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Trade Talks: अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में संतुलन जरूरी, जीटीआरआई की सलाह- कृषि छूट पर बेहद सतर्क रहे भारत

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 11 Dec 2025 10:13 AM IST
सार

जीटीआरआई ने चेतावनी दी है कि भारत को अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं में संतुलन बनाए रखना चाहिए और कृषि व GMO उत्पादों पर किसी भी छूट से पहले अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। अमेरिकी प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने सीनेट में कहा कि भारत अब भी कृषि और मांस उत्पादों पर अमेरिकी मांगों को लेकर कठिन साझेदार है, हालांकि हालिया दौर में भारत ने आगे बढ़कर बातचीत की है।

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Balance is essential in trade talks with the US, GTRI advises India to be extremely cautious on agricultural
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता (प्रतीकात्मक) - फोटो : एडॉब स्टॉक
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विस्तार
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भारत को अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता में संतुलन बनाए रखना चाहिए। ग्लोबल ट्रे़ड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने यह सलाह दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि व जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) उत्पादों पर किसी भी तरह की छूट देने में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

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अमेरिका के लिए भारत कठिन साझेदार बना हुआ है

जीटीआरआई की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसआर) जैमीसन ग्रीर ने सीनेट को जानकारी दी कि भारत अब भी कुछ कृषि उत्पादों और मांस निर्यात को लेकर कठिन साझेदार बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी व्यापार टीम इस समय नई दिल्ली में है और कृषि क्षेत्र में अमेरिकी उत्पादों के लिए अधिक मार्केट पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयास कर रही है।

अमेरिका के लिए भारत का बाजार बड़ा

ग्रीर ने यह भी बताया कि चुनौतियों के बावजूद भारत हालिया दौर की वार्ताओं में काफी आगे बढ़कर बातचीत कर रहा है और मौजूदा ऑफर अब तक भारत से मिले सबसे बेहतर हैं। उन्होंने भारत को अमेरिकी निर्यातकों के लिए एक संभावित बड़े बाजार के रूप में पेश किया और सोयाबीन आधारित बायोफ्यूल की बिक्री बढ़ाने पर भी जोर दिया।

कृषि उत्पादों को लेकर भारत को रहना होगा सतर्क 

जीटीआरआई के अनुसार, रो क्रॉप्स जैसे मक्का, सोयाबीन, गेहूं, कपास, चावल, जौ और कैनोला भारत में राजनीतिक रूप से संवेदनशील हैं, क्योंकि इनका सीधा संबंध किसानों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा से जुड़ा है। ऐसे में किसी भी तरह का बाजार खोलना गंभीर घरेलू प्रभाव डाल सकता है।

थिंक टैंक ने कहा कि अगर अमेरिका वास्तव में साझेदारी को लेकर गंभीर है, तो उसे पहले भारतीय निर्यातों पर लगाए गए 50% के दंडात्मक शुल्क को कम करके 25% करना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वर्तमान वार्ताओं की कहानी अब तक मुख्य रूप से अमेरिका की अपेक्षाओं को ही दर्शाती है, जबकि भारत को मिलने वाले संभावित लाभों पर स्पष्टता नहीं है।

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