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Systematix: सोने में हालिया तेजी से परिवारों की नेटवर्थ तो बढ़ी पर खपत बेअसर, रिपोर्ट में दावा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 27 Oct 2025 01:22 PM IST
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सार

सिस्टमैटिक्स रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार सोने की कीमतों में उछाल से घरेलू संपत्ति कागज पर तो बढ़ गई है, लेकिन इसका असर व्यापक उपभोग वृद्धि के रूप में दिखाई नहीं दे रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उपभोग का वास्तविक चालक आय में वृद्धि है। यह पिछले कुछ वर्षों में सुस्त बनी हुई है

Recent gold price rise boosts household net worth but doesn't impact consumption, report claims
सोना - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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सोने के दामों में हालिया तेजी ने भारतीय परिवारों की कुल संपत्ति में तो इजाफा किया है, लेकिन इसका उपभोग पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिखा है। सिस्टमैटिक्स रिसर्च की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, सोने की कीमतों में उछाल से घरेलू संपत्ति कागज पर तो बढ़ गई है, लेकिन इसका असर व्यापक उपभोग वृद्धि के रूप में दिखाई नहीं दे रहा। 



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आय पिछले कुछ वर्षों से सुस्त बनी हुई है

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में उपभोग का वास्तविक चालक आय में वृद्धि है। यह पिछले कुछ वर्षों में सुस्त बनी हुई है खासकर कोविड के बाद के-शेप्ड रिकवरी के दौरान। ऐसे में सोने की कीमतों में उछाल के बावजूद खपत में तेज सुधार नजर नहीं आ रहा है।

सोने की बढ़ती किमतें नेशनल वेल्थ इफेक्ट करती हैं पैदा 

इसमें बताया गया है कि सोने की बढ़ती कीमतें मुख्य रूप से नेशनल वेल्थ इफेक्ट पैदा करती हैं, इसका मतलब है कि सोने का मूल्य बढ़ने से परिवारों की नेट वर्थ तो अधिक दिखाई देती है, लेकिन खर्च तब तक नहीं बढ़ता, जब तक सोने को बेचा न जाए। आमतौर पर परिवार सोना तभी बेचते हैं जब आर्थिक संकट हो, इसलिए यह संपत्ति बढ़ोतरी उपभोग को गति देने में प्रभावी नहीं बन पाती।

इन कारणों से हो रही उपभोग वृद्धि सीमित 

इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि घरेलू बचत में गिरावट, खुदार ऋण में कमी और आय पर लगातार दबाव जैसे कारक उपभोग वृद्धि को सीमित कर रहे हैं। हालिया रिपोर्ट में यह सामने आया है कि भारत में सोने की ऊंची कीमतों के चलते सोने को गिरवी रखकर लोन लेने की संभावना बढ़ गई है।

सोने पर लोन वृद्धि आर्थिक संकट का संकेत 

सोने की ऊंची कीमतों ने सोने की होल्डिंग्स की गिरवी (कॉलेटरल) वैल्यू को मजबूत किया है, जिससे यह रिटेल लोन के लिए उपयोगी संपत्ति बन गई है। हालांकि, इस चैनल के होने का अर्थ यह नहीं है कि खपत बढ़ी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने पर आधारित लोन वृद्धि आर्थिक संकट का संकेत है, न कि उच्च उपभोग या उपभोक्ता आत्मविश्वास का।

भारतीय परिवारों के पास कितना है सोना? 

विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय परिवारों के पास लगभग 24,000-25,000 टन सोना है। यह दुनिया के कुल सोने का करीब 11 प्रतिशत है।इसके साथ ही, सोने की कीमतों में 2024 के बाद से तेज उछाल ने घरेलू सोने की होल्डिंग्स का मूल्य लगभग 3.24 ट्रिलियन (3.24 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचा दिया है। यह भारत की जीडीपी के लगभग बराबर है यानी घरेलू नेट वर्थ में 100 % की वृद्धि का संकेत।

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