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ED Action: ईडी ने फेमा के 'उल्लंघनों' के आरोप में रिलायंस इंफ्रा के 13 बैंक खाते जब्त किए, जानिए पूरा मामला
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Wed, 10 Dec 2025 08:19 PM IST
सार
ED Action: ईडी ने बाताया है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन के आरोप में आर-इंफ्रा के 13 बैंक खातों को जब्त कर लिया गया है, जिनमें 54.82 करोड़ रुपये की राशि जमा है। आर-इंफ्रा ने बुधवार को एक नियामक फाइलिंग में भी इसकी जानकारी दी है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
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अनिल अंबानी के खिलाफ नया केस दर्ज
- फोटो : ANI
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विस्तार
ईडी ने अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के एक दर्जन से अधिक बैंक खातों को जब्त किया है। इन खातों में करीब 55 करोड़ रुपये की जमा राशि है। यह कार्रवाई हवाला से जुड़े फेमा की जांच के तहत की गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को इसकी जानकारी दी।
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ईडी ने बताया है कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आर-इंफ्रा) ने अपने विशेष प्रयोजन वाहनों (एसपीवी) के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा ठेके दिए गए राजमार्ग निर्माण परियोजनाओं से सार्वजनिक धन की हेराफेरी की और उसे अवैध रूप से यूएई भेज दिया। यह जांच 2010 में कंपनी को दिए गए एक टेंडर से संबंधित है, जिसमें कंपनी को जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के निर्माण के लिए ईपीसी (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) अनुबंध दिया गया था।
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एजेंसी ने कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के उल्लंघन के आरोप में आर-इंफ्रा के 13 बैंक खातों को जब्त कर लिया गया है, जिनमें 54.82 करोड़ रुपये की राशि जमा है। आर-इंफ्रा ने बुधवार को एक नियामक फाइलिंग में कहा कि उसे ईडी से एक आदेश प्राप्त हुआ है, "जिसके तहत उसने FEMA के तहत कथित उल्लंघनों के संबंध में कंपनी के बैंक खातों में 77.86 करोड़ रुपये की राशि पर ग्रहणाधिकार लगा दिया है"।
ईडी ने पिछले महीने अंबानी (66) को इस मामले में पूछताछ के लिए तलब किया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए हाजिरी नहीं दी कि वे केवल "वर्चुअल उपस्थिति" ही दर्ज करा सकते हैं। यह साफ नहीं है कि एजेंसी ने उन्हें दोबारा बुलाया था या नहीं। अंबानी के प्रवक्ता की ओर से पिछले महीने जारी एक बयान में कहा गया था कि यह "पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था जिसमें किसी भी प्रकार का विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था"। बयान में कहा गया था, "जेआर टोल रोड का निर्माण पूरी तरह से संपन्न हो चुका है और 2021 से यह एनएचएआई के अधीन है।"
कथित धोखाधड़ी का वर्णन करते हुए, ईडी ने कहा कि फर्जी उप-अनुबंध व्यवस्थाओं की आड़ में मुंबई में फर्जी कंपनियों को धन का हस्तांतरण किया गया। इन संस्थाओं को मुंबई में विशिष्ट बैंक शाखाओं में फर्जी निदेशकों का उपयोग करके समन्वित तरीके से स्थापित किया गया था।
एजेंसी के अनुसार, इन निधियों को अन्य फर्जी संस्थाओं के एक नेटवर्क के माध्यम से "लेयर" किया गया था और बिना किसी समकक्ष सामान या दस्तावेज की प्राप्ति के पॉलिश किए गए और बिना पॉलिश किए गए हीरों के आयात की आड़ में यूएई भेजा गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन यूएई संस्थाओं को धनराशि भेजी गई थी, उनके यूएई और हांगकांग दोनों में बैंक खाते थे। जांच में पाया गया कि ये संस्थाएं अंतरराष्ट्रीय हवाला लेनदेन में शामिल लोग कंट्रोल कर रहे थे। ईडी ने कहा, "जिन फर्जी संस्थाओं के माध्यम से ये धनराशि निकाली गई, वे 600 करोड़ रुपये से अधिक के अंतरराष्ट्रीय हवाला लेनदेन में शामिल मिले हैं।"
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