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Budget 2026-27: पीएम मोदी अर्थशास्त्रियों के साथ करेंगे 'प्री-बजट' बैठक, टैरिफ और वैश्विक चुनौतियों पर नजर

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 29 Dec 2025 02:18 PM IST
सार

Budget 2026-27: पीएम मोदी मंगलवार को प्रमुख अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ करेंगे अहम बैठक। अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बीच भारत की भावी आर्थिक रणनीति और आगामी बजट की प्राथमिकताओं पर होगा मंथन। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें।

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Budget 2026-27, PM Modi Meeting, Nirmala Sitharaman, US Tariffs, Indian Economy, Niti Aayog, Economist Meeting
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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भारत के आगामी आम बजट 2026-27 की रूपरेखा और प्राथमिकताओं को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को देश के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट से पहले यह बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय जटिल वैश्विक परिस्थितियों का सामना कर रही है।

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प्रमुख नीतिगत एजेंडा और रणनीतिक चर्चा
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम और आयोग के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री इस संवाद के माध्यम से विकास दर को गति देने, राजकोषीय समेकन और रोजगार सृजन के लिए विशेषज्ञों से व्यावहारिक सुझाव मांगेंगे।
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विशेषज्ञों का मानना है कि बैठक का मुख्य केंद्र बिंदु एमएसएमई क्षेत्र को मजबूती और निर्यात व विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई की भूमिका बढ़ाना रह सकता है। इसके अलावे ग्रामीण मांग में सुधार और कृषि मूल्य शृंखला के आधुनिकीकरण पर भी चर्चा हो सकती है। चर्चा के दौरान पूंजीगत व्यय के जरिए दीर्घकालिक विकास की नींव रखने पर भी बातचीत हो सकती है। 

वैश्विक अनिश्चितता और 'अमेरिकी टैरिफ' का साया
बजट 2026-27 ऐसे समय में आ रहा है जब वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका की ओर से भारतीय शिपमेंट पर लगाए गए 50 प्रतिशत के भारी टैरिफ से उत्पन्न हुई है। आर्थिक विशेषज्ञों का तर्क है कि अमेरिका के इस एकतरफा कदम से भारतीय निर्यातकों, विशेष रूप से कपड़ा, आईटी और इंजीनियरिंग क्षेत्र पर दबाव बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री की इस बैठक में इस बात पर गहन मंथन होने की उम्मीद है कि आगामी बजट के माध्यम से भारतीय घरेलू उद्योगों को इन बाहरी झटकों से कैसे सुरक्षित रखा जाए और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को कैसे नई दिशा दी जाए।

नीति आयोग की भूमिका और समावेशी विकास
नीति आयोग इस बैठक में विकास के विभिन्न मॉडलों पर अपना प्रस्तुतीकरण दे सकता है। सरकार का ध्यान न केवल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संख्या पर है, बल्कि समावेशी विकास पर भी है। विशेषज्ञों से यह समझने की कोशिश की जाएगी कि वैश्विक सप्लाई चेन में हो रहे बदलावों का भारत किस तरह अधिकतम लाभ उठा सकता है।

मंगलवार की यह बैठक केवल सुझावों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह आगामी बजट के लिए सरकार की 'इकोनॉमिक फिलॉसफी' को दर्शाएगी। भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार युद्ध जैसी स्थितियों के बीच, विशेषज्ञों की राय यह तय करने में मदद करेगी कि भारत अपनी आंतरिक विकास क्षमता को कैसे मजबूत बनाए रखे। वित्त मंत्रालय अब इन सुझावों को बजट के अंतिम मसौदे में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिससे 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट की दिशा और दशा स्पष्ट होगी।

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