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Credit Report: कर्ज रिपोर्टों में गलतियां, क्रेडिट सूचना कंपनियों के खिलाफ बढ़ीं शिकायतें

अमर उजाला ब्यूरो Published by: लव गौर Updated Wed, 03 Dec 2025 05:18 AM IST
सार

कर्ज रिपोर्टों में लगातार बढ़ती गलतियों ने उधारकर्ताओं की परेशानी बढ़ा दी है। इसी असंतोष का संकेत देते हुए क्रेडिट सूचना कंपनियों के खिलाफ शिकायतों में पिछले तीन साल में चार गुना उछाल दर्ज किया गया है।

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2024-25 में मिलीं 4,585 शिकायतें - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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कर्ज रिपोर्टों में भारी गलतियां पाईं गई हैं। इससे उधारकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है। इसका पता इस बात से चलता है कि क्रेडिट सूचना कंपनियों के खिलाफ तीन वर्षों में शिकायतें चार गुना बढ़ गई हैं। यह तेज उछाल ऐसे समय में आया है जब भारत के वित्तीय लोकपाल की ओर से निपटाई जाने वाली शिकायतों में बैंकों, एनबीएफसी और डिजिटल भुगतान कंपनियों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओंबुड्समैन पर सालाना रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई। इसके अनुसार, क्रेडिट सूचना कंपनियों के खिलाफ शिकायतें 2022-23 में 1,039 से बढ़कर 2023-24 में 3,847 और 2024-25 में 4,585 हो गईं। यह सभी विनियमित संस्थाओं में सबसे तेज वृद्धि है। इनमें से कई शिकायतें ऋण और अग्रिमों से संबंधित हैं। यह क्रेडिट सूचना कंपनियों से जुड़ी सभी शिकायतों का 84 फीसदी से अधिक हिस्सा हैं।
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लोकपाल के पास दर्ज कुल शिकायतें 2024-25 में बढ़कर 2.95 लाख तक पहुंच गईं। ये आंकड़े वित्तीय क्षेत्र को बढ़ते ग्राहक आधार, अधिक रिफाइंड उत्पादों और सेवा सटीकता की बढ़ती अपेक्षाओं से जूझते हुए दर्शाते हैं। बैंकों के खिलाफ सबसे ज्यादा शिकायतें मिलने का क्रम जारी है। वित्त वर्ष 2024-25 में इनके खिलाफ 2,41,601 शिकायतें मिलीं। इसी तरह, जमा खातों से संबंधित मामले सभी शिकायतों में 20.63 फीसदी तक पहुंच गए। क्रेडिट कार्ड संबंधी शिकायतें दो वर्षों में पांच प्रतिशत से अधिक बढ़कर 17.16 फीसदी तक पहुंच गईं।

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एटीएम और डेबिट कार्ड में आई भारी कमी
हालांकि, कुछ श्रेणियों में थोड़ी राहत देखी गई। एटीएम और डेबिट कार्ड से जुड़ी शिकायतें 14.56 फीसदी से घटकर 7.47 फीसदी हो गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गिरावट व्यवहार में बदलाव का संकेत दे सकती है क्योंकि अधिक उपभोक्ता कार्ड आधारित लेनदेन से डिजिटल भुगतान प्रणालियों की ओर रुख कर रहे हैं। इससे उन क्षेत्रों में टकराव कम हो रहा है जो कभी ग्राहकों के असंतोष के लिए जाने जाते थे। सरकारी बैंकों के खिलाफ 1,03,117 व निजी बैंकों के खिलाफ 1,11,199 शिकायतें मिली हैं।
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