सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Business ›   Business Diary ›   GST exemption on insurance premium may cause loss to companies for short time, but later they will get profit

GST Reforms: बीमा प्रीमियम पर जीएसटी छूट से कंपनियों को थोड़े समय के लिए नुकसान, पर फिर मिलेगा बड़ा लाभ

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 04 Sep 2025 06:19 PM IST
सार

22 सितंबर से व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को 18 प्रतिशत जीएसटी से छूट दे दी गई है। इसमें टर्म इंश्योरेंस, फैमिली फ्लोटर और यूलिप सहित स्वास्थ्य पॉलिसियां शामिल हैं। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि हालिया जीएसटी छूट के बाद बीमा कंपनियों को अल्पावधि में झटका लगने की उम्मीद है लेकिन दीर्घकालिक लाभ की संभावना है।

विज्ञापन
GST exemption on insurance premium may cause loss to companies for short time, but later they will get profit
स्वास्थ्य बीमा (सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Adobestock
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

जीएसटी छूट से बीमा कंपनियों को कम समय के लिए नुकसान हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक लाभ की संभावना है। उद्योग विशेषज्ञों और अधिकारियों ने यह दावा किया है। उनके अनुसार हालिया जीएसटी छूट के बाद बीमा कंपनियों को अल्पावधि में झटका लगने की उम्मीद है क्योंकि इनपुट टैक्स क्रेडिट पात्रता का नुकसान हो सकता है। 

Trending Videos


ये भी पढ़ें: GST 2.0: कृषि इनपुट व डेयरी उत्पादों पर जीएसटी में कटौती किसानों के लिए दिवाली गिफ्ट, जानिए कैसे मिलेगा फायदा

विज्ञापन
विज्ञापन

टर्म इंश्योरेंस अधिक किफायती होंगे

एंजेल वन लिमिटेड के वरिष्ठ फंडामेंटल विश्लेषक, सीएफए, वकारजावेद खान ने कहा कि टर्म इंश्योरेंस के लिए, जीएसटी छूट से लागत में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। इससे वे अधिक किफायती हो सकते हैं। दूसरी ओर, बीमाकर्ता इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पात्रता खो सकते हैं।


यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) के लिए, इन उत्पादों में एक महत्वपूर्ण निवेश घटक होता है। इसलिए, छूट का सीधा प्रभाव ऐसे उत्पाद के लिए प्रीमियम में 18% की कमी नहीं लाएगा।

अधिक परिवारों को मिलेगी पर्याप्त स्वास्थ्य सुरक्षा

यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस के मुख्य वित्तीय अधिकारी बंकिम मापारा ने कहा कि दीर्घकालिक प्रभाव संभवतः अच्छे होंगे। उन्होंने कहा कि यह कदम अधिक परिवारों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा व बढ़ती चिकित्सा लागत के विरुद्ध वित्तीय सुरक्षा जाल के रूप में बीमा की भूमिका को सुदृढ़ करेगा।

नवाचार और सरलीकरण का अवसर

ज्यूपिटर के निदेशक बीमा एवं पीपीआई, चिन्मय जैन ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हालांकि बीमा कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट के नुकसान के कारण अपनी लागत संरचनाओं को दोबारा समायोजित करने की जरूरत हो सकती है। हम इसे परिचालन में नवाचार और सरलीकरण के अवसर के रूप में देखते हैं।

घरेलू वित्तीय लचीलेपन को मिलेगी मजबूती

एसएंडए लॉ ऑफिसेज की पार्टनर स्मिता सिंह ने इसके प्रभाव का अवलोकन करते हुए कहा कि इस कदम से बीमा क्षेत्र में व्यापक पहुंच को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। लेकिन प्रीमियम पर इसका वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि बीमा कंपनियां संशोधित कर ढांचे के साथ किस प्रकार समायोजन करती हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में यह सुधार न केवल घरेलू वित्तीय लचीलेपन को मजबूत करेगा, बल्कि अधिक सुरक्षित और समावेशी वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के व्यापक राष्ट्रीय एजेंडे के साथ भी संरेखित होगा।

एचएसबीसी का विश्लेषण क्या कहता है?

इससे पहले एचएसबीसी सिक्योरिटीज एंड कैपिटल मार्केट्स (इंडिया) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा पॉलिसियों के धीमे पुनर्मूल्यन के कारण बीमा कंपनियों को लाभप्रदता पर अल्पकालिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

कम प्रीमियम से मांग में वृद्धि की संभावना

एचएसबीसी के विश्लेषण से पता चलता है कि जीएसटी से छूट मिलन से स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम प्रीमियम से मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है, और बीमा कंपनियों को खुदरा स्वास्थ्य क्षेत्र में संयुक्त अनुपात (सीआर) पर 3 से 6 प्रतिशत का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसका मुख्य कारण नवीनीकरण की धीमी पुनर्मूल्यन प्रक्रिया है, जिसमें 12-18 महीने लग सकते हैं।

रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि जीएसटी में कटौती से बीमा कंपनियों और उपभोक्ताओं, दोनों को दीर्घकालिक लाभहोगा, भले ही अल्पकालिक मार्जिन पर दबाव हो। बेहतर किफायती दरों से ज्यादा परिवार स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं। इससे व्यापक वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को बल मिलेगा।

प्रसार में आने वाली बड़ी बाधा हुई दूर

जेएसए एडवोकेट्स एंड सॉलिसिटर्स के पार्टनर सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी हटाने से बीमा के व्यापक प्रसार में आने वाली एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में किए गए विनियामक और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सुधारों के साथ, इस क्षेत्र में अब सतत विकास के लिए सभी तत्व मौजूद हैं। इससे इस क्षेत्र में नए निवेश और विलय एवं अधिग्रहण को बढ़ावा मिलेगा।

मध्यम आय वाले परिवारों के लिए बड़ी राहत

एलायंस इंश्योरेंस ब्रोकर्स के एलिफेंट डॉट इन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (बिजनेस डेवलपमेंट) चेतन वासुदेव ने कहा कि बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी कई वर्षों से कई मध्यम आय वाले परिवारों और पहली बार बीमा खरीदने वालों के लिए मनोवैज्ञानिक और आर्थिक बाधा बना हुआ था। वासुदेव ने कहा कि इस लागत को समाप्त करके, सरकार ने बीमा उत्पादों को और अधिक किफायती बना दिया है। साथ ही यह संदेश भी दिया है कि स्वास्थ्य सुरक्षा और वित्तीय संरक्षण राष्ट्र की प्राथमिकताएं हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय Hindi News वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें कारोबार समाचार और Union Budget से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। कारोबार जगत की अन्य खबरें जैसे पर्सनल फाइनेंस, लाइव प्रॉपर्टी न्यूज़, लेटेस्ट बैंकिंग बीमा इन हिंदी, ऑनलाइन मार्केट न्यूज़, लेटेस्ट कॉरपोरेट समाचार और बाज़ार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed