ICRA: भारतीय उद्योग जगत की आय तीसरी तिमाही में 8 से 10% बढ़ने का अनुमान, आईसीआरए की रिपोर्ट में दावा
आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उद्योग जगत को वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 8 से 10 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में खर्च स्थिर बना हुआ है। वहीं कई नीतिगत कदम शहरों में धारणा को सहारा दे रहे हैं।
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भारतीय उद्योग जगत को वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही में सालाना आधार पर 8 से 10 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि की उम्मीद है। रेटिंग्स एजेंसी आईसीआरए के अनुसार यह बढ़ोतरी पिछली तिमाही के 9.2% उछाल के बाद आई है। यह मांग में जारी स्थिरता को दर्शाती है। एजेंसी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में मजबूत खर्च और शहरी मांग में संभावित सुधार इस तिमाही के प्रमुख सहायक कारक रहेंगे।
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इनपुट लागत में नरमी से कंपनियों पर दबाव कम होगा
आईसीआरए के मुताबिक, क्रूड ऑयल और कोयले जैसी इनपुट लागत में नरमी से कंपनियों पर लागत का दबाव कम होगा। इससे उनकी ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 50 से 100 आधार अंकों की सालाना बढ़त संभव है। लागत में यह राहत कंपनियों के क्रेडिट मैट्रिक्स को भी मजबूत कर सकती है। अनुमान है कि ब्याज कवरेज अनुपात तीसरी तिमाही में 5.3 से 5.5 गुना तक पहुंच जाएगा, जो दूसरी तिमाही के 5.0 गुना से बेहतर स्तर है।
ग्रामीण और शहरी मांग
आईसीआरए में वरिष्ठ उपाध्यक्ष व सह-समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग्स) किंजल शाह का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में खर्च स्थिर बना हुआ है। वहीं कई नीतिगत कदम शहरों में धारणा को सहारा दे रहे हैं।
शाह कहती हैं कि घरेलू ग्रामीण मांग लचीली बनी हुई है और जीएसटी दर युक्तिकरण, केंद्रीय बजट 2025 के दौरान आयकर राहत की घोषणा, फरवरी 2025 और नवंबर 2025 के बीच आरबीआई द्वारा ब्याज दर में 100 आधार अंकों की कटौती और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी जैस अनुकूल परिस्थितियों से शहरी खपत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
वैश्विक अनिश्चितताओं और भारी टैरिफ का पड़ रहा असर
उन्होंने यह भी कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका के भारी टैरिफ से निर्यात से जुड़े क्षेत्रों को नुकसान हो रहा है, जिनमें कृषि-रसायन, वस्त्र, ऑटो घटक, समुद्री खाद्य, कटे और पॉलिश किए गए हीरे और आईटी सेवाएं शामिल हैं।
दूसरी तिमाही में इन क्षेत्रों में हुई वृद्धि
आईसीआरए के अध्ययन से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में खुदरा, होटल, ऑटो, पूंजीगत वस्तुओं और सीमेंट क्षेत्रों में मजबूत मांग के कारण राजस्व में वृद्धि हुई। लेकिन इस तिमाही में कुछ क्षेत्रों में मंदी भी देखी गई। तेल एवं गैस, एयरलाइंस और बिजली क्षेत्र में मौसमी गिरावट देखी गई। जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाए जाने की उम्मीदों के बीच उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और एफएमसीजी कंपनियों की मांग कमजोर रही। अमेरिकी ग्राहकों द्वारा सावधानी से खर्च करने के कारण आईटी सेवाओं को संघर्ष करना पड़ा।