अब तक का सबसे बड़ा श्रम सुधार: नई श्रम संहिताएं मजदूर हितों को देंगी नई दिशा, BMS ने बताया ऐतिहासिक कदम
भारत में नई श्रम संहिताओं को अब तक का सबसे बड़ा श्रम सुधार बताया जा रहा है। भारतीय मजदूर संघ के अखिल भारतीय मंत्री गिरीश आर्य ने कहा कि ये कानून मजदूरों को सुरक्षा, सम्मान और आर्थिक अधिकार सुनिश्चित करते हैं।
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विकसित भारत का सपना तभी सच हो सकता है, जब देश के मेहनती कामगारों को पूर्ण सम्मान मिले और उनकी सुरक्षा मजबूत हो। कामगारों और उद्योगों के बीच एक मजबूत और भरोसेमंद रिश्ता ही देश की अर्थव्यवस्था को टिकाऊ बनाता है और उसे रफ्तार देता है।
लंबे समय से चली आ रही पुरानी व्यवस्थाओं की सीमाओं और विसंगतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सरकारी आंकड़े दर्शाते हैं कि विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार का अनुपात ऐतिहासिक रूप से अपेक्षा से कहीं कम रहा है, जिसके कारण भारत की उत्पादन क्षमता और औद्योगिक विस्तार की वास्तविक संभावनाएं पूरी तरह विकसित नहीं हो सकी हैं। ऐसे परिप्रेक्ष्य में पुराने श्रम कानूनों की जटिलताओं एवं भिन्न-भिन्न प्रावधानों को दूर करने के लिए व्यापक और संरचनात्मक सुधार समय की मांग बन चुके थे।
एक उत्तरदायी श्रमिक संगठन के रूप में हमारा मानना है कि नई श्रम संहिताएं श्रमिक हितों को मजबूत करने, अधिक अवसर प्रदान करने और सुरक्षित-सम्मानजनक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में दूरदर्शी कदम हैं। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) त्रिपक्षीय (उद्योग, सरकार और श्रमिक) वार्तालाप के महत्व पर बल देता है।
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वेतन संहिता (2019) : यह संहिता आर्थिक स्वतंत्रता के अहम सवाल को हल करती है। यह 'न्यूनतम वेतन' को सबका अधिकार बनाती है। यह 'फ्लोर वेज' की बात करती है। वेतन का एक ऐसा आधार तय होगा जिससे कम वेतन पूरे देश में कहीं नहीं दिया जा सकेगा। पहले का फैक्टरी एक्ट 1948 वाला कानून केवल कुछ चुनिंदा नौकरियों पर लागू होता था, जिसके अंतर्गत लगभग 10 प्रतिशत मजदूर ही कवर होते थे। इसके अलावा महिलाओं के लिए समान वेतन और सम्मान को सुनिश्चित करते हुए बराबरी का हक दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। साथ ही ओवरटाइम के लिए दोगुना मजदूरी की गारंटी भी दी गई है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता (2020) : यह संहिता सबको साथ लेकर चलने के मामले में एक बड़ी कामयाबी है। यह 'गिग और प्लेटफाॅर्म वर्कर्स' (जैसे ऑनलाइन डिलीवरी करने वाले या एप आधारित टैक्सी ड्राइवर) को पहली बार कानूनी तौर पर सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाती है। यह संहिता कंपनियों (एग्रीगेटर्स) से योगदान (अंशदान) लेने की व्यवस्था करती है, जिससे इन गिग वर्कर्स के लिए एक सामाजिक सुरक्षा फंड बन सकेगा। डिजिटल दुनिया में काम कर रहे युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने की यह एक समझदारी भरी पहल है।
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व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता (2020) : यह संहिता हर मजदूर के लिए काम करने की जगह को सुरक्षित और सेहतमंद बनाना सुनिश्चित करती है। विशेष रूप से, जोखिम वाले क्षेत्रों में 100% स्वास्थ्य सुरक्षा की गारंटी दी गई है। तय श्रेणियों के मजदूरों, खासकर 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के लिए, साल में एक बार मुफ्त स्वास्थ्य जांच का अधिकार मिलेगा, जिससे कार्यस्थल पर सेहत का ध्यान रखने का एक नियम बन जाएगा। दूसरे राज्यों में जाकर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए इसमें खास सुरक्षा है- जैसे घर जाने के लिए यात्रा भत्ता, और 'एक देश, एक राशन कार्ड की तरह ही पोर्टेबिलिटी की सुविधा।
औद्योगिक संबंध संहिता (2020): उद्योगों में कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र जारी करना नियोक्ताओं की एक जिम्मेदारी बन गई है। इसके अलावा, ठेका श्रमिकों के लिए निश्चित अवधि के रोजगार की गारंटी और केवल एक वर्ष की सेवा के बाद ग्रेच्युटी की गारंटी जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही यह शिकायतों को सुलझाने के लिए एक आसान तंत्र बनाना जरूरी करती है।
भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा
इन चार श्रम संहिताओं के लागू होने से भारत ने एक मजबूत कानूनी और प्रशासनिक नींव रख दी है। इनके लागू होने से 'व्यापार करने में आसानी' और 'जीवन जीने में आसानी', दोनों में बहुत सुधार आएगा। यह मजदूर और देश के बीच के रिश्तों को गहरा करेगा और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को 'विकसित भारत' की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ बनाएगा। इनके लागू होने के बाद जो सकारात्मक माहौल बनेगा, उससे साफ हो जाएगा कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। कानूनी सुधार का पूरी तरह सफल होना मजदूरों के जीवन में खुशहाली और नया उत्साह भरेगा। संहिताओं का यह नया दौर हर भारतीय मजदूर के अधिकारों की गारंटी देता है और सामाजिक न्याय के वादों को पूरा करता है। इसी के साथ भारत 'विश्व गुरु' बनने की तरफ एक और मजबूत कदम बढ़ा चुका है।