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बजट 2020: शेयर ब्रोकर्स को हैं वित्त मंत्री से हैं ये सात बड़ी उम्मीदें, खत्म हो LTCG-STT पर टैक्स

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला Published by: paliwal पालीवाल Updated Wed, 15 Jan 2020 08:06 PM IST
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budget 2020 share brokers expectations from finance ministry, removal of ltcg, stt should be done
union budget - फोटो : अमर उजाला
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वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट को आने में अब ज्यादा दिन नहीं रह गए हैं। ऐसे में शेयर बाजार से जुड़े ब्रोकर भी चाहते हैं कि वित्त मंत्री करों को तर्कसंगत करें, ताकि निवेशक और निवेश करने के लिए आकर्षित हों। शेयर ब्रोकिंग से जुड़ी कंपनी इंवेस्ट19.कॉम के सीईओ कौशलेंद्र सिंह सेंगर ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि वित्त मंत्री को बाजार से जुड़ी समस्याओं की ओर ध्यान देना चाहिए। अगर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स और सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स में कमी कर दी जाए तो इसका बाजार पर बहुत असर पड़ेगा। इन टैक्स में कमी से छोटे निवेशकों को बहुत फायदा होने की उम्मीद है। सेंगर को वित्त मंत्री से अपेक्षा है कि वो बाजार से जुड़ी इन सात मांगों पर जरूर ध्यान देंगी। 

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सिक्युरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी)

सिक्युरिटी ट्रांसजेक्शन टैक्स उन सभी इक्विटी शेयर्स पर लागू होता है, जो स्टॉक एक्सचेंज से खरीदे या बेचे जाते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में किसी भी शेयर की खरीद और बिक्री एसटीटी का विषय है। इसलिए मार्केट  सरकार से एसटीटी दर में कटौती की आशा कर रहा है, जिससे निवेशक स्टॉक मार्केट में ज्यादा से ज्यादा पूंजी का निवेश कर सकें।

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लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स

बाजार निवेशकों के नजरिए से एलटीसीजी के हटने की उम्मीद कर रहा है। इससे मार्केट में सुधार आएगा, क्योंकि आयकर में कटौती से करदाता की जेब में ज्यादा धन रहेगा, जिससे अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से आगे बढ़ेगी।


डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स खत्म किया जाए इस समय धारा 115 (ओ)  के तहत डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स 15 फीसदी है। पर अगर आयकर अधिनियम की धारा 2 (22) के तहत लाभांश रेफर किया जाता है, तो यह 15 फीसदी से 30 फीसदी तक बढ़ जाता है। ब्रोकरेज कंपनियां और अधिक निवेश को आकर्षित करने के लिए मौजूदा टैक्सेशन स्लैब में और कटौती की आशा कर रहा है। 

भारतीय कंपनियों की ओर से प्राप्त होने वाला लाभांश    

मौजूदा समय में भारतीय कंपनी से मिलने वाले लाभांश पर कोई टैक्स नहीं लगता। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लाभांश की घोषणा करने वाली कंपनी पेमेंट करने से पहले ही डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (डीडीटी) काट लेती है। कंपनी से मिलने वाला लाभांश पर व्यक्ति या अविभाजित परिवार (एचयूएफ) या फर्म को 10 फीसदी की दर से टैक्स देना पड़ता है। अगर धारा 115 बीबीडीए के तहत वर्ष में घरेलू कंपनी की ओर से मिलने वाला लाभांश 10 लाख से अधिक हो जाता है, तब यह ध्यान देना चाहिए कि  भारतीय कंपनियों से मिलने वाले 10 लाख रुपये से ज्यादा के लाभांश पर ही टैक्स लगेगा। इसलिए ब्रोकिंग इंडस्ट्री वित्त मंत्री से यह आशा कर रही है कि वह इस लिमिट को 10 लाख से बढ़ाकर 15 लाख कर देंगी।

विदेशी कंपनियों से हासिल होने वाला लाभांश  

विदेशी कंपनियों से प्राप्त होने वाले लाभांश पर भारत में टैक्स लगता है। इसके अतिरिक्त लाभांश पर टैक्स उस देश में भी लगाया जाता है, जहां की वह विदेशी कंपनी होती है। हालांकि अगर विदेशी कंपनियों की ओर से दिए गए लाभांश पर दो बार टैक्स दिया जाता तो करदाता डबल टैक्सेशन रिलीफ प्राप्त कर सकता है। उपभोक्ता की ओर से राहत हासिल करने के लिए किया जाना वाले क्लेम, सरकार की ओर से विदेशी कंपनी से संबंधित देश से डबल टैक्स को नजरअंदाज कर देने के समझौते के प्रावधान के तहत होता है। अगर ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है तो विदेशी कंपनी से लाभांश प्राप्त करने वाला व्यक्ति धारा 91 के तहत राहत हासिल कर सकता है, जिसका मतलब है कि करदाता को एक समान आमदनी पर दो बार टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

आयकर में राहत

यह केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दूसरा बजट होगा। मध्यवर्गीय लोग पर्सनल टैक्स स्लैब में कटौती की आशा कर रहे हैं, जिससे लोगों को शेयर मार्केट में लगाने के लिए धन मिल सके। अभी आयकर में छूट और टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाने की बड़ी जरूरत है। अगर टैक्स छूट का दायरा या फिर स्लैब में बढ़ोतरी होती है, तो फिर इसका फायदा सबसे ज्यादा नौकरीपेशा को मिलेगा। 

दो लाख रुपये हो सेक्शन 80 (सी) में मिलने वाली छूट

ईएलएसएस फंड में निवेश टैक्स बचाने का व्यवस्थित तरीका है। इस समय धारा 80 (सी) किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार की कपल आमदनी पर 1.50 लाख तक की छूट का प्रावधान है। इसमें पीपीएफ, ईपीएफ, म्युचुअल फंड, इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम या फिक्सड डिपॉजिट पर मिलने वाली कटौती शामिल होती है। होम लोन के री-पेमेंट, बच्चों की पढ़ाई के खर्च पर भी आयकर में छूट मिलती है। सेक्शन 80 (सी) के तहत मिलने वाली आयकर में छूट में बाजार और कटौती की आशा कर रहा है। बाजार चाहता है कि  छूट की सीमा 1.50 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी जाए, जिससे लोग शेयर बाजार में और निवेश कर सकें। 

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