Budget: देश में जीवन बीमा की पहुंच महज 3.2% लोगों तक, ग्रामीण इलाकों में दायरा बढ़ाने से जुड़े कदम उठाने जरूरी
श्रीराम लाइफ इंश्योरेंश कंपनी के एमडी और सीईओ कैस्परस क्रॉमहॉट के अनुसार भारत में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा जीवन बीमा से वंचित है। विश्व बैंक संग्रह संकेतकों के अनुसार देश की लगभग 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ये ग्रामीण क्षेत्र आय के स्तर, कमाई के पैटर्न, सेवाओं के वितरण और अपनी जरूरतों के मामले में अपने शहरी समकक्षों से अलग हैं। उनके बीच जीवन बीमा को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत निर्णय लिए जाने की जरूरत है।


विस्तार
जीवन बीमा व्यक्तियों और उनके परिवारों को विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में वर्तमान में जीवन बीमा से आच्छादित लोगों का प्रतिशत वर्तमान में 3.2% है। नियामक ने अतीत में भी जीवन बीमा सुरक्षा के मामले में 70-80% की कमी की बात कही है। यह वास्तविक कवरेज और व्यक्तियों और उनके आश्रितों को पर्याप्त वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक राशि के बीच बड़े अंतर को इंगित करता है। इस बार के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से देश के जीवन बीमा क्षेत्र को काफी उम्मीदें है।
श्रीराम लाइफ इंश्योरेंश कंपनी के एमडी और सीईओ कैस्परस क्रॉमहॉट के अनुसार भारत में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा जीवन बीमा से वंचित है। विश्व बैंक संग्रह संकेतकों के अनुसार देश की लगभग 65% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ये ग्रामीण क्षेत्र आय के स्तर, कमाई के पैटर्न, सेवाओं के वितरण और अपनी जरूरतों के मामले में अपने शहरी समकक्षों से अलग हैं। यह भी देखा गया है कि अधिकांश वाणिज्यिक वित्तीय संस्थानों का बड़ा ध्यान शहरी क्षेत्र की ओर है, क्योंकि यहां रहने वाले जागरूकता के मामले में आगे हैं, उच्च और अधिक स्थिर आय के साथ ही उन तक पहुंच भी आसानी से सुगम है।
ग्रामीण आबादी को जीवन बीमा के दायरे में लाना काफी महत्वपूर्ण
दूसरी ओर ग्रामीण आबादी के परिवारों में यह देखा गया है कि कम आय के स्तर के कारण परिवार के लिए रोटी कमाने वाले को खो देने की स्थिति में उन्हें वित्तीय तबाही का सामना करना पड़ा है। ऐसे में उनकी स्थिति बहुत कमजोर हो जाती है। इस आबादी को जीवन बीमा सुरक्षा के तहत लाना काफी महत्वपूर्ण है। हालांकि, इस सेगमेंट में आवश्यक समाधान और दृष्टिकोण शहरी क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक तरीकों से भिन्न हैं। क्रॉमहॉट के अनुसार कंपनियों को शहरी आैर ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बीमा से जुड़े प्रमुख कारकों को समझकर दोनों क्षेत्रों में प्रमुख जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक समाधान संचालित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। बीते कुछ वर्षों में इस दिशा में काफी सुधार किए गए हैं।
आय का स्तर जीवन बीमा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। ग्रामीण बाजार के विकास के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक डिस्पोजेबल आय में लगातार वृद्धि है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की एक रिपोर्ट में पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति व्यय 2011-12 से 2017-18 तक 17% बढ़ा है। हालांकि महामारी के वर्षों के दौरान इसमें कमी आई, लेकिन पिछले वर्ष कुछ वर्षों में इसमें रिकवरी हुई है। कुछ रिपोर्ट्स में सुझाव दिया है कि शहरी क्षेत्र में भी मध्यम वर्ग का काफी वविस्तार हुआ है और हाल ही में आईएमए की रिपोर्ट के अनुसार उच्च आय वाले उपभोग वर्ग में 120 मिलियन से अधिक परिवार शामिल हैं।
क्रॉमहॉट का कहना है कि में यह स्वीकार करना चाहिए कि ग्रामीण ग्राहक की औसत आय शहरी ग्राहक के औसत से आधी होगी। यह दोनों खंडों में बीमा प्रीमियम भुगतान क्षमता को प्रभावित करता है। विचार करने के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कारक आय की स्थिरता है। ग्रामीण परिवार, जो अक्सर कृषि या अनौपचारिक श्रम पर निर्भर होते हैं, अधिक वित्तीय बाधाओं का सामना कर सकते हैं और दीर्घकालिक बीमा कवरेज पर तत्काल जरूरतों को प्राथमिकता दे सकते हैं। ये अनिश्चितताएं इस क्षेत्र के लोगों के लिए जीवन बीमा में व्यवस्थित रूप से बचत करना चुनौतीपूर्ण बना सकती हैं, लेकिन साथ ही इन क्षेत्रों में जीवन बीमा की आवश्यकता को भी बढ़ाती हैं। ग्रामीण परिवारों की विशिष्ट आवश्यकताओं और आय पैटर्न के अनुसार बने अभिनव बीमा समाधान, जैसे कि माइक्रोइंश्योरेंस और लचीले प्रीमियम विकल्प, पहुंच और सामर्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
शिक्षा और जागरूकता का स्तर बढ़ना भी बीमा क्षेत्र के विस्तार के लिए जरूरी
शिक्षा और जागरूकता का स्तर भी जीवन बीमा को अपनाने पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। परंपरागत रूप से, शहरी क्षेत्रों को बेहतर शैक्षिक बुनियादी ढांचे से लाभ होता है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में वित्तीय साक्षरता और बीमा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ती है। हालांकि, इंटरनेट और स्मार्टफोन की पहुंच के साथ विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता के स्तर में उल्लेखनीय बदलाव आया है। देश के 50% से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। 60 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के साथ यह तय है कि देशभर में सूचना प्राद्योगिकी की पहुंच में काफी सुधार हुआ है।
वितरण में आसानी एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बीमा सेवाओं की उपलब्धता और सुविधा को प्रभावित कर रहा है। बीमा प्रदाताओं, एजेंटों और शाखाओं के उच्च घनत्व के कारण शहरी परिवारों को पारंपरिक रूप से लाभ हुआ है, जिससे बीमा उत्पादों और सेवाओं तक आसान पहुंच की सुविधा मिलती है। इसके विपरीत, ग्रामीण क्षेत्रों को भौगोलिक दूरस्थता, सीमित बुनियादी ढांचे और बीमा एजेंटों की कमी से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, दोनों सेगमेंट में डिजिटल रूप से सक्षम बिक्री को प्राथमिकता दी जा रही है। हालांकि हमने देखा है कि अधिकांश ग्राहक अब भी बीमा पॉलिसी खरीदते समय एक विक्रेता (एजेंट) के साथ बातचीत करना पसंद करते हैं, लेकिन मोबाइल प्लेटफॉर्म, डिजिटल भुगतान आदि जैसे डिजिटल माध्यमों से खरीद प्रक्रिया आसान और सहज हुई है। विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में ग्राहक ग्राहकों को सेवा प्रदान करना अधिक कुशल और तेज हो गया है। भारत में उपरोक्त इंटरनेट और स्मार्टफोन के उपयोग के अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि 70% से अधिक आबादी के पास सक्रिय मोबाइल कनेक्शन हैं, जिससे अधिकांश ग्राहकों से संपर्क करने की क्षमता में भी इजाफा हुआ है।
सरकारी नीतियां देश में जीवन बीमा के विस्तार में महत्वपूण भूमिका निभ रहीं
इसके अलावा, सरकारी नीतियों और पहलों ने भारत में जीवन बीमा परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सरकार ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा कवरेज और वित्तीय समावेशन बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं लागू की हैं। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, जो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कम लागत वाला जीवन बीमा प्रदान करती है, जैसी पहलों ने ग्रामीण परिवारों में जीवन बीमा के प्रवेश में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने वित्तीय साक्षरता में सुधार करने और बीमा कंपनियों के साथ अभियानों और सहयोग के माध्यम से बीमा के बारे में जागरूकता पैदा करने के प्रयास किए हैं। पिछले एक साल में हमने यह भी देखा है कि नियामक तेजी से नवाचार और वितरण की सुविधा के लिए बीमा क्षेत्र में सुधार को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
कई कारक भारत में ग्रामीण और शहरी परिवारों में जीवन बीमा अपनाने में हो रहे बदलावों को प्रभावित करते हैं। आय स्तर, शिक्षा और जागरूकता, व्यवसाय और रोजगार स्थिरता, बीमा सेवाओं तक पहुंच, और सरकारी नीतियां सभी जीवन बीमा के उत्थान और उपयोग को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस बार के बजट में लक्षित पहल और अभिनव दृष्टिकोणों के माध्यम से इन कारकों को संबोधित करने से देश में बीमा अंतर को पाटने और समाज के सभी वर्गों में व्यापक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।