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Renewable Energy: जलवायु संरक्षण में भारत की भूमिका अहम, दुनिया ने माना- एशिया का लीडर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सिंगापुर
Published by: नितिन गौतम
Updated Mon, 12 May 2025 10:57 AM IST
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सार
क्लार्कसन ने कहा, 'एशिया एक ही बार में दो बड़े संकटों - आर्थिक और जलवायु - से निपट सकता है, अगर इसके उद्योग और सरकारें स्वच्छ तकनीक, नवाचार, नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइज्ड आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ आगे बढ़ें। एशिया ही वह जगह है जहां बदलाव की जीत होगी या हार होगी।'

अक्षय ऊर्जा
- फोटो : पीटीआई

विस्तार
जलवायु संरक्षण की दिशा में भारत द्वारा किए जा रहे कामों को पूरी दुनिया में मान्यता मिल रही है। एक वैश्विक मंच ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति की जमकर तारीफ की है और कहा कि भारत ऊर्जा परिवर्तन के मामले में एशिया का नेता बनकर उभर रहा है। क्लाइमेट ग्रुप की सीईओ हेलेन क्लार्कसन ने सिंगापुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 'एशिया में ऊर्जा परिवर्तन में भारत की अग्रणी भूमिका है। यह अपने जलवायु लक्ष्यों में लगातार प्रगति कर रहा है, जिसमें सौर ऊर्जा पर खासा फोकस किया जा रहा है। यह उत्साहजनक है।'
सौर ऊर्जा पर खासा फोकस
हेलेन क्लार्कसन ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में देखी गई प्रगति के साथ अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति शानदार है।' उन्होंने भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2025 तक भारत की कुल अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षमता 220 गीगावाट तक पहुंच गई है। इसमें सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा योगदान है। यह कुल नवीकरणनीय ऊर्जा क्षमता का करीब 48 प्रतिशत है।
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'एशिया ही आर्थिक और जलवायु संकट से निपटने की राह दिखा सकता है'
क्लार्कसन ने कहा, 'एशिया एक ही बार में दो बड़े संकटों - आर्थिक और जलवायु - से निपट सकता है, अगर इसके उद्योग और सरकारें स्वच्छ तकनीक, नवाचार, नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइज्ड आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ आगे बढ़ें। एशिया ही वह जगह है जहां बदलाव की जीत होगी या हार होगी।' 8 मई को आयोजित क्लाइमेट ग्रुप एशिया एक्शन समिट में एशिया भर के व्यापारिक नेता और नीति निर्माता एक साथ आए। क्लार्कसन ने कहा कि 'हमें साहसिक नेतृत्व, अभिनव समाधान, रणनीतिक स्वच्छ निवेश और सरकारों की दीर्घकालिक सोच की जरूरत है।
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सौर ऊर्जा पर खासा फोकस
हेलेन क्लार्कसन ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में देखी गई प्रगति के साथ अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति शानदार है।' उन्होंने भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2025 तक भारत की कुल अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षमता 220 गीगावाट तक पहुंच गई है। इसमें सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा योगदान है। यह कुल नवीकरणनीय ऊर्जा क्षमता का करीब 48 प्रतिशत है।
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'एशिया ही आर्थिक और जलवायु संकट से निपटने की राह दिखा सकता है'
क्लार्कसन ने कहा, 'एशिया एक ही बार में दो बड़े संकटों - आर्थिक और जलवायु - से निपट सकता है, अगर इसके उद्योग और सरकारें स्वच्छ तकनीक, नवाचार, नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइज्ड आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ आगे बढ़ें। एशिया ही वह जगह है जहां बदलाव की जीत होगी या हार होगी।' 8 मई को आयोजित क्लाइमेट ग्रुप एशिया एक्शन समिट में एशिया भर के व्यापारिक नेता और नीति निर्माता एक साथ आए। क्लार्कसन ने कहा कि 'हमें साहसिक नेतृत्व, अभिनव समाधान, रणनीतिक स्वच्छ निवेश और सरकारों की दीर्घकालिक सोच की जरूरत है।