NBFCs AUM: एनबीएफसी फर्मों का एयूएम लगातार बढ़ने का अनुमान, अगले वित्त वर्ष 50 लाख करोड़ रुपये के होगा पार
NBFCs AUM: नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) मौजूदा वित्तीय वर्ष (2025-26)और अगले वित्त वर्ष (2026-27) में लगातार 18 से 19 प्रतिशत बढ़ेगें। एनबीएफसी के एयूएम बढ़ने की वजह बढ़ी हुई उपभोग की मांग है जो मार्च 2027 तक 50 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करने की संभावना है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
विस्तार
नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) के एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) मौजूदा वित्तीय वर्ष (2025-26 ) और अगले वित्त वर्ष (2026-27) में लगातार 18 से 19 प्रतिशत बढ़ेंगे। एनबीएफसीस के एयूएम बढ़ने की वजह बढ़ी हुई मांग है, जो मार्च 2027 तक 50 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर करता है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के एनबीएफसी के आउटलुक में कहा गया है, हाल के पॉलिसी उपायों, जैसे कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में सुधार करना और कम करने से सभी एसेट क्लास में रिटेल क्रेडिट मांग बढ़ाने में मदद की है और भविष्य में भी करेगा। हालांकि जोखिम की आशंका और वित्तपोषण तक पहुंच जो कि डायनामिक्स अलग-अलग एंटिटीज और एसेट सेगमेंट में ग्रोथ आउटलुक पर अलग तरह से असर डालेंगे।
वाहनों के वित्तपोषण में बनी रहेगी वृद्धि
क्रिसिल के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष से अगले वित्तीय वर्ष में वाहन फाइनेंस (व्हीकल फाइनेंस, एनबीएफसी एयूएम का 22 प्रतिशत ) की ग्रोथ 16-17 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी। जीएसटी में कटौती से सभी वाहन कैटेगरी विशेषकर कारों की यूनिट बिक्री को बढ़ावा मिला है और यह तेजी जारी रहने की उम्मीद है। इसके अलावा खरीदारों के बीच प्रीमियम गाड़ियों की बढ़ती मांग और यूज्ड वाहनों के फाइनेंसिंग पर फोकस से इस सेगमेंट में एयूएम की ग्रोथ को सहारा मिलेगा। हालांकि नए वाहनों के फाइनेंस में बैंकों के साथ एनबीएफसी को मजबूत प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी।
होम लोन कैटेगरी में दो वित्त वर्ष में 12-13 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान
क्रिसिल के अनुसार होम लोन (एनबीएफसी का एयूएम 22 प्रतिशत ) दो वित्तीय वर्ष में एनबीएफसी के होम लोन की वृद्धि 12 से 13 प्रतिशत होने का अनुमान है। जो कि पिछले वित्तीय वर्ष से 14 प्रतिशत कम है। हालांकि एंड यूजर हाउसिंग की लंबे समय की मांग मजबूत बनी हुई है। लेकिन प्राइम होम लोन मार्केट में विशेषकर पब्लिक सेक्टर बैंक्स से बड़ी प्रतिस्पर्धा की वजह से एनबीएफसी की होम लोन वृद्धि प्रभावित होगी। इसके अलावा शीर्ष सात शहरों में रेजिडेंशियल रियल एस्टेट बिक्री की वृद्धि (वैल्यू के हिसाब से) उम्मीद से कम है और इसका असर नए होम लोन के डिस्बर्समेंट पर भी असर पड़ सकता है।
क्रिसिल रेटिंग्स के चीफ रेटिंग ऑफिसर कृष्णन सीतारामन कहते हैं, अधिक प्रतियोगिता की वजह से वाहन फाइनेंस और होम लोन में लगातार वृद्धि देखने को मिलेगी। हालांकि ग्राहक के बढ़ते दबाव को देखते हुए एनबीएफसीस विशेषकर माइक्रो, मीडियम और स्मॉल एंटरप्राइज (एमएसएमई) और असुरक्षि त लोन (अनसिक्योर्ड लोन) सेगमेंट में रिस्क कैलिब्रेटेड ग्रोथ अपनाएंगी।
वित्तीय वर्ष 2024 में पर्सलन लोन में 37 प्रतिशत उच्चतम से (एनबीएफसी एयूएम 11 प्रतिशत) यह ग्रोथ पिछले वित्तीय वर्ष में तेजी गिरकर 18 प्रतिशत हो गई। इसकी वजह रेग्युलेटरी उपायों के आधार पर प्लेयर्स ने टारगेट ग्राहक सेगमेंट के लिए नई रणनीतियों को तैयार किया, जिसमें चुनौतियां बनी रहीं। अब नई योजनाओं के साथ इस वित्तीय वर्ष और अगले वित्तीय वर्ष में पर्सनल लोन की ग्रोथ बढ़कर 22 से 25 प्रतिशत होने की संभावना है।
एमएसएमई बिजनेस लोन में डिफाल्ट ग्राहकों में वृद्धि
क्रिसिल के अनुसार अनसिक्योर्ड एमएसएमई बिजनेस लोन (एनबीएफसी एयूएम का 6 प्रतिशत) में अधिक बारोवर लेवरेज और माइक्रोफाइनेंस ग्राहकों के साथ जुड़ाव की वजह से डिफॉल्ट में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इसलिए इस सेगमेंट में वृद्धि दो वित्तीय वर्ष में देखें तो 31 प्रतिशत के उच्च स्तर से घटकर 13 से 14 प्रतिशत होने के उम्मीद है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ डायरेक्ट अजीत वेलोनी कहते हैं, अप्रैल 2025 से ऋण जोखिम में कमी के बाद भी एनबीएफसीस को बैंक लोन में अभी भी बढ़ोतरी नहीं हुई है और सितंबर 2025 तक यह 13.8 लाख करोड़ रुपये था, जो एक साल पहले देखे गए स्तर से थोड़ा अधिक है। जहां बड़े एनबीएफसीस ने डेट कैपिटल मार्केट और एक्सटर्नल कमर्शियल उधार जैसे दूसरे फंडिंग तरीकों को अपनाया है, वहीं दूसरों के पास कम विकल्प हैं। इसलिए बैंक फंडिंग में कितनी बढ़ोतरी होगी, यह इन एनबीएफसीस के ग्रोथ आउटलुक पर असर डाल सकती है।
कुल मिलाकर एनबीएफसी फर्म्स को बदलते हुए माहौल को देखते हुए चुस्त-दुरुस्त रहने और ग्राहकों को विविध प्रकार की फंडिंग उपलब्ध करवाने होगी साथ ही टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में बदलावों के साथ अपने कामकाज में बदलाव लाने की जरूरत होगी। वहीं दूसरी और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बदलावों को भी ध्यान में रखना होगा।