैंक पर 25 करोड़ और चंदा कोचर पर 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
चंदा के डायरेक्टर बनने पर भी सेबी रोक लग सकता है। बैंक का बोर्ड शुरू से इस बात से इनकार कर रहा है कि वीडियोकॉन को कर्ज देने में किसी तरह की गलती हुई है। बैंक अपनी तरफ से भी जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण समिति से जांच करवा रहा है। जांच पूरी होने तक चंदा कोचर छुट्टी पर हैं। सेबी के अलावा रिजर्व बैंक, कंपनी मामलों के मंत्रालय और सीबीआई भी मामले की जांच कर रहे हैं।
बैंक पर भी लग सकता है जुर्माना
अगर सेबी को बैंक की तरफ से भी कुछ गलत लगा तो फिर बैंक पर 25 करोड़ का जुर्माना लग सकता है। आईसीआईसीआई बैंक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कोचर बैंक की एमडी और सीईओ बनी रहेंगी, जबकि बैंक की बीमा विभाग के प्रमुख संदीप बख्शी को पूर्णकालिक निदेशक और सीओओ नियुक्त किया गया है। वे बैंक का दैनिक कामकाज देखेंगे और कोचर को रिपोर्ट करेंगे। मालूम हो कि बैंक का निदेशक बोर्ड कोचर में पूरा भरोसा जता चुका है।
कोचर की स्वीकारोक्ति
सेबी की जांच के अनुसार चंदा कोचर ने यह स्वीकार किया है कि पिछले कई सालों से उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के मालिक वेणुगोपाल धूत के बीच कारोबारी रिश्ते थे। उन्होंने यह भी माना कि वे दोनों न्यूपावर के सह-संस्थापक और प्रवर्तक थे।
इस आधार पर सेबी इस नतीजे पर पहुंचा है कि आईसीआईसीआई बैंक की वीडियोकॉन के साथ डीलिंग में ‘हितों का टकराव’ हुआ है। आईसीआईसीआई बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन को 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया था जो अब एनपीए बन चुका है।
नियमों का उल्लंघन
चंदा कोचर ने अपने पति के इस कारोबारी रिश्ते को उजागर नहीं करके लिस्टिंग समझौते का उल्लंघन किया है। बैंक की गलती यह है कि उसने अपने सीईओ द्वारा नियमों के उल्लंघन की अनदेखी की। इसके मद्देनजर इस मामले में कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है।