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Labour Codes: नई श्रम संहिताएं बेहतर श्रमिक सुरक्षा और मजबूत अनुपालन के लिए, समझें इसमें क्या-क्या है खास

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 24 Nov 2025 07:20 PM IST
सार

Labour Codes: पीएफ और ग्रेच्युटी में नियोक्ता का योगदान अधिक होगा। अनुपालन बनाए रखने के लिए उन्हें सीटीसी को बदलता पड़ सकता है। यह वेतन की परिभाषा में परिवर्तन के कारण प्रभावी होगा, इसके तहत भत्तों की मात्रा कुल सकल वेतन के 50 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई है। आइए जानते हैं चार नई श्रम संहिताएं कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर क्या-क्या असर डालेंगी।

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Labour Codes: New Labour Codes for Better Worker Protection and Enhanced Compliance, Know Details
नई श्रम संहिता लागू - फोटो : अमर उजाला प्रिन्ट/एजेंसी
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विस्तार
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सरकार ने पिछले सप्ताह नई श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया। इसे बीते कई दशकों में श्रम विनियमन के क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार बताया जा रहा है। नई व्यवस्था में 29 कानूनों को चार सरलीकृत संहिताओं में विलय कर दिया गया है। नई संहिताओं के जरिए मजबूत श्रमिक संरक्षण, स्वच्छ अनुपालन और व्यवसायों के लिए अधिक लचीलेपन का वादा किया गया है।

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आइए जानते हैं चार नई श्रम संहिताएं कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर क्या असर डालेंगी।

कर्मचारियों के टेक होम वेतन पर क्या असर?

"मजदूरी की नई परिभाषा के अनुसार, भत्ते कुल मुआवजे के 50 प्रतिशत तक सीमित होंगे। इसका मतलब है कि मूल वेतन बढ़ेगा, जिससे भविष्य निधि (पीएफ) और ग्रेच्युटी अंशदान में वृद्धि होगी। टेक-होम वेतन में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन सेवानिवृत्ति लाभों में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वर्तमान में, बड़ी संख्या में नियोक्ता कर और अन्य देनदारियों को कम करने के लिए विभाजित भत्ते की पेशकश करते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे कर्मचारियों का वेतन कम हो जाएगा, लेकिन नियोक्ताओं के लिए अनुपालन बोझ और लागत भी बढ़ जाएगी।

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नियोक्ताओं पर नई श्रम संहिताओं का क्या असर?

पीएफ और ग्रेच्युटी में नियोक्ता का योगदान अधिक होगा। अनुपालन बनाए रखने के लिए उन्हें सीटीसी को बदलता पड़ सकता है। यह वेतन की परिभाषा में परिवर्तन के कारण प्रभावी होगा, इसके तहत भत्तों की मात्रा कुल सकल वेतन के 50 प्रतिशत तक सीमित कर दी गई है। इसका अर्थ यह है कि सकल वेतन का 50 प्रतिशत मूल वेतन है जिस पर सामाजिक सुरक्षा लाभ तथा ग्रेच्युटी और भविष्य निधि जैसे अंशदान की गणना की जाती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वेतन की परिभाषा 21 नवंबर, 2025 को वेतन संहिता 2019 की अधिसूचना के तुरंत बाद लागू हो गई है।

नौकरी की सुरक्षा का क्या होगा?

निश्चित अवधि के कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के समान ही वैधानिक लाभ मिलते हैं, जिसमें ग्रेच्युटी भी शामिल है (यदि कार्यकाल की शर्तें पूरी होती हैं)। स्पष्ट विवाद-समाधान तंत्र नौकरी की सुरक्षा में सुधार ला सकते हैं और मनमानी कार्रवाई को कम कर सकते हैं।

नियोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?

अब वे दीर्घकालिक देनदारियों के बिना निश्चित अवधि के अनुबंधों पर प्रतिभाओं को नियुक्त कर सकते हैं। छंटनी/कार्यालय बंद करने की सीमा बढ़ाकर 300 कर्मचारी कर दी गई है, जिससे उन्हें जनशक्ति नियोजन में अधिक लचीलापन मिलेगा।

काम के घंटे पर क्या असर?

कार्य घंटों के मानकीकरण (48 घंटे की साप्ताहिक सीमा) से पूर्वानुमान में सुधार होता है। ओवरटाइम नियम और अवकाश प्रावधान अधिक स्पष्ट और अधिक लागू करने योग्य होते हैं। कड़े सुरक्षा और कल्याण मानदंड कार्यस्थल की स्थितियों को बेहतर बनाते हैं।

सामाजिक सुरक्षा पर क्या असर पड़ेगा?

गिग, प्लेटफॉर्म और असंगठित श्रमिकों को अब औपचारिक रूप से मान्यता मिल गई है। साथ ही, ईपीएफ, ईएसआई, मातृत्व लाभ और चोट क्षतिपूर्ति तक पहुँच का दायरा भी बढ़ गया है। डिजिटल पंजीकरण से लाभों का दावा करना आसान हो गया है। प्लेटफार्मों को गिग श्रमिकों के लिए समर्पित सामाजिक सुरक्षा निधि में योगदान करने की आवश्यकता हो सकती है।

अनुपालन बढ़ेंगे या घटेंगे?

कर्मचारियों के लिए, सरल नियमों का मतलब है कि लाभों और अधिकारों पर नज़र रखना और उन्हें लागू करना आसान है। कम रजिस्टर और रिटर्न के कारण नियोक्ताओं को भी लाभ होता है। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नियोक्ता कर्मचारियों के कर को कम करने के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और लाभों जैसे पीएफ, ईएसआईसी और ग्रेच्युटी पर उनके खर्च को कम करने के लिए वेतन को कई भत्तों में विभाजित कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने बताया कि चूंकि कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में योगदान के लिए मूल वेतन की सीमा 15,000 रुपये प्रति माह है, इसलिए नियोक्ता इस योजना में इस राशि का 8.33 प्रतिशत योगदान करना जारी रखेंगे।

अधिकारी ने बताया कि शेष राशि कर्मचारी भविष्य निधि में जाएगी तथा इससे कर्मचारियों के ईपीएफ लाभ में वृद्धि होगी। इससे पहले, कई अवसरों पर ईपीएफओ ने कंपनियों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान की गणना के उद्देश्य से सकल वेतन का 50 प्रतिशत मूल वेतन के रूप में रखने के मानदंड का पालन करने के लिए आगाह किया था। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी कर्मचारियों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य करना है।

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