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आरबीआई एमपीसी: कर्ज लेने के बाद अब किसी भी समय चुन सकेंगे निश्चित ब्याज दर का विकल्प, घटेगी ईएमआई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: जलज मिश्रा Updated Fri, 11 Aug 2023 07:40 AM IST
सार

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा, इस सुविधा के लिए नया ढांचा बनाया जा रहा है। इसके तहत ऋणदाताओं को ग्राहकों को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी।

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After taking loan can choose fixed interest rate any time EMI will decrease
RBI Admit Card 2022 - फोटो : Social Media
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विस्तार
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अगर आपने फ्लोटिंग (परिवर्तनशील) ब्याज दर पर किसी भी प्रकार का कर्ज लिया है तो अपनी सुविधानुसार अब आप फिक्स्ड (निश्चित) दर के विकल्प का चुनाव कर सकेंगे। इस विकल्प के चयन से आपको मासिक किस्त (ईएमआई) या कर्ज अवधि घटाने में मदद मिलेगी। आरबीआई इसकी अनुमति देने की तैयारी कर रहा है।

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केंद्रीय बैंक के इस कदम से मकान, वाहन और अन्य प्रकार के कर्ज लेने वाले लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि ऐसे ग्राहक ही ऊंची ब्याज दरों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसका मतलब है कि आरबीआई के रेपो दर बढ़ाने के साथ बैंक भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर देते हैं। इसका असर फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने वाले ग्राहकों पर पड़ता है, क्योंकि कर्ज की ब्याज दर बढ़ जाती है।

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आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा, इस सुविधा के लिए नया ढांचा बनाया जा रहा है। इसके तहत ऋणदाताओं को ग्राहकों को कर्ज अवधि और ईएमआई के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी। फ्लोटिंग से निश्चित ब्याज दर का विकल्प चुनने या कर्ज समय से पहले खत्म करने का विकल्प देने के साथ लगने वाले शुल्क की जानकारी भी स्पष्ट रूप से देनी होगी।

दास ने कहा, केंद्रीय बैंक की समीक्षा और लोगों से मिली प्रतिक्रियाओं में ग्राहकों की सहमति और संवाद के बिना फ्लोटिंग दर वाले कर्ज की अवधि अनुचित रूप से बढ़ाने के कई उदाहरण सामने आए। इससे निपटने के लिए एक उचित ढांचा बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसका सभी विनियमित संस्थाओं को पालन करना होगा। इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जल्द जारी किए जाएंगे। 

फंसे कर्ज की वसूली के लिए बैंक दोगुना प्रयास करें : डिप्टी गवर्नर
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने बैंकों से कर्जों को बट्टे खाते में डालने से होने वाले घाटे को सीमित करने के लिए वसूली प्रयासों को दोगुना करने को कहा है। इससे बैंकों को अधिक मुनाफा कमाने में मदद मिलेगी। बैंक की वसूली क्षमता या उधारकर्ता की चुकाने की देनदारी कर्ज माफ करने से कम नहीं होती है। वित्त वर्ष 2015 के बाद से बैंकों ने 14.56 लाख करोड़ को बट्टे खाते में डाल दिया है।

खुदरा महंगाई में हाल में हुई वृद्धि का कारण खाद्य वस्तुओं की महंगाई है। अगर ये चीजें लंबे समय तक बनी रहती हैं तो महंगाई पर काबू पाने के लिए हमें जरूरत पड़ने पर ‘अर्जुन की नजर’ से भी आगे के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए केवल दर में बढ़ोतरी की जरूरत नहीं है बल्कि वृद्धिशील सीआरआर की तरह के और कदम उठाए जा सकते हैं। -शक्तिकांत दास, गवर्नर, आरबीआई

वृद्धिशील सीआरआर से बैंकों से निकलेगा एक लाख करोड़
सीमित अवधि के लिए 10 फीसदी वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) से बैंकों से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की नकदी निकालने में मदद मिलेगी। इस साल 19 मई से 2,000 रुपये के नोट बैंकों में वापस आने से नकदी बढ़ने के बाद यह सही कदम उठाया गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या इसमें एचडीएफसी बैंक के साथ एचडीएफसी लि. के विलय का प्रभाव भी शामिल होगा, दास ने कहा...यह कदम सभी अनुसूचित बैंकों पर लागू है। अगस्त में बैंकिंग प्रणाली में 2.48 लाख करोड़ रुपये की नकदी है। यह जून, 2022 के बाद 14 महीने का उच्च स्तर है।

यूपीआई से जुड़ना चाहते हैं जापान समेत कई अन्य देश  
आरबीआई ने कहा कि यूपीआई प्रणाली का अंतरराष्ट्रीयकरण प्रगति पर है। हम यूपीआई के जरिये अधिक से अधिक देशों को जोड़ने की दिशा में काम कर रहे हैं। इनमें जापान और कुछ पश्चिमी देश भी शामिल हैं। केंद्रीय बैंक ने 21 फरवरी, 2023 को सिंगापुर के पेनाउ के साथ यूपीआई के जुड़ने की घोषणा की थी। यूएई के साथ भी यूपीआई लिंकेज पर करार हुआ है। 

नए प्रौद्योगिकी मंच से बढ़ेगी कर्ज की निर्बाध पहुंच
रिजर्व बैंक नवोन्मेष केंद्र (आरबीआईएच) वंचित क्षेत्रों में कर्ज की निर्बाध पहुंच सुलभ कराने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच तैयार कर रहा है। दास ने कहा, सितंबर, 2022 में शुरू पायलट परियोजना से मिले सबक के आधार पर डिजिटल कर्ज का दायरा बढ़ाने के लिए यह मंच विकसित किया जा रहा है।

कर्ज अवधि बढ़ाने से पूर्व ग्राहकों की भुगतान क्षमता देखें
दास ने कहा, बैंकों को उचित समय के लिए ही कर्ज देना चाहिए। कर्ज अवधि बढ़ाते समय उधारकर्ता की उम्र और चुकाने की क्षमता पर विचार होना चाहिए। हालांकि, आरबीआई यह परिभाषित नहीं करना चाहता कि उचित अवधि क्या है। रेपो दर 2.50 फीसदी बढ़ाने से कर्जों को लंबी अवधि के लिए बढ़ाया जा रहा है। इससे ग्राहकों पर बोझ बढ़ रहा है। कर्ज अवधि बढ़ाने का मामला अलग-अलग कर्जदार पर अलग हो सकता है। ऐसे में बैंकों को व्यक्तिपरक निर्णय लेना होगा। यह बोर्ड पर निर्भर है कि उचित अवधि क्या है और इसे एक विशेष अवधि से आगे बढ़ाना अनुचित माना जाएगा।

खुदरा महंगाई : राहत नहीं, दूसरी तिमाही में 6% से अधिक रहेगी
टमाटर और अन्य सब्जियों के दामों में उछाल से आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को बढ़ाकर 5.4 फीसदी कर दिया है। जून में इसके 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। इसके अलावा, 2023-24 की दूसरी तिमाही के लिए भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई को 5.2 फीसदी से बढ़ाकर 6.2 फीसदी कर दिया गया है। पहली तिमाही में यह अनुमान के अनुरूप 4.6 फीसदी रही थी।

केंद्रीय बैंक ने खुदरा महंगाई तीसरी तिमाही में 5.7 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। 2024-25 की पहली तिमाही में यह 5.2 फीसदी रह सकती है। दास ने कहा, पिछले रुझानों के अनुसार सब्जियों की कीमत में कुछ महीनों के बाद बड़ा सुधार हो सकता है। हालांकि, मौसम में अचानक बदलाव और अल नीनो के कारण अनिश्चितता बनी हुई है।

विकास दर : 6.5 फीसदी पर बरकरार, अर्थव्यवस्था मजबूत
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है। दास ने कहा कि विभिन्न चुनौतियों के बीच भारत की आर्थिक गतिविधियां सकारात्मक बनी हुई हैं। देश अन्य अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में है। सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 6.5% दर से आगे बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। 2023-24 की पहली तिमाही में वृद्धि दर 8 फीसदी, दूसरी में 6.5 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.7 फीसदी रह सकती है। 2024-25 की पहली तिमाही में वास्तविक विकास दर 6.6% रहने की उम्मीद है।

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