RBI: आरबीआई ने बैंकों के लिए जारी किए सात नए नियम, अब गोल्ड लोन लेना होगा आसान
आरबीआई ने बैंकों के सात नए नियम जारी किए हैं। इनमें फ्लोटिंग रेट लोन पर नई व्यवस्था, सोने और चांदी के बदले कर्ज, पूंजी नियम में संशोधन शामिल हैं। यह 1 अक्तूबर से लागू होगा।
विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए सात नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें ब्याज दरों, गोल्ड और सिल्वर के बदले ऋण देना, और पूंजी नियमन से जुड़े नियम शामिल हैं। ये बदलाव 1 अक्तूबर 2025 से लागू होंगे। इसके साथ ही, केंद्रीय बैंक ने चार नए मसौदा दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। माना जा रहा है कि इससे ग्राहकों के साथ-साथ बैंकों को भी फायदा होगा।
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फ्लोटिंग रेट लोन पर नई व्यवस्था
आरबीआई ने इंटरेस्ट रेट ऑन एडवांसेज (संशोधन निर्देश), 2025 के तहत फ्लोटिंग रेट लोन के नियम बदले हैं। अभी तक बैंक तीन साल में ही स्प्रेड बदल सकते थे, लेकिन अब उधारकर्ताओं के हित में यह पहले भी कम किया जा सकेगा। साथ ही, EMI-आधारित पर्सनल लोन पर रीसेट के समय फिक्स्ड रेट में बदलने का विकल्प अब अनिवार्य न होकर बैंकों के विवेक पर होगा।
गोल्ड और सिल्वर के बदले कर्ज
सोने और चांदी के बदले ऋण (प्रथम संशोधन निर्देश), 2025 के तहत अब सिर्फ ज्वैलर्स ही नहीं, बल्कि वे उद्योग भी पात्र होंगे जो सोने का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में करते हैं। इसके अलावा, टियर-3 और टियर-4 शहरी सहकारी बैंकों को भी इस तरह के ऋण देने की अनुमति दी गई है।
पूंजी नियमन में संशोधन
बेसल-III कैपिटल रेगुलेशंस के तहत परपेचुअल डेट इंस्ट्रूमेंट्स और विदेशी मुद्रा या रुपया मूल्यवर्ग बांडों पर नियम स्पष्ट किए गए हैं। ये केवल अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) पर लागू होंगे।
जारी चार मसौदा दिशानिर्देश
- गोल्ड मेटल लोन (जीएमएल), ज्वैलर्स के लिए पुनर्भुगतान अवधि 180 दिन से बढ़ाकर 270 दिन, साथ ही ऐसे गैर-निर्माताओं को भी अनुमति जो आभूषण उत्पादन आउटसोर्स करते हैं।
- लार्ज एक्सपोजर फ्रेमवर्क (एलईएफ) और इंट्राग्रुप ट्रांजैक्शंस एंड एक्सपोजर्स (आईटीई) : विदेशी बैंकों की शाखाओं के हेड ऑफिस से जुड़े लेनदेन की स्पष्टता, और ITE थ्रेशहोल्ड को टियर-1 कैपिटल से जोड़ा गया।
- क्रेडिट इन्फॉर्मेशन रिपोर्टिंग (प्रथम संशोधन) : अब बैंकों को साप्ताहिक आधार पर डेटा जमा करना होगा (फिलहाल पखवाड़े में), साथ ही तेजी से त्रुटि सुधार और उपभोक्ता रिकॉर्ड में सीकेवाईसी नंबर दर्ज करना अनिवार्य।
आरबीआई ने कहा है कि इन मसौदा नियमों पर सुझाव और टिप्पणियां 20 अक्टूबर 2025 तक आमंत्रित हैं।