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India Ratings : पूरे वित्त वर्ष में नौ साल के उच्च स्तर पर रहेगी महंगाई, 2022-23 में भी राहत मिलने की उम्मीद नहीं

एजेंसी, मुंबई। Published by: योगेश साहू Updated Thu, 19 May 2022 02:58 AM IST
सार

रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत दरों में बढ़ोतरी और घरेलू बाजार से विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी के कारण रुपये पर दबाव बना रहेगा। 2022-23 के दौरान रुपये में करीब 5 फीसदी की गिरावट आएगी और यह डॉलर के मुकाबले औसतन 78.19 के स्तर तक पहुंचेगा।

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India Ratings: Inflation will remain at a high level of 9 years throughout the financial year, no relief expected in 2022 To 2023
महंगाई - फोटो : pixabay
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विस्तार
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लगातार बढ़ रही महंगाई से चालू वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इस दौरान पूरे वित्त वर्ष के दौरान औसत महंगाई 9 साल के उच्चतम स्तर पर 6.9 फीसदी रह सकती है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को रिपोर्ट में कहा कि बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए आरबीआई रेपो दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। 

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हालात गंभीर होने पर नीतिगत दर में 1.25 फीसदी तक वृद्धि की जा सकती है। घरेलू रेटिंग एजेंसी ने कहा कि केंद्रीय बैंक रेपो दर सबसे पहले जून, 2022 में 0.50 फीसदी बढ़ा सकता है। इसके बाद अक्तूबर, 2022 में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। 
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इसके अलावा, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को भी चालू वित्त वर्ष के अंत तक 0.50 फीसदी बढ़ाकर 5 फीसदी किया जा सकता है। बढ़ती महंगाई को नियंत्रण में करने के लिए केंद्रीय बैंक ने 4 मई को बिना पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम के रेपो दर में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। सीआरआर भी 0.50 फीसदी बढ़ाकर 4.5 फीसदी किया था। 

खुदरा महंगाई में सितंबर के बाद थोड़ी राहत 
घरेलू रेटिंग एजेंसी ने कहा कि खुदरा महंगाई की दर इस साल सितंबर तक लगातार बढ़ेगी। इसके बाद ही इसमें धीरे-धीरे कमी आएगी। इसके बावजूद यह 6 फीसदी से ज्यादा ही रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा महंगाई लगातार तीन तिमाही से आरबीआई के ऊपरी दायरे 6 फीसदी से ज्यादा रही है। ऐसे में केंद्रीय बैंक आने वाले समय में सख्त रुख अपना सकता है।  

महामारी में आपूर्ति ने बढ़ाई समस्या  
महामारी में मांग कम होने के बावजूद नवंबर, 2020 तक खुदरा महंगाई 6 फीसदी से ज्यादा रही। इसकी एक वजह आपूर्ति पक्ष का बाधित होना भी था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-16 से लेकर 2018-19 तक लगातार चार साल पर खुदरा महंगाई औसतन 4.1 फीसदी रही थी। इसके बाद पहली बार दिसंबर, 2019 में यह 6 फीसदी के पार पहुंच गई थी, जो आरबीआई के ऊपरी दायरे से ज्यादा है।  

रुपये पर बढ़ेगा दबाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि नीतिगत दरों में बढ़ोतरी और घरेलू बाजार से विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी के कारण रुपये पर दबाव बना रहेगा। 2022-23 के दौरान रुपये में करीब 5 फीसदी की गिरावट आएगी और यह डॉलर के मुकाबले औसतन 78.19 के स्तर तक पहुंचेगा। डॉलर के मुकाबले घरेलू मुद्रा में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से आयात करना महंगा हो जाएगा। 

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