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रिटायरमेंट निवेश: एनपीएस बनाम म्यूचुअल फंड; किस विकल्प से मिलेगा बेहतर रिटर्न और पेंशन?

अमर उजाला नेटवर्क Published by: लव गौर Updated Mon, 27 Oct 2025 05:05 AM IST
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सार

रिटायरमेंट की जरूरतों में एकमुश्त बचत और नियमित आय यानी पेंशन, दोनों शामिल हैं। रिटायरमेंट की तैयारी समय रहते शुरू कर देनी चाहिए। जितनी जल्दी निवेश शुरू होता है, कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि) का लाभ उतना ज्यादा होता है। भविष्य आज की तुलना में महंगा होने वाला है, इसलिए अपने जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त फंड तैयार करना जरूरी है।
 

Retirement Planning: NPS vs Mutual Funds Which Is Better for Pension and Long-Term Growth?
रिटायरमेंट निवेश: एनपीएस बनाम म्यूचुअल फंड - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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रिटायरमेंट निवेश के बाजार में गरमाहट है। होड़ है सरकारी एनपीएस और म्यूचुअल फंड के बीच। बीते महीनों में दोनों विकल्पों ने नई स्कीमें और प्लान जारी किए हैं। निवेशक भी अब अपनी वित्तीय योजना में पेंशन को जगह देने लगे हैं। नियमित बचत और लंबी अवधि के निवेश के साथ रिटायरमेंट प्लानिंग का तरीका अब समझ में आने लगा है।


म्यूचुअल फंड और एनपीएस, दोनों ही रिटायरमेंट के लिए अच्छे निवेश उपकरण हैं। इनसे भविष्य के लिए सुरक्षित व स्थिर धनराशि और नियमित  आय सुनिश्चित की जा सकती है। एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम की शुरुआत सरकारी कर्मचारियों के लिए हुई थी और बाद में यह सभी व्यक्तियों के लिए खोल दी गई। इसमें कई बदलाव हुए हैं, हाल में निवेशकों को बचत के लिए शत प्रतिशत इक्विटी निवेश की छूट दी गई है।  
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किसके लिए क्या बेहतर?
म्यूचुअल फंड – अनुशासित निवेश
  • नियमित आधार पर निवेश करके रिटायरमेंट के वर्षों के लिए एक अच्छी धनराशि इकट्ठा हो सकती है।
  • म्यूचुअल फंड से इक्विटी एक्सपोजर कंपाउंडिंग की मदद से मुद्रास्फीति को हराने में मदद मिलती है।
  • पेंशन के लिए किए गए निवेश का एक हिस्सा रिटायरमेंट के बाद भी निवेश में बना रह सकता है, जब तक कि इसका उपयोग नहीं हो जाता।
  • अपनी जोखिम क्षमता के अनुरूप निवेश पोर्टफोलियो बनाने की छूट मिलती है।  
  • निवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए पोर्टफोलियो में बदलाव की सुविधा
  • निवेश लगातार जारी रखने की छूट

एनपीएस – केवल रिटायरमेंट के लिए
  • एनपीएस में निश्चित आयु तक नियमित आधार पर निवेश की छूट।  
  • एनपीएस की लॉक-इन सुविधा यह सुनिश्चित करती है कि आप अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले पैसे का उपयोग न करें।
  • विभिन्न एसेट क्लास में निवेश विकल्प।  
  • रिटायमेंट पर जमा धनराशि का एक हिस्सा निकाला जा सकता है।
  • शेष को बीमा कंपनी के माध्यम से एन्यूटी में बदलना होता है।

                                                एनपीएस Vs म्यूचुअल फंड
श्रेणी NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) म्यूचुअल फंड
निवेश विकल्प इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड, गिल्ट,  वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्ग इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड, गिल्ट, अन्य डेट स्कीम, गोल्ड और कई अन्य विकल्प
लॉक-इन अवधि  रिटायरमेंट तक  कोई नहीं
इक्विटी एक्सपोजर 50 से 100 फीसदी
(नए बदलावों के अनुसार) 
अधिकतम 100 फीसदी                           (फंड के चयन पर निर्भर)
जोखिम स्तर  बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भ
परिपक्वता अवधि  आयु 60 या 70 वर्ष कोई निश्चित आयु नहीं
पूर्व निकासी केवल विशेष परिस्थितियों में और एक सीमा तक कभी भी रिडीम किया जा सकता है
कर देयता रिटायरमेंट पर निकाली गई धनराशि का 60% तक कर-मुक्त, लेकिन एन्यूटी कर योग्य  पूंजीगत लाभ कर (STCG या LTCG) लागू
रिटर्न की प्रकृति     मार्केट लिंक्ड मार्केट लिंक्ड


शीर्ष रिटायरमेंट सेविंग फंड्स के बीते 5 साल का प्रदर्शन
 

फंड और सालाना रिटर्न
  • आईसीआईसीआई प्रू रिटायरमेंट फंड- प्योर इक्विटी प्लान : 29.67 %
  • एचडीएफसी रिटायरमेंट सेविंग फंड- इक्विटी प्लान : 25.79 %
  • आईसीआईसीआई प्रू रिटायरमेंट फंड- हाइब्रिड एग्रेसिव प्लान : 22.47 %
  • निप्पॉन इंडिया रिटायरमेंट फंड- वेल्थ क्रिएशन स्कीम : 21.74 %
  • एचडीएफसी रिटायरमेंट सेविंग फंड- हाइब्रिड इक्विटी प्लान : 18.91 %
  • टाटा रिटायरमेंट सेविंग फंड- प्रोग्रेसिव प्लान : 17.52 %
स्रोत: एम्फी, रिटर्न 20 अक्तूबर, 2025 तक

एनपीएस में इक्विटी टियर-1 स्कीम का 5 साल का प्रदर्शन

    पेंशन फंड            सालाना रिटर्न
आदित्य बिड़ला          17.94%
एचडीएफसी             19.29%
आईसीआईसीआई       19.89%
कोटक                       20.03%
एलआईसी              19.48%
एसबीआई              17.25%
यूटीआई                 19.82%

स्रोत: एनपीएस ट्रस्ट, रिटर्न 23 अक्तूबर, 2025 के मुताबिक।

फर्क समझना जरूरी  
एनपीएस एसेट क्लास और पेंशन फंड मैनेजर के बीच स्विच करने का लचीलापन देता है, मगर अंत में 60 या 70 वर्ष की निर्धारित आयु तक पहुंचने के बाद इसे बंद करना होता है, पैसा निकालना होता है और चुने गए विकल्पों के अनुसार एन्यूटी लेनी होती है। एन्युटी मुद्रास्फीति से इंडेक्स्ड नहीं है, यानी महंगाई के हिसाब से इसमें बढ़त नहीं होती और यह टैक्सेबल भी है। एनपीएस उनके लिए अच्छा है, जिन्हें नियमित निवेश अनुशासन बनाए रखने में कठिनाई होती है। यदि आप नियमित निवेश कर सकते हैं तो म्यूचुअल फंड सुविधाजनक है, क्योंकि यहां कई विकल्प हैं। म्यूचुअल फंड में आप अपने हिसाब से स्कीम की कैटेगरी चुन सकते हैं।
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