US: ट्रंप ने शुरू किया जेनेसिस मिशन, दावा- एआई के सहारे वैज्ञानिक खोज और राष्ट्रीय सुरक्षा को मिलेगी नई गति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एआई-संचालित वैज्ञानिक नवाचार को गति देना और अमेरिका के वैश्विक तकनीकी नेतृत्व को मजबूत करने के लिए जेनेसिस मिशन लॉन्च किया है। उनका दावा है कि इस मिशन से अमेरिका का तकनीकी प्रभुत्व और रणनीतिक वैश्विक नेतृत्व मजबूत होगा।
विस्तार
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जेनेसिस मिशन लॉन्च किया है। इसका उद्देश्य एआई-संचालित वैज्ञानिक नवाचार को गति देना और अमेरिका के वैश्विक तकनीकी नेतृत्व को मजबूत करना है। व्हाइट हाउस के अनुसार यह मिशन एआई आधारित नवाचार के नए दौर की शुरुआत करेगा। इसका उद्देश्य एकीकृत एआई प्लेटफॉर्म तैयार करना है, जो दुनिया के सबसे बड़े संघीय वैज्ञानिक डाटासेट संग्रह का उपयोग करेगा।
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यह देश के रिसर्च और डेवलपमेंट इकोसिस्टम को जोड़ेगी
यह एआई प्लेटफार्म संघीय वैज्ञानिक डाटासेट्स का इस्तेमाल कर साइंटिफिक फाउंडेशन मॉडल तैयार करेगा और ऐसे एआई एजेंट विकसित करेगा, जो नई परिकल्पनाओं का परीक्षण करें, शोध प्रक्रियाओं को स्वचालित बनाएं और वैज्ञानिक खोजों को तेज करें। यह पहल पूरे देश के रिसर्च और डेवलपमेंट इकोसिस्टम को एक साथ जोड़ेगी। इसमें नेशनल लैबोरेट्रीज, विश्वविद्यालय, निजी कंपनियां, शोध अवसंरचना, डेटा रिपॉजिटरीज, उत्पादन संयंत्र और राष्ट्रीय सुरक्षा सुविधाएं शामिल होंगी, जिससे विज्ञान और तकनीक में तेज प्रगति के लिए एक व्यापक नेटवर्क तैयार होगा।
तकनीकी प्रभुत्व और रणनीतिक वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करने पर जोर
बयान में कहा गया है कि यह मिशन वैज्ञानिक खोज में तेजी लाएगा, राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा, ऊर्जा प्रभुत्व को सुरक्षित करेगा, कार्यबल की उत्पादकता को बढ़ाएगा, और अनुसंधान और विकास में करदाताओं के निवेश पर प्रतिफल को कई गुना बढ़ाएगा, जिससे अमेरिका का तकनीकी प्रभुत्व और रणनीतिक वैश्विक नेतृत्व मजबूत होगा।
मिशन का एक केंद्रीय भाग अमेरिकी विज्ञान और सुरक्षा प्लेटफॉर्म का निर्माण होगा, जो उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग संसाधन, एआई मॉडलिंग उपकरण, डोमेन-विशिष्ट आधार मॉडल, संघीय डेटासेट तक सुरक्षित पहुंच और एआई-सक्षम प्रयोग उपकरण प्रदान करेगा।
ट्रंप प्रशासन ने मिशन को मजबूती देने के लिए किए निर्देश जारी
अमेरिकी प्रशासन ने इस मिशन को मजबूती देने के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। आदेश के तहत ऊर्जा विभाग को 60 दिनों के भीतर कम से कम 20 प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी चुनौतियों की पहचान करनी होगी। इनमें उन्नत विनिर्माण, बायोटेक्नोलॉजी, क्रिटिकल मटेरियल्स, न्यूक्लियर फिशन और फ्यूजन ऊर्जा, क्वांटम इंफॉर्मेशन साइंस और सेमीकंडक्टर्स जैसे रणनीतिक क्षेत्र शामिल होंगे।
इसके बाद एपीएसटी इन चुनौतियों की विस्तृत सूची तैयार करेगा, जो मिशन के तहत होने वाले अनुसंधान को दिशा देगी। पहल में एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, विश्वविद्यालयों व उद्योग के साथ साझेदारी, प्रतिस्पर्धी शोध कार्यक्रम और उन बाहरी भागीदारों के साथ सुरक्षित सहयोग जैसी व्यवस्थाएं शामिल होंगी, जिनके पास उन्नत एआई, डेटा या कंप्यूटिंग क्षमताएं हैं।
आदेश में यह भी स्पष्ट है कि मिशन को लागू करने की जिम्मेदारी ऊर्जा मंत्री के पास होगी। ऊर्जा मंत्री आवश्यकता पड़ने पर एक वरिष्ठ राजनीतिक नियुक्ति कर सकते हैं, जो मिशन के रोजमर्रा के संचालन की निगरानी करेगा।