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Repo Rate: RBI रेपो रेट में कर सकता है बड़ी कटौती; ये लोन होंगे सस्ते, जानें किसे होगा फायदा और किसे नुकसान
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 02 Jun 2025 05:55 PM IST
सार
RBI Jumbo Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस शुक्रवार (6 जून) को ब्याज दरों में एक बड़ा यानी 'जंबो रेट कट' कर सकता है। यह कटौती 50 बेसिस प्वाइंट (0.50%) की हो सकती है। यह अनुमान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के रिसर्च विभाग की एक ताजा रिपोर्ट में लगाया गया है।
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भारतीय रिजर्व बैंक
- फोटो : ANI
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विस्तार
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जून महीने में रेपो रेट में बड़ी कटौती की जा सकती है। इस कटौती से जहां आम लोगों को फायदा होगा वहीं कर्ज की मांग में तेजी भी आएगी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय एमपीसी ने अप्रैल की अपनी नीति में रुख को तटस्थ से बदलकर उदार करने का भी निर्णय लिया। इससे बैंकों को भी कर्ज बांटने में मदद मिलेगी।
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क्यों जरूरी है ये बड़ा रेट कट?
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान समय में आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं और ऋण वितरण भी धीमी हो रही है। ऐसे में आरबीआई अगर ब्याज दरों में बड़ी कटौती करता है, तो इससे बैंकिंग सिस्टम में नई जान आ सकती है और लोगों को कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगर आरबीआई जून की पॉलिसी में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करता है, तो यह पूरी मौद्रिक नीति चक्र में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की ओर पहला कदम हो सकता है।
एक फीसदी तक की कटौती
रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी से शुरू कटौती के चक्र के दौरान कुल एक फीसदी तक की दरों में कटौती हो सकती है। फरवरी और अप्रैल में रेपो दर कम होने के बाद कई बैंकों ने हाल ही में अपने रेपो लिंक्ड ईबीएलआर को घटा दिया है। अब, लगभग 60.2 प्रतिशत कर्ज बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दरों (ईबीएलआर) से जुड़े हैं। 35.9 प्रतिशत कर्ज सीमांत लागत आधारित उधार दर यानी एमसीएलआर से जुड़े हैं। एमसीएलआर मूलरूप से लंबे अवधि वाला कर्ज के लिए होता है।
अब तक आरबीआई ने क्या किया है?
फरवरी 2025 और अप्रैल 2025 में आरबीआई ने पहले ही दो बार 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। इससे रेपो रेट घटकर 6% पर आ चुका है। अप्रैल की मौद्रिक नीति में आरबीआई ने अपने रुख को 'तटस्थ' से 'उदार' में बदला, यानी अब आरबीआई अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाले फैसले ज्यादा ले सकता है।
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60.2% लोन अब बाहरी बेंचमार्क आधारित ब्याज दर (EBLR) से जुड़े हैं। 35.9% लोन MCLR से जुड़े हैं, जो बैंकों की लागत पर आधारित होता है और धीरे-धीरे समायोजित होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार ऐसा हो रहा है कि ब्याज दर कम होने के समय में बैंक डिपॉजिट (जमा) की ब्याज दरें तेजी से घट रही हैं। बचत खातों की ब्याज दरें घटकर 2.7% तक पहुंच चुकी हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें भी 30 से 70 बेसिस प्वाइंट तक कम की जा चुकी हैं।
आम जनता पर क्या पड़ेगा असर?
अगर आरबीआई शुक्रवार को 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करता है तो होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो सकते हैं। ईएमआई में राहत मिल सकती है। नए कर्ज लेने वालों को फायदा होगा। लेकिन जमाकर्ताओं को एफडी और बचत खातों पर मिलने वाला ब्याज और घट सकता है।
कर्ज देने की दर में गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, देश के वाणिज्यिक बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ (कर्ज देने की दर) 16 मई 2025 तक घटकर 9.8% रह गई है, जबकि पिछले साल यह दर 19.5% थी। इससे यह संकेत मिलता है कि बाजार में कर्ज लेने की मांग कमजोर हुई है।
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क्यों जरूरी है ये बड़ा रेट कट?
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान समय में आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं और ऋण वितरण भी धीमी हो रही है। ऐसे में आरबीआई अगर ब्याज दरों में बड़ी कटौती करता है, तो इससे बैंकिंग सिस्टम में नई जान आ सकती है और लोगों को कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगर आरबीआई जून की पॉलिसी में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करता है, तो यह पूरी मौद्रिक नीति चक्र में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की ओर पहला कदम हो सकता है।
एक फीसदी तक की कटौती
रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी से शुरू कटौती के चक्र के दौरान कुल एक फीसदी तक की दरों में कटौती हो सकती है। फरवरी और अप्रैल में रेपो दर कम होने के बाद कई बैंकों ने हाल ही में अपने रेपो लिंक्ड ईबीएलआर को घटा दिया है। अब, लगभग 60.2 प्रतिशत कर्ज बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दरों (ईबीएलआर) से जुड़े हैं। 35.9 प्रतिशत कर्ज सीमांत लागत आधारित उधार दर यानी एमसीएलआर से जुड़े हैं। एमसीएलआर मूलरूप से लंबे अवधि वाला कर्ज के लिए होता है।
अब तक आरबीआई ने क्या किया है?
फरवरी 2025 और अप्रैल 2025 में आरबीआई ने पहले ही दो बार 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। इससे रेपो रेट घटकर 6% पर आ चुका है। अप्रैल की मौद्रिक नीति में आरबीआई ने अपने रुख को 'तटस्थ' से 'उदार' में बदला, यानी अब आरबीआई अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाले फैसले ज्यादा ले सकता है।
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60.2% लोन अब बाहरी बेंचमार्क आधारित ब्याज दर (EBLR) से जुड़े हैं। 35.9% लोन MCLR से जुड़े हैं, जो बैंकों की लागत पर आधारित होता है और धीरे-धीरे समायोजित होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार ऐसा हो रहा है कि ब्याज दर कम होने के समय में बैंक डिपॉजिट (जमा) की ब्याज दरें तेजी से घट रही हैं। बचत खातों की ब्याज दरें घटकर 2.7% तक पहुंच चुकी हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें भी 30 से 70 बेसिस प्वाइंट तक कम की जा चुकी हैं।
आम जनता पर क्या पड़ेगा असर?
अगर आरबीआई शुक्रवार को 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करता है तो होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन सस्ते हो सकते हैं। ईएमआई में राहत मिल सकती है। नए कर्ज लेने वालों को फायदा होगा। लेकिन जमाकर्ताओं को एफडी और बचत खातों पर मिलने वाला ब्याज और घट सकता है।
कर्ज देने की दर में गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, देश के वाणिज्यिक बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ (कर्ज देने की दर) 16 मई 2025 तक घटकर 9.8% रह गई है, जबकि पिछले साल यह दर 19.5% थी। इससे यह संकेत मिलता है कि बाजार में कर्ज लेने की मांग कमजोर हुई है।
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