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उपलब्धि:भारत की अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार, अमेरिका-चीन रह गए पीछे

अमर उजाला ब्यूरो Published by: लव गौर Updated Sun, 23 Nov 2025 04:16 AM IST
सार

भारत की तुलना में अमेरिका, चीन, रूस और यूरो-एशिया जैसी अर्थव्यवस्थाएं अभी महामारी के झटके से उबरने के लिए ही जूझ रही हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की तीन सदस्यीय आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन रहे जैसन फुरमन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और संबंधित देशों के आंकड़ों के आधार पर यह खाका पेश किया है।

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Indias economy picks up pace, leaving America and China behind
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के झटके से उबरते हुए उससे पहले की स्थिति से भी आगे निकल गई है। महामारी के बाद बुनियादी ढांचे, आपूर्ति शृंखला और डिजिटल क्षेत्र में किए गए मजबूत सुधार के लिए किए गए उपायों के कारण यह बदलाव आया है।
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भारत की तुलना में अमेरिका, चीन, रूस और यूरो-एशिया जैसी अर्थव्यवस्थाएं अभी महामारी के झटके से उबरने के लिए ही जूझ रही हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की तीन सदस्यीय आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन रहे जैसन फुरमन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और संबंधित देशों के आंकड़ों के आधार पर यह खाका पेश किया है।
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फुरमन ने विभिन्न चार्ट के जरिये भारत, अमेरिका, यूरो एरिया यानी यूरोपीय संघ, रूस और चीन की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना की है और अनुमानित विकास दर पेश किया है। 2019 से 2025 की तीसरी तिमाही तक के आंकड़ों का आकलन किया गया है। 

जीडीपी 10% तक रहने का जताया अनुमान
फुरमन के आकलन के अनुसार, 2025 की तीसरी तिमाही तक भारत की जीडीपी कोरोना से पहले की वास्तविक जीडीपी रुझान को पार करते हुए 10 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। इन सब कारकों से इस साल के अंत तक भारत के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। उक्त अवधि के दौरान अमेरिका की जीडीपी भी बढ़ेगी, लेकिन उसकी प्रगति 5 फीसदी आसपास रहेगी। वहीं, चीन और यूरो एरिया के रुझानों से काफी नीचे रहेंगे जो क्रमशः माइनस 10 प्रतिशत और माइनस 5 प्रतिशत है।

चीन के प्रॉपर्टी क्षेत्र में आए संकट और डेमोग्राफिक मंदी के साथ-साथ यूक्रेन युद्ध से यूरोप के ऊर्जा क्षेत्र में आई कमजोरी इसकी मुख्य वजह है। इनकी तुलना में यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूस की जीडीपी कोरोना से पहले के रास्ते पर अग्रसर है, हालांकि, उसकी गति धीमी हो गई है, लेकिन सकारात्मक बनी हुई है और लगभग 1.1 फीसदी पर बनी हुई है।

भारत में दूसरे देशों से कम गिरावट
फुरमन ने आंकड़ों के विश्लेषण कर जो चार्ट पेश किया है, उसमें साफ नजर आता है कि 2020 में जब कोरोना महामारी फैली थी, तब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा था। लेकिन उस दौरान भी, बाकियों की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था में कम गिरावट देखी गई और वह शून्य से  5  से 10 के बीच बनी रही। जैसे यूरो एरिया में डीजीपी शून्य से 20 फीसदी से नीचे चली गई, अमेरिका की माइनस 10 फीसदी रही, चीन और रूस भी शून्य से नीचे रहे।

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भारत ने किया चमत्कार
फुरमन के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद भारत की प्रगति किसी चमत्कार से कम नहीं है। भारत ने कोरोना के कारण ध्वस्त आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत के साथ पटरी पर लाया, बल्कि लॉकडाउन और वैश्विक संकट के कारण पैदा हुए हालात से भी बेहतर ढंग से निपटा। भारत ने यूपीआई जैसे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया, सड़कों जैसी बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाया, सूचना प्रौद्योगिकी और फार्मा के निर्यात को मजबूती दी।
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