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Defence: डीएसी ने सेना के आधुनिकीकरण के लिए ₹79,000 करोड़ के प्रस्तावों को दी मंजूरी, जानिए क्या बदलेगा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 29 Dec 2025 04:23 PM IST
सार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने लगभग 79,000 करोड़ रुपये के विभिन्न प्रस्तावों के लिए आवश्यकता स्वीकृति (एओएन) प्रदान की है। भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट के लिए लॉइटर मुनिशन सिस्टम, लो लेवल लाइट वेट रडार, पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम (एमआरएलएस) के लिए लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट गोला बारूद और इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम एमके-II की खरीद के लिए एओएन को मंजूरी दी गई है।

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DAC Approves ₹79000 Crore Procurement Proposal for Armed Forces Modernisation Know Details
डीएसी की मंजूरी - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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भारतीय सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं और युद्धक प्रभावशीलता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक बड़ा रणनीतिक निर्णय लिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने सोमवार को लगभग ₹79,000 करोड़ के रक्षा खरीद प्रस्तावों के लिए 'आवश्यकता स्वीकृति' (AoN) प्रदान की। यह मंजूरी मुख्य रूप से भविष्य के युद्धक्षेत्र की जरूरतों, जैसे ड्रोन तकनीक, सटीक मारक क्षमता और उन्नत रडार प्रणालियों पर केंद्रित है।

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भारतीय सेना: ड्रोन डिटेक्शन और सटीक हमले पर जोर

थल सेना के लिए स्वीकृत प्रस्तावों में आधुनिक तकनीक का समावेश किया गया है, जो सामरिक युद्ध क्षेत्र में भारत की बढ़त सुनिश्चित करेंगे। लोइटर मुनिशन सिस्टम: सामरिक लक्ष्यों पर सटीक और घातक हमले करने के लिए इन प्रणालियों की खरीद को मंजूरी दी गई है-

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  • लो लेवल लाइट वेट रडार: ये रडार छोटे आकार के और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले मानवरहित हवाई प्रणालियों (UAVs) का पता लगाने और उन पर नज़र रखने में सक्षम होंगे।
  • पिनाका एमआरएलएस (MLRS): पिनाका मल्टीपल लॉन्च रॉकेट सिस्टम के लिए लंबी दूरी के निर्देशित रॉकेट गोला-बारूद को मंजूरी मिली है, जिससे उच्च मूल्य वाले लक्ष्यों को अधिक सटीकता से निशाना बनाया जा सकेगा।
  • ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम: एकीकृत ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम एमके-II (Mk-II) भारतीय सेना की महत्वपूर्ण संपत्तियों की रक्षा करेगा।

भारतीय नौसेना: समुद्री जागरूकता और सुरक्षित संचार

नौसेना की क्षमताओं को आधुनिक बनाने के लिए निम्नलिखित प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई है- 

  • बीपी टग्स (Bollard Pull Tugs): ये टग्स बंदरगाहों और संकरे जलक्षेत्र में जहाजों और पनडुब्बियों की पैंतरेबाजी और लंगर डालने में सहायक होंगे।
  • सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (HF SDR): हाई फ्रीक्वेंसी एसडीआर मैनपैक के शामिल होने से बोर्डिंग और लैंडिंग ऑपरेशंस के दौरान लंबी दूरी का सुरक्षित संचार सुनिश्चित होगा।
  • HALE RPAS (पट्टा): हिंद महासागर क्षेत्र में निरंतर निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग रेंज रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम को पट्टे (Lease) पर लिया जाएगा।

वायुसेना: एयरोस्पेस सुरक्षा और लंबी दूरी की मारक क्षमता

भारतीय वायु सेना (IAF) के बेड़े को और अधिक घातक बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण हथियारों और प्रणालियों की घोषणा की गई है। ये हैं-

  • एस्ट्रा एमके-II मिसाइल: हवा से हवा में मार करने वाली इस उन्नत मिसाइल से लड़ाकू विमानों की दुश्मन को लंबी दूरी से नष्ट करने की क्षमता बढ़ेगी।
  • SPICE-1000 गाइडेंस किट: यह किट भारतीय वायुसेना की लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता (Precision Strike) को और मजबूत करेगी।
  • फुल मिशन सिमुलेटर: एलसीए (LCA) तेजस के लिए सिमुलेटर पायलटों के प्रशिक्षण को अधिक किफायती, सुरक्षित और प्रभावी बनाएंगे।
  • ऑटोमैटिक टेक-ऑफ लैंडिंग रिकॉर्डिंग सिस्टम: यह तकनीक एयरोस्पेस सुरक्षा में सुधार करेगी और हर मौसम में स्वचालित रिकॉर्डिंग उपलब्ध कराएगी।

आर्थिक और औद्योगिक प्रभाव

ये सभी प्रस्ताव 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देंगे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन परियोजनाओं से भारतीय रक्षा उद्योगों, विशेषकर रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (DPSUs) और निजी क्षेत्र के एमएसएमई (MSMEs) को बड़े पैमाने पर ऑर्डर मिलेंगे, जिससे देश में रोजगार और तकनीकी नवाचार को गति मिलेगी।

भविष्य की रणनीतिक तैयारी

₹79,000 करोड़ का यह निवेश न केवल सेनाओं की वर्तमान कमियों को दूर करेगा, बल्कि भारत को भविष्य के 'टेक्नोलॉजी-ड्रिवेन' युद्धों के लिए भी तैयार करेगा। पिनाका और एस्ट्रा जैसी स्वदेशी मिसाइल प्रणालियों पर भरोसा जताना वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती रक्षा निर्यात क्षमताओं और रक्षा विनिर्माण में स्वावलंबन का प्रमाण है।

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