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विनिवेश: 40,951 करोड़ पीछे, लक्ष्य लगातार पांचवीं बार पूरा होने की संभावना नहीं, मंजूरी के बाद भी मामला अटका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: यशोधन शर्मा
Updated Tue, 26 Dec 2023 06:21 AM IST
सार
सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए 51,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है। लेकिन, अब तक करीब 20 फीसदी यानी 10,049 करोड़ रुपये ही आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये अल्पांश हिस्सेदारी बेचकर जुटाए गए हैं।
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विनिवेश
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले सरकार ने निजीकरण की कार्रवाई लगभग रोक दी है। अब शेयर बाजारों में अल्पांश हिस्सेदारी बेचने का विकल्प चुना है। कुछ चुनिंदा घरानों को हिस्सेदारी बेचने के विपक्षी दलों के आरोपों के बीच सरकार ने यह कदम उठाया है। इसके परिणामस्वरूप सरकार लगातार पांचवीं बार भी विनिवेश लक्ष्य से चूक सकती है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए 51,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है। लेकिन, अब तक करीब 20 फीसदी यानी 10,049 करोड़ रुपये ही आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और बिक्री पेशकश (ओएफएस) के जरिये अल्पांश हिस्सेदारी बेचकर जुटाए गए हैं। इसका मतलब है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में भी अपने विनिवेश लक्ष्य से 40,951 करोड़ रुपये पीछे है।
इन संपत्तियों की विभाजन प्रक्रिया में देरी
एससीआई, एनएमडीसी स्टील लि., बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर व आईडीबीआई बैंक सहित कई केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) की रणनीतिक बिक्री चालू वित्त वर्ष में पूरी होने वाली है। हालांकि, अधिकांश सीपीएसई के संबंध में मुख्य एवं गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों की विभाजन की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है। वित्तीय बोलियां आमंत्रित करने में देरी हुई है। कुल करीब 11 लेनदेन हैं, जो वर्तमान में निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग में लंबित हैं।
मंजूरी के बाद भी मामला अटका
राष्ट्रीय इस्पात निगम लि. (आरआईएनएल), कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) और एआई एसेट होल्डिंग लि. (एआईएएचएल) की सहयोगी कंपनियों में हिस्सा बेचने की सैद्धांतिक मंजूरी आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) से पहले ही मिल चुकी है। इसके बावजूद निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) आमंत्रित नहीं किया है।
चुनाव बाद ही इन कंपनियों का निजीकरण
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) और कॉनकॉर जैसी बड़ी निजीकरण योजनाएं पहले से ही ठंडे बस्ते में हैं। विश्लेषकों का मानना है कि सार्थक निजीकरण अप्रैल/मई के आम चुनाव के बाद ही हो सकता है। रणनीतिक विनिवेश निर्णय राजनीतिक आवश्यकताओं से संचालित हो रहे हैं। चुनाव नजदीक होने के कारण रणनीतिक बिक्री के मामले में कोई हलचल की उम्मीद नहीं है।
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इन संपत्तियों की विभाजन प्रक्रिया में देरी
एससीआई, एनएमडीसी स्टील लि., बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर व आईडीबीआई बैंक सहित कई केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) की रणनीतिक बिक्री चालू वित्त वर्ष में पूरी होने वाली है। हालांकि, अधिकांश सीपीएसई के संबंध में मुख्य एवं गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों की विभाजन की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है। वित्तीय बोलियां आमंत्रित करने में देरी हुई है। कुल करीब 11 लेनदेन हैं, जो वर्तमान में निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग में लंबित हैं।
मंजूरी के बाद भी मामला अटका
राष्ट्रीय इस्पात निगम लि. (आरआईएनएल), कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) और एआई एसेट होल्डिंग लि. (एआईएएचएल) की सहयोगी कंपनियों में हिस्सा बेचने की सैद्धांतिक मंजूरी आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) से पहले ही मिल चुकी है। इसके बावजूद निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) आमंत्रित नहीं किया है।
चुनाव बाद ही इन कंपनियों का निजीकरण
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल), शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) और कॉनकॉर जैसी बड़ी निजीकरण योजनाएं पहले से ही ठंडे बस्ते में हैं। विश्लेषकों का मानना है कि सार्थक निजीकरण अप्रैल/मई के आम चुनाव के बाद ही हो सकता है। रणनीतिक विनिवेश निर्णय राजनीतिक आवश्यकताओं से संचालित हो रहे हैं। चुनाव नजदीक होने के कारण रणनीतिक बिक्री के मामले में कोई हलचल की उम्मीद नहीं है।