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NCLAT: 'बीसीसीआई और बायजू के बीच समझौते पर एक हफ्ते के भीतर लें फैसला', एनसीएलएटी का NCLT को आदेश
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Sat, 08 Feb 2025 03:00 PM IST
सार
NCLAT: एनसीएलएटी ने एनसीएलटी को एक सप्ताह के भीतर बीसीसीआई और बायजू के बीच समझौते पर निर्णय लेने का आदेश दिया। बायजू के पूर्व प्रमोटर रिजु रविंद्रन ने एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ग्लास ट्रस्ट और आदित्य बिड़ला फाइनेंस को बायजू की ऋणदाता समिति (सीओसी) में बहाल किया गया था।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी ने शनिवार को राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (एनसीएलटी) को निर्देश दिया कि वह बीसीसीआई और बायजू के बीच समझौते और दिवालिया मामले को खत्म करने के लिए एक सप्ताह के भीतर फैसला ले।
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एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ में जस्टिस राकेश कुमार जैन और जतिंद्रनाथ स्वैन शामिल थे, जिन्होंने एनसीएलटी से यह फैसला लेने को कहा। बायजू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रिजु रविंद्रन ने अधिकरण के पिछले आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें ग्लास ट्रस्ट और आदित्य बिड़ला फाइनेंस को बायजू की ऋणदाता समिति (सीओसी) में बहाल किया गया था। याचिका का निस्तारण करते हुए पीठ ने यह निर्देश दिया।
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एनसीएलएटी ने कहा, एनसीएलटी को याचिका पर फैसला लेने के लिए निर्देश दिया जाता है। कृपया इसे एक हफ्ते के भीतर निपटाने का प्रयास करें। हालांकि, एनसीएलएटी ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने इस मामले के तथ्यों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
बायजू के पूर्व प्रमोटर और बायजू रवींद्रन के भाई रिजु रवींद्रन ने एनसीएलटी की बंगलूरू पीठ के आदेश को चुनौती दी थी। 29 जनवरी को एनसीएलटी ने बायजू के 'समाधान पेशेवार' (आरपी) के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था और ग्लास ट्रस्ट व आदित्य बिड़ला फाइनेंस को बायजू की ऋणदाता समिति से बाहर करने के निर्देश को रद्द कर दिया था। समाधान पेशेवर का मतलब वह व्यक्ति या संस्था होती है जो दिवालियापन की प्रक्रिया में कंपनी को सुधारने या उसके समाधान के लिए जिम्मेदार होता है।
एनसीएलटी ने आईबीबीआई को बायजू के आरपी पंकज श्रीवास्तव के खिलाफ जांच का निर्देश दिया था। एनसीएलएटी ने बायडू की ऋणदाता समिति (सीओसी) के पुनर्गठन को भी रद्द कर दिया था। अंतरिम आरपी ने 31 अगस्त 2024 को सीओसी का पुनर्गठन किय था, जिसमें ग्लास ट्रस्ट और आदित्य बिड़ला फाइनेंस को बाहर कर दिया गया था।
रिजू रविंद्रन ने एनसीएलएटी में अपनी याचिका में कहा कि एनसीएलटी को तब तक ऋणदाता समिति का पुनर्गठन नहीं करना चाहिए था, जब तक बीसीसीआई के साथ समझौते के कारण सीआईआरपी (कॉर्पोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) को वापस नहीं लिया गया था। रविंद्र ने कहा कि बीसीसआई के साथ समझौता उस समय हुआ था, जब ऋणदाता समिति का गठन नहीं हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस समझौते के बाद उचित उपाय अपनाने की आजादी दी थी, लेकिन एनसीएलएटी का आदेश इसका उल्लंघन करता है।