खतरे में 26.87 करोड़ जनधन खातों की सुरक्षा, हो सकती है ग्राहकों के साथ ठगी
- अनिवार्य रूप से एटीएम कार्ड बदलने का आदेश जनधन खातों के कार्ड पर लागू नहीं
- ऐसे ग्राहकों के पास अभी मैग्नेटिक स्ट्रिप वाला एटीएम कार्ड होने से ठगी की आशंका
- 33.66 करोड़ जनधन खातेधार हैं वर्तमान में देशभर में
विस्तार
प्रधानमंत्री जनधन योजना के 26 करोड़ से भी ज्यादा खातेदारों के एटीएम-डेबिट कार्ड की सुरक्षा ताक पर है। डेबिट कार्ड की सुरक्षा बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा अनिवार्य रूप से मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड को चिप कार्ड में बदलने का आदेश जनधन खाते वाले लाभार्थियों पर लागू नहीं हुआ है। इस समय देश में 33.66 करोड़ जनधन खातेदार हैं और इनमें से 26.87 करोड़ खातेदारों को एटीएम कार्ड जारी हो चुका है।
रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए सभी बैंकों से मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड की जगह ईएमवी चिप कार्ड देने को कहा था। इसकी अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2018 तय की गई थी। इसे मानते हुए सभी बैंकों ने मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड को चिप वाले कार्ड में बदल दिया है या बदलने की प्रक्रिया में हैं। चिप आधारित नए कार्ड में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है। स्वाइप करने के दौरान इसके डिजिटल आंकड़ों को चुराना आसान नहीं है।
जनधन खाताधारकों के लिए पुराने कार्ड
स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने आम खातेदारों का तो एटीएम सह डेबिट कार्ड बदलकर ईएमवी चिप कार्ड जारी कर दिया है, लेकिन जनधन खाता रखने वालों का एटीएम या डेबिट कार्ड पुराना ही चल रहा है। उनका कहना है कि बैंक आम खातेदारों से तो डेबिट कार्ड या एटीएम कार्ड के लिए सालाना शुल्क वसूलते हैं। किसी ग्राहक के पास यदि नि:शुल्क एटीएम कार्ड है तो उसे या तो सैलरी अकाउंट रखने पर या फिर खाते में एक निश्चित राशि शेष रखने पर ही यह सुविधा दी जाती है। इसके उलट जनधन खातों के लाभार्थियों को नि:शुल्क रूपे डेबिट कार्ड जारी किया गया है। इसलिए उन्हें नया चिप कार्ड जारी नहीं मिल पा रहा है।
सुरक्षा में लग सकती है सेंध
बैंक अधिकारी का मानना है कि जनधन खातेदारों के पास जो रूपे डेबिट कार्ड है, वह मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड होने की वजह से ज्यादा सुरक्षित नहीं है। उनका तर्क है कि चूंकि जनधन खाते में साल में 50 हजार रुपये तक के ही ट्रांजेक्शन की सीमा तय है, इसलिए उनकी सुरक्षा की ज्यादा चिंता नहीं है। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि किसी गरीब के खाते में पांच हजार रुपये हैं और वह ठगी का हो शिकार हो जाता है तो कौन जिम्मेदार होगा। इस पर बैंक अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया।
आरबीआई ने रूपे कार्ड पर नहीं दिया निर्देश
रिजर्व बैंक ने वाणिज्यिक बैंकों को जो मैग्नेटिक कार्ड बदलकर चिप कार्ड देने का आदेश दिया है, उसमें रूपे कार्ड का कहीं भी उल्लेख नहीं है। सभी जनधन खातेदारों को रूपे का ही डेबिट कार्ड दिया गया है। रूपे कार्ड पूरी तरह स्वदेशी है, जबकि वीसा, मास्टर या यूरो-पे कार्ड विदेशी कंपनियों की ओर से जारी किया जाता है।