Jet Airways: अर्श से फर्श पर आया जेट एयरवेज? देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन और मालिक नरेश गोयल ऐसे हुए बर्बाद
Jet Airways: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (अब पूर्व), न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जेट एयरवेज की दिवाला कार्यवाही पर रोक लगाते हुए इस बारे में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को खारिज कर दिया। इस फैसले के साथ ही कभी देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन रही जेट एयरवेज की फिर से उड़ान भरने की उम्मीद भी लगभग खत्म हो गई। आइए जानते हैं जेट एयरवेज और उसके संस्थापक नरेश गोयल के अर्श से फर्श तक पहुंचने की पूरी कहानी।
विस्तार
कभी देश की सबसे बड़ी एयरलाइन रही जेट एयरवेज अब शायद कभी दोबारा उड़ान नहीं भर पाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी जेट एयरवेज से जुड़े मामले में गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने एयरलाइन को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को सौंपने के एनसीएलएटी के फैसले को खारिज कर दिया और अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए एयरलाइन की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश दिया। अदालत के इस फैसले के बाद एयरलाइन के दोबारा उड़ान भरने की संभावनाएं भी लगभग खत्म हो गईं। जेट एयरवेज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला क्यों सुनाया? कभी नंवर वन एयरलाइन रही जेट एयरवेज आखिर इतनी खस्ता हाल स्थिति में कैसे पहुंच गई? इसके संस्थापक रहे नरेश गोयल का क्या हुआ? आइए विस्तार से जानते हैं।
सबसे पहले यह जान लेते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या-क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (अब पूर्व), न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने जेट एयरवेज की दिवाला कार्यवाही पर रोक लगाते हुए इस बारे में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को खारिज कर दिया। पीठ ने मामले को ‘‘आंखें खोलने वाला ’’ करार दिया और जालान कलरॉक गठजोड़ (जेकेसी) की पहली किस्त के भुगतान के मद्देनजर प्रदर्शन बैंक गारंटी (पीबीजी) के समायोजन की अनुमति देने के लिए एनसीएलएटी की खिंचाई की। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने जेकेसी को अपने भुगतान दायित्वों का पूर्णतः पालन किए बिना ही जेट एयरवेज का अधिग्रहण करने की अनुमति दे दी थी।
अदालत ने कहा, ‘‘एनसीएलएटी का वह आदेश जिसमें एसआरए (सफल समाधान आवेदक) को 350 करोड़ रुपये के भुगतान की पहली किस्त के विरुद्ध 150 करोड़ रुपये के पीबीजी को समायोजित करने का निर्देश दिया गया था, इस अदालत के आदेश की घोर अवहेलना है..." पीठ ने कहा, ‘‘हमारे मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि एनसीएलएटी ने स्थापित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत काम किया और मामले पर निर्णय देते समय सही तथ्यों से गलत निष्कर्ष निकालने की हद तक चला गया।"
पूर्व में एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दे दी थी। उसके बाद भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था। इसी मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दिवाला समाधान प्रक्रिया को खारिज करते हुए जेट एयरवेज की संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया।
अब जानते हैं जानते हैं जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल के बारे में
आर्थिक अनियमतताओं के आरोप में गिरफ्तार किए गए जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल मुंबई के एक अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। कुछ समय पूर्व गोयल ने अपनी अंतरिम चिकित्सा जमानत बढ़ाने के लिए बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया था। इससे पहले उच्च न्यायालय ने छह मई को गोयल को चिकित्सा आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत दी थी। वहीं 16 मई को कैंसर के कारण उनकी पत्नी अनीता गोयल का भी निधन हो गया था।
नरेश गोयल को क्यों गिरफ्तार किया गया था?
नरेश गोयल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सितंबर 2023 में केनरा बैंक की ओर से जेट एयरवेज को दिए गए 538.62 करोड़ रुपये के ऋण में गड़बड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उनकी पत्नी अनीता गोयल को नवंबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था जब ईडी ने मामले में अपनी चार्जशीट दाखिल की थी। विशेष अदालत ने उसी दिन उनकी उम्र और चिकित्सीय स्थिति को देखते हुए उन्हें जमानत दे दी थी।
नरेश गोयल पर क्या हैं आरोप?
सीबीआई ने बैंक की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की थी। इसमें बैंक ने आरोप लगाया है कि उसने जेट एयरवेज लि. (जेएएल) को 848.86 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था जिसमें से 538.62 करोड़ रुपये अब भी बकाया हैं। इस खाते को 29 जुलाई 2021 को फ्रॉड घोषित कर दिया गया था। बैंक का आरोप था कि कंपनी के फोरेंसिक ऑडिट से पता चला कि उसने अपनी अन्य कंपनियों को 1410.41 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में भुगतान किया और इस तरह जेट का पैसा बाहर भेजा गया। जेट ने अपनी सब्सिडियरी कंपनियों को कर्ज या अन्य निवेश के जरिये भी पैसे का भुगतान किया।
अब जानते हैं जेट एयरवेज के अर्श से फर्श पर पहुंचने की पूरी कहानी?
जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने 1967 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद ट्रैवल एजेंसी में काम करना शुरू किया। जहां वह एक लेबनान की एयरलाइंस का काम देखते थे। धीरे-धीरे नरेश गोयल इस बिजनेस के विशेषज्ञ बन गए और उसके बाद कई बड़ी एयरलाइंस में बड़े पदों पर काम किया। इसके बाद नरेश गोयल ने पत्नी अनिता गोयल के साथ मिलकर जेट एयर प्राइवेट लिमिटेड की शुरुआत की लेकिन शुरू में कंपनी विदेशी एयरलाइंस की मार्केटिंग और सेल्स का जिम्मा संभालती थी। 5 मई 1993 को जेट एयरवेज ने दो विमानों बोइंग 737 और बोइंग 300 के साथ घरेलू उड़ान सेवाओं की शुरुआत की। धीरे-धीरे जेट एयरवेज देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइंस बन गई। एक समय कंपनी के पास कुल 120 विमान थे। अपने चरम के समय जेट एयरवेज हर रोज 650 उड़ानों का संचालन करती थी और उस समय नरेश गोयल की गिनती देश के 20 सबसे अमीर लोगों में होती थी।
कर्ज के बढ़ते बोझ ने जेट एयरवेज को जमीन पर पटका
जेट एयरवेज ने साल 2006 में खस्ताहाल एयर सहारा को 50 करोड़ डॉलर नकद देकर खरीदा, जो बाद में डूब गई। इससे जेट एयरवेज को बड़ा झटका लगा। जेट एयरवेज स्ट्रैटेजिक इन्वेस्टर्स को ढूंढने में भी नाकाम रही। इससे कंपनी का घाटा बढ़ता गया। इसी बीच भारतीय विमान बाजार में इंडिगो, स्पाइस जेट और गो एयर जैसी बजट एयरलाइंस की एंट्री हुई, जिन्होंने सस्ते टिकट देकर जेट एयरवेज के बाजार पर अपनी पकड़ बना ली।
संकट से घिरी जेट एयरवेज ने साल 2013 में अपने 24 प्रतिशत शेयर एतिहाद एयरलाइंस को बेच दिए। 2018 में घाटे से उबरने के लिए कंपनी ने अपने कर्मचारियों की सैलरी में 25 प्रतिशत की कटौती की। साथ ही घरेलू उड़ान के दौरान यात्रियों को दिए जाने वाला मुफ्त खाना भी बंद कर दिया। कंपनी पर केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सिंडीकेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और इलाहाबाद बैंक सहित कुछ विदेशी बैंकों के 8,000 करोड़ का कर्ज चढ़ गया और लीज का किराया न चुकाने के चलते जेट एयरवेज आखिरकार 17 अप्रैल 2019 को ग्राउंडेड हो गई। उसके बाद कंपनी की दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू हुई जिसमें जेकेसी सबसे बड़ी बोलीकर्ता के रूप में सामने आई। इससे एक उम्मीद बढ़ी की जेट एयरवेज फिर उड़ान भरेगी, पर अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह सपना भी चकनाचूर हो गया है।
खुदरा निवेशकों को अब सता रहा यह डर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जेट एयरवेज के करीब 1.43 लाख खुदरा शेयरधारकों पर उनके निवेश के पूरी तरह खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, खुदरा निवेशक (जिन्होंने ₹ 2 लाख से कम निवेश किया है) वर्तमान में जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड के 19.29% शेयरों के मालिक हैं। इसका मतलब है कि कंपनी में 1,43,894 शेयरधारकों के पास 2,19,12,441 शेयर हैं, जिसका मतलब है कि खुदरा शेयरधारकों के पास जेट एयरवेज के कुल शेयरों में ₹74,58,99,491.64 ( ₹74.59 करोड़) का स्वामित्व है। 8 नवंबर के कारोबारी सत्र के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर कंपनी के शेयर 34.04 रुपये पर बंद हुए थे । यह 1.79 अंक या 5% की गिरावट थी।