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Naresh Goyal: जेट एयरवेज के संस्थापक को विशेष अदालत से झटका, स्वास्थ्य के आधार पर जमानत देने से इनकार

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Wed, 10 Apr 2024 08:55 PM IST
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Court denies bail to Jet Airways founder Naresh Goyal on health grounds
जेट एयरवेज के पूर्व चेयरमैन नरेश गोयल - फोटो : एएनआई
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मुंबई की एक विशेष अदालत ने बुधवार को धन शोधन के एक मामले में जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि कैंसर से पीड़ित 74 वर्षीय कारोबारी की अस्पताल में बेहतर देखभाल की जा रही है, जहां वह भर्ती हैं। गोयल का पिछले दो महीने से मुंबई के एक निजी सर एचएन रिलायंस अस्पताल में इलाज चल रहा है। अदालत ने फरवरी में गोयल को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन उन्हें अपनी पसंद के अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दी थी। 

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बुधवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों के लिए विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं कराया गया है। गोयल को सितंबर 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से केनरा बैंक द्वारा उनकी (अब ग्राउंडेड) एयरलाइन, जेट एयरवेज को दिए गए 538.62 करोड़ रुपये के ऋणों की हेराफेरी करने और धनशोधन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 
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व्यवसायी ने अपनी जमानत याचिका में कहा कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद, उन्हें बुखार था, और सिस्टोस्कोपी (मूत्राशय और मूत्रमार्ग को प्रभावित करने वाली स्थितियों का निदान, निगरानी और उपचार करने के लिए उपयोग किया जाता है) से गुजरना पड़ा। आवेदन में कहा गया, ''गोयल बहुत कमजोर हो गए हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है और तमाम स्वास्थ्य परेशानियों के बाद उनकी स्वास्थ्य स्थिति नाजुक हो गई है।" 

इसमें दावा किया गया कि वह कई जानलेवा चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित हैं और उन्हें गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं। ईडी ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि उनकी मेडिकल रिपोर्ट में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि गोयल की बीमारी जानलेवा है, जिसका साफ मतलब है कि बीमारी पुरानी है, लेकिन उचित उपचार मुहैया कराने पर इसका इलाज संभव है। इसे लाइलाज नहीं माना जा सकता। केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि अदालत पहले ही उन्हें उनकी पसंद के अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दे चुकी है और मौजूदा आवेदन मुकदमे की कार्यवाही में विलंब करने का एक प्रयास है।

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