Health: 'सस्ते मेडिकल उपकरणों का ग्लोबल सप्लायर बन सकता है भारत', बाल मृत्यु दर पर गेट्स फाउंडेशन की यह राय
गेट्स फाउंडेशन के सीईओ मार्क सुजमैन ने कहा कि भारत वैक्सीन उद्योग के मॉडल पर आगे बढ़ते हुए सस्ते और आधुनिक स्वास्थ्य उपकरणों का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बन सकता है। साथ ही उन्होंने बच्चों की मौतों पर चौकाने वाले आंकड़े पेश किए। आइए विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
भारत वैक्सीन निर्माण में वैश्विक दबदबे के बाद अब किफायती डायग्नोस्टिक्स और मेडिकल उपकरणों के क्षेत्र में दुनिया की अगली बड़ी ताकत बनने की ओर बढ़ रहा है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सीईओ मार्क सुजमैन ने यह बात कही। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि दुनिया इस सदी में पहली बार बच्चों की बढ़ती मौतों के वर्ष में प्रवेश कर रही है।
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भारत की क्षमता सस्ती स्वास्थ्य तकनीकों को दे रही दिशा
2025 गोलकीपर रिपोर्ट के विमोचन पर सुजमैन ने कहा कि भारत की उच्च गुणवत्ता और कम लागत वाली विनिर्माण क्षमता ने वैश्विक टीकाकरण को बदल दिया है और अब यही क्षमता सस्ती स्वास्थ्य तकनीकों को नई दिशा दे रही है। इनमें एआई सक्षम एंटीनैटल टेस्टिंग डिवाइस और दो डॉलर से कम कीमत में आने वाला नया टीबी टेस्ट शामिल है।
2025 में 4.8 मिलियन बच्चों की मौत का अनुमान
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौतों का आंकड़ा 2024 में 4.6 मिलियन से बढ़कर 2025 में 4.8 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह 2000 के बाद पहली बार वृद्धि होगी, जो दो दशक की प्रगति को उलटने वाली स्थिति मानी जा रही है।
वैश्विक स्वास्थ्य सहायता में कटौती से कितना हो सकता है नुकसान?
इसमें चेतावनी दी गई है कि वैश्विक स्वास्थ्य सहायता में 20 प्रतिशत की कटौती से 2045 तक 12 मिलियन अतिरिक्त बच्चों की मृत्यु हो सकती है और अगर कटौती 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है तो यह संख्या बढ़कर 16 मिलियन हो जाएगी।
सुजमैन ने कहा कि इन उलटफेरों से अफ्रीका सबसे अधिक प्रभावित होगा, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, मिशन इन्द्रधनुष और स्वास्थ्य व कल्याण केन्द्रों में दीर्घकालिक निवेश के बल पर भारत संभवतः शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में सफल रहेगा।
वैश्विक स्वास्थ्य में प्राप्तकर्ता से योगदानकर्ता बना भारत
उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति ने उसे वैश्विक स्वास्थ्य में प्राप्तकर्ता से योगदानकर्ता बना दिया है। साथ ही उन्होंने इस वर्ष ग्लोबल फंड के लिए सरकार द्वारा 30 मिलियन डॉलर देने की प्रतिबद्धता की ओर इशारा किया, जो 25 प्रतिशत की वृद्धि है। उन्होंने कहा कि भारत के पास शेष विश्व के लिए महत्वपूर्ण सबक हैं। उन्होंने बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे ऐतिहासिक रूप से पिछड़े राज्यों में भी सुधार की बात कही।
रिपोर्ट में भारत के टीकाकरण लाभों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें 2024 में 94 प्रतिशत पेंटावेलेंट वैक्सीन कवरेज और कम लागत वाले भारतीय निर्मित टीकों का प्रभाव शामिल है, जैसे कि 2 डॉलर का न्यूमोकोकल वैक्सीन और 1 डॉलर का रोटावायरस वैक्सीन, जिससे अफ्रीका और एशिया में टीकों की व्यापक शुरूआत संभव हुई है।
रिपोर्ट में बाल जीवन दर की गिरावट पर तत्काल कार्रवाई का आह्वान
इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि नियमित टीकाकरण वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम खरीद है, व इसमें खर्च किए गए प्रत्येक डॉलर पर 54 डॉलर की वापसी होती है। सुजमैन ने कहा कि मातृ व नवजात शिशु देखभाल, पोषण और टीकाकरण दरों को और बढ़ाने में चुनौतियां बनी हुई हैं। गोलकीपर्स रिपोर्ट में वैश्विक बाल जीवन दर में अनुमानित गिरावट को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया गया है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि हम लगभग पर ही नहीं रुक सकते।