Sanjay Malhotra: 'बदलती वैश्विक स्थिति के बीच नीतिगत कार्रवाई में आरबीआई सक्रिय', गवर्नर मल्होत्रा की टिप्पणी
Sanjay Malhotra: दुनिया में जारी टैरिफ युद्ध के बीच भारतीय रिजर्व बैंक वैश्विक हालात पर लगातार नजर रखे हुए और अपनी नीतिगत फैसलों में यह 'सक्रिय और दुरुस्त' बना रहेगा। केंद्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह बात कही है। गवर्नर ने आगे क्या कहा, आइए जानते हैं।
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इंडोनेशिया के बाली में 24वें एफआईएमएमडीए-पीडीएआई के वार्षिक सम्मेलन में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बोलते हुए कहा कि, पिछला साल वैश्विक स्तर पर वित्तीय बाजारों के लिए चुनौतिपूर्ण भरा रहा, वहीं वर्तमान में भी व्यापार युद्ध के कारण अनिश्चितताएं बनी हुईं हैं। आरबीआई गवर्नर ने उच्च मुद्रास्फीति के खिलाफ उनकी लड़ाई को अंतिम चरण में पहुंचाने और अनिश्चितता के माहौल में नए रास्ते बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अनिश्चितता भरे माहौल में भी भारतीय वित्तीय बाजार स्थिर रहे हैं और सभी खंड ने बेहतर प्रदर्शन किया है। यह सम्मेलन में भारतीय वित्तीय बाजार - बदलते परिवेश में मार्गदर्शन पर रहा जहां मौजूदा समय में वित्तीय बाजारों के प्रदर्शन पर चर्चा की गई।
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आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा वित्तीय बाजारों ने उल्लेखनी प्रदर्शन किया है, जबकि वे अनिश्चित और अस्थिर वैश्विक वातावरण की अनिश्चितताओं से अछूते नहीं हैं। जैसा कि हमने हाल ही में मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद अपने बयान में उल्लेख किया है, हमारे घरेलू विकास मुद्रास्फीति संतुलन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जिसकी वजह से वित्त वर्ष 2026 में मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप बने रहने का अनुमान है। वैश्विक अनिश्चितताएं और मौसम संबंधी गड़बड़ी, हालांकि मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए जोखिम पैदा करती हैं। भले ही हमने वित्त वर्ष 2026 के लिए 6.5 प्रतिशत पर कुछ कम वास्तिवक जीडीपी विकास का अनुमान लगाया है, भारत अभी भी सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। बावजूद इसके हमारी आकांक्षा से बहुत कम है। हमने दो बार रेपो दरों में कमी की है और बाजार में पर्याप्त तरलता भी प्रदान की है। मल्होत्रा ने कहा कि तेजी से विकसित हो रही स्थिति को देखते हुए, विशेष रूप से वैश्विक मोर्चे पर (टैरिफ व्यापार युद्ध ) पर हम आर्थिक दृष्टिकोण की लगातार निगरानी और आकलन कर रहे हैं। हम हमेशा की तरह नीतिगत मोर्चे पर अपने काम को करते रहेंगे।
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भारतीय वित्तीय बाजार पर बोलते हुए उन्होंने कहा, भारतीय वित्तीय बाजार विदेशी मुद्रा (फएक्स) सरकारी प्रतिभूति ( जी-सेक ), मनी मार्केट सहित सभी बाजार खंड काफी हद तक स्थिर रहे हैं। जबकि कुछ महीने पहले डॉलर के मुकाबले रुपया थोड़ा दबाव में आया था, उसके बाद इसने बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा इक्विटी बाजारों में महत्वपूर्ण सुधार हुआ, क्योंकि पूंजी की बहिर्वास में तेजी आई, जो कि अधिकांश उभरते बाजारों में देखा गया। हालांकि सरकारी प्रतिभूति बाजारा पूरे साल स्थिर रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों की सकल बाजार उधारी जो वित्त वर्ष 2024-25 में कुल 24.7 लाख करोड़ रुपये थी, जो आसानी से चुका दी गई है। केंद्र सरकार के लिए उधार लेने की लागत वित्त वर्ष 2024 में 7.24 प्रतिशत से 28 आधार अंकों की कमी के साथ वित्त वर्ष 25 में 6.96 प्रतिशत हो गई। जी सेक में द्वितीयक बाजार काफी गहरा और सक्रिस बना रहा, जिसे आंशिक रूप से वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों में भारत के शामिल होने से काफी मदद मिली है।
मल्होत्रा ने कहा इन सबके बीच भारत एक परिवर्तन और संभावनाओं की दहलीज पर खड़ा है, जहां कई तरह के बदलावों और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, बावजूद इसके यह अवसरों से भरा हुआ है। हमारे पास बड़ी आबादी और कुशल जनशक्ति और समाज को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी का विकास और इसका उपयोग करके अपनी क्षमताओं का विकास करेंगे।