RBI MPC: रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, 5.5% पर बरकरार; अगस्त एमपीसी बैठक के बाद बोले गवर्नर संजय मल्होत्रा
RBI Governor on MPC Live Updates: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज देश की मौद्रिक नीतियों से जुड़े बड़े एलान किए। मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिनों की बैठक के बाद आज आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ब्याज दरों पर भी अहम जानकारी दी। उन्होंने एमपीसी के फैसलों को देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति और भावी रणनीतियों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण करार दिया। जानिए आरबीआई एमपीसी से जुड़े सभी अपडेट्स
विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मुंबई में आज प्रमुख नीतिगत दरों की घोषणा की। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तटस्थ रुख जारी रखने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि ब्याज दरों को भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और देश में मौजूद क्षमता को देखते हुए तय किया गया है। संजय मल्होत्रा ने रेपो रेट में कमी का एलान नहीं किया। ऐसे में नीतिगत दरों से जुड़े ऋणों की ईएमआई में फिलहाल बदलाव नहीं होने वाली। इससे पहले उन्होंने जून की मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स में कमी का एलान किया था। अप्रैल की पॉलिसी में भी केंद्रीय बैंक ने 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी की थी। फिलहाल यह 5.50% पर बरकरार है।
चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर का अनुमान 6.5% पर बरकरार
चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए विकास दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से अल्पकालिक उधार दर या रेपो दर को तटस्थ रुख के साथ 5.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है।
महंगाई के अनुमानों को 3.7% से घटाकर 3.1% किया गया
महंगाई पर बोलते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए इसके अनुमान को 3.7 प्रतिशत से घटाकर 3.1 प्रतिशत कर दिया। फरवरी 2025 से, आरबीआई नीतिगत दरों में 100 आधार अंकों की कटौती कर चुका है। जून में अपनी पिछली नीति समीक्षा में, उसने रेपो दर को 50 आधार अंकों की कटौती करके 5.5 प्रतिशत कर दिया था।
फरवरी से जून के बीच रेपो रेट में की गई थी 100 आधार अंकों की कटौती
सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे। एमपीसी की सिफारिश के आधार पर, आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति में कमी के बीच फरवरी और अप्रैल में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की तथा जून में 50 आधार अंकों की कटौती की। इस साल फरवरी से खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से नीचे चल रही है। खाद्य कीमतों में कमी और अनुकूल आधार प्रभाव के कारण जून में यह छह साल के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर आ गई।
जून में महंगाई के आंकड़ों में दिखी राहत
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में लगभग आधी हिस्सेदारी रखने वाली खाद्य मुद्रास्फीति जून में घटकर (-)1.06 प्रतिशत रह गई, जो मई में 0.99 प्रतिशत थी। यह गिरावट मुख्यतः सब्ज़ियों, दालों, मांस और मछली, अनाज, चीनी, दूध और मसालों जैसी प्रमुख श्रेणियों में कम कीमतों के कारण हुई। एमपीसी में आरबीआई के तीन अधिकारी - संजय मल्होत्रा (गवर्नर), पूनम गुप्ता (डिप्टी गवर्नर), राजीव रंजन (कार्यकारी निदेशक) - और तीन बाहरी सदस्य - नागेश कुमार (निदेशक और मुख्य कार्यकारी, औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली), सौगत भट्टाचार्य (अर्थशास्त्री) और राम सिंह (निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स) शामिल हैं।
#WATCH | Monetary Policy Committee decides to keep the policy repo rate unchanged at 5.5%, neutral stance to continue, says RBI Governor Sanjay Malhotra.
(Video source: RBI/YouTube) pic.twitter.com/dZLo5WjFKj
— ANI (@ANI) August 6, 2025
भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल हैं: संजय मल्होत्रा
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, 'मध्यम अवधि में, बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाएं उज्ज्वल हैं, जो अपनी अंतर्निहित शक्तियों का लाभ उठा रही है।'
#WATCH | RBI Governor Sanjay Malhotra says, "...Over the medium term, the Indian economy holds bright prospects in the changing world order, drawing on its inherent strengths..." pic.twitter.com/PyNhjCdrMR
— ANI (@ANI) August 6, 2025
'आगामी त्योहारी सीजन से उत्साहजनक नतीजे मिलने की उम्मीद'
इस दौरान आरबीआई के गवर्नर ने सबसे पहले कहा कि मानसून सीजन अच्छा रहा है। आगामी त्योहारी सीजन का जिक्र करते हुए गवर्नर ने कहा कि इससे आर्थिक मार्चे पर उत्साहजनक नतीजे मिलने की आशा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार चुनौतियों के बीच सरकार और आरबीआई की सकारात्मक और सहारा देने वाली नीतियां अर्थव्यस्था के लिए बेहतर साबित होंगी। आरबीआई गवर्नर ने भूराजनीतिक अनिश्चितता को भी रेखांकित किया। बदलते वैश्विक समीकरण के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था शानदार अवसरों और ठोस बुनियाद के साथ मजबूती से आगे बढ़ रही है।
क्यों अहम है अगस्त एमपीसी की बैठक?
बता दें कि बीते 4 अगस्त को शुरू हुई इस बैठक का मकसद रेपो दरों की समीक्षा करने के साथ-साथ आगामी महीनों में रिजर्व बैंक के नीतिगत रुख को निर्धारित करना था। गौरतलब है कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति का नेतृत्व आरबीआई गवर्नर करते हैं। इसमें केंद्रीय बैंक के तीन अधिकारी और भारत सरकार द्वारा नामित तीन बाहरी सदस्य शामिल होते हैं। एमपीसी प्रत्येक दो माह में बैठक कर प्रमुख ब्याज दरों पर निर्णय लेती है तथा देश की मौद्रिक नीति की दिशा निर्धारित करती है।