आय-बचत: होम लोन के लिए उम्र की बड़ी भूमिका, 40 साल में लेना चाहते हैं कर्ज तो इन चार बातों का रखें ध्यान
बैंक अधिकतम 30 साल तक की अवधि के लिए होम लोन देते हैं। अगर आपकी उम्र 40 साल या उसके आसपास है और घर खरीदना आपके वित्तीय लक्ष्यों में से एक है, तो शुरुआत करने में देर नहीं हुई है।
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होम लोन की मदद से आप घर खरीदने का सपना पूरा कर सकते हैं। हालांकि, होम लोन के मामले में उम्र की काफी बड़ी भूमिका होती है। उम्र जितनी ज्यादा होगी, होम लोन चुकाने के लिए समय उतना कम मिलेगा और आप पर ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा।
बैंक अधिकतम 30 साल तक की अवधि के लिए होम लोन देते हैं। अगर आपकी उम्र 40 साल या उसके आसपास है और घर खरीदना आपके वित्तीय लक्ष्यों में से एक है, तो शुरुआत करने में देर नहीं हुई है। इस उम्र तक आप करियर में अच्छी तरह से स्थापित हो चुके होंगे। आय-बचत ज्यादा होगी। अगर आप इस उम्र में होम लोन चाहते हैं तो चार बातों का ध्यान जरूर रखें।
क्रेडिट स्कोर जांचें और बेहतर बनाएं
- होम लोन दिलाने में क्रेडिट स्कोर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो आपको कम ब्याज दर और आसान शर्तों पर होम लोन मिल जाएगा।
- क्रेडिट स्कोर 750 या उससे ज्यादा होना यह बताता है कि आप अपने कर्जों (क्रेडिट कार्ड, कार लोन आदि) का प्रबंधन बेहतर करते हैं और आपको उधार देने पर कोई जोखिम नहीं है।
- क्रेडिट स्कोर अच्छा नहीं होने पर बैंक आपको इस उम्र में होम लोन देने से मना कर सकता है। ऐसे में लोन के लिए आवेदन से पहले अपना क्रेडिट स्कोर सुधारें।
कम ईएमआई के लिए ज्यादा डाउन पेमेंट
ज्यादा डाउन पेमेंट आपकी ईएमआई का बोझ कर सकता है। अगर आपके पास अतिरिक्त पैसे या बचत है, तो कर्ज की राशि और ईएमआई के बोझ को कम करने के लिए डाउन पेमेंट में उनका इस्तेमाल करें।
- आमतौर पर बैंक प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 80-85 फीसदी कर्ज देते हैं। शेष 15-20 फीसदी उधारकर्ता को चुकाना पड़ता है। इसके लिए छोटी बचत का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- हालांकि, अन्य वित्तीय लक्ष्यों के लिए अलग रखी बचत-निवेश से समझौता न करें। आपात फंड से पैसे निकालने से बचें।
संयुक्त ऋण लेने पर करें विचार
40 साल की उम्र में अन्य वित्तीय जिम्मेदारियों को देखते हुए बैंक कई बार होम लोन देने से इन्कार कर देते हैं। इससे बचने के लिए अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर जॉइंट होम लोन ले सकते हैं। इसके कई लाभ हैं। आवेदन जल्द स्वीकृत हो जाता है और कर्ज की राशि के भी बढ़ने की संभावना रहती है। साथ ही, ईएमआई का बोझ साझा करने की भी सहूलियत मिलती है।