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Education: शिक्षा क्षेत्र का बजट बढ़ाकर GDP का 6% किया जा सकता है, कौशल विकास पर रहेगा वित्त मंत्री का जोर

फैक्ट चेक डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवेंद्र तिवारी Updated Tue, 23 Jul 2024 12:01 AM IST
सार
Budget For Education Sector: मेक इन इंडिया जैसे अभियान को मजबूती से आगे चलाने के लिए शिक्षा क्षेत्र को दुरुस्त करना जरूरी है। नौकरियों के सृजन के लिए सरकार शिक्षा को जॉब ओरिएंटेंड बनाने पर जोर दे सकती है।
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Budget 2024 announcements for education sector news in hindi
केंद्रीय बजट 2024 - फोटो : AMAR UJALA

विस्तार
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विशेषज्ञों का मानना है कि देश में नौकरियां होने के बावजूद युवाओं को काम नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह है...कौशल की कमी। कौशल विकास पर जोर देकर ही हम चीन का विकल्प बन सकते हैं और चीन प्लस वन पॉलिसी को कामयाब बना सकते हैं। इसलिए, उम्मीद है कि इस बजट में शिक्षा क्षेत्र का आवंटन बढ़ाकर जीडीपी का 5 से 6 फीसदी किया जा सकता है, जो अभी ढाई से तीन फीसदी है। शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ विशेष घोषणाएं कर सकती हैं। नई शिक्षा नीति से होने वाले बदलावों का लाभ देश के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचे इसके लिए भी सरकार इस बार के बजट में एलान कर सकती है। जानकारों के अनुसार वित्त मंत्री को इस बार के बजट में सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति सुधार से जुड़े एलान भी करने चाहिए।

सभी नौकरियों में मातृत्व अवकाश की सुविधा
सरकार ने आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है। इस बजट में वित्त मंत्री महिलाओं के लिए खास घोषणाएं कर सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बजट महिलाओं की बेहतरी के लिए सब्सिडी लागू करना और महत्वपूर्ण वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए कर राहत दी जा सकती है। शादीशुदा महिलाओं को कर छूट में ज्वाइंट फाइलिंग विकल्प या टैक्स क्रेडिट जैसे फायदे मिल सकते हैं। साथ ही, सभी नौकरियों में महिलाओं को मातृत्व अवकाश की सुविधा मिल सकती है।

13% पहुंच जाएगा रियल्टी उद्योग का जीडीपी में योगदान 2025 तक
रियल एस्टेट क्षेत्र को इस बार उद्योग का दर्जा मिल सकता है, जिसका लंबे समय से इंतजार है। इससे क्षेत्र में निवेश आएगा। अजमेरा रियल्टी एंड इन्फ्रा इंडिया लि. के निदेशक धवल अजमेरा ने कहा, सिंगल-विंडो क्लियरेंस सिस्टम जैसी लंबित मांगें भी पूरी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, आरबीआई और रेरा को किफायती आवास की मानक परिभाषा को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है, जहां इसे 45 लाख के मौजूदा मूल्य ब््रैकेट के बजाय 60 से 90 वर्गमीटर के घर के आकार तक सीमित किया जाना चाहिए।
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