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AGR: वोडाफोन-आइडिया को एजीआर विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, सरकार को बकाया मांगों पर विचार की अनुमति

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 27 Oct 2025 03:31 PM IST
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सार

Supreme Court on AGR: मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने वोडाफोन-आइडिया की एजीआर से जुड़ी एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया कि सरकार इस पर विचार कर सकती है। याचिका में दूरसंचार विभाग (डीओटी) की ओर से जारी एजीआर डिमांड को चुनौती दी गई थी।

Supreme Court Permits Government to Reconsider Vodafone Idea's AGR Dues Plea
वोडाफोन-आइडिया सुप्रीम कोर्ट - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को बड़ी राहत मिली। शीर्ष अदालत ने कंपनी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को एजीआर से जुड़े मसले पर विचार करने की अनुमति दे दी। कंपनी ने दूरसंचार विभाग की 2016-17 तक की अवधि के लिए अतिरिक्त समायोजित सकल राजस्व (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू या एजीआर) मांगों को रद्द करने का निर्देश देने के लिए अदालत का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह मुद्दा सरकार के नीतिगत अधिकार क्षेत्र में आता है।

सरकार की वोडाफोन-आइडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने वोडाफोन-आइडिया की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया। याचिका में दूरसंचार विभाग (डीओटी) की ओर एजीआर-संबंधित मांगों को चुनौती दी गई थी। कंपनी ने तर्क दिया कि ये अतिरिक्त दावे अस्थिर थे क्योंकि एजीआर बकाया पर शीर्ष अदालत के 2019 के फैसले से देनदारियां पहले ही साफ हो चुकी थीं। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि सरकार के पास अब वोडाफोन आइडिया में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है और लगभग 20 करोड़ उपभोक्ता इसकी सेवाओं पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में केंद्र उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कंपनी की ओर से उठाए गए मुद्दों की जांच करने को तैयार है।

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सुनवाई के दौरान कंपनी और केंद्र की ओर से क्या कहा गया?

पीठ ने कहा कि याचिका 2016-17 के लिए अतिरिक्त एजीआर मांगों को रद्द करने और  सभी बकाया राशि का व्यापक रूप से पुनर्मूल्यांकन करने के लिए आगे निर्देश देने की मांग के लिए दायर की गई है। पीठ ने कहा, "सॉलिसिटर जनरल ने बताया है कि परिस्थितियों में आए बदलाव को ध्यान में रखते हुए, जिसमें केंद्र की ओर से 49 प्रतिशत इक्विटी हासिल करना और 20 करोड़ ग्राहकों की ओर से याचिकाकर्ता की सेवाओं का उपयोग करना शामिल है, केंद्र याचिकाकर्ता (कंपनी) द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच करने को तैयार है।"


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सीजेआई ने आदेश में कहा, "मामले की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने कंपनी में पर्याप्त इक्विटी डाली है और इसका 20 करोड़ ग्राहकों पर सीधा असर होगा। हमें केंद्र की ओर से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और उचित कदम उठाने में कोई समस्या नहीं दिखती है।" पीठ ने साफ किया है कि यह मुद्दा केंद्र सरकार के नीतिगत अधिकार क्षेत्र में आता है। अदालत ने कहा, "ऐसा कोई कारण नहीं है कि सरकार को ऐसा करने से रोका जाए। इस नजरिए के साथ हम रिट याचिका का निपटारा करते हैं।" वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि वित्त वर्ष 2016-17 के लिए दूरसंचार विभाग की 5,606 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग अस्थिर थी, क्योंकि बकाया राशि का निर्धारण सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद पहले ही किया जा चुका था।

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क्या है एजीआर, क्यों बढ़ा इसपर विवाद?

एजीआर वह आय है जिसका उपयोग दूरसंचार ऑपरेटरों की ओर से सरकार को दिए जाने वाले लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग के शुल्क की की गणना के लिए किया जाता है। एजीआर पर विवाद इसलिए बढ़ा क्योंकि सरकार की ओर से इसे इसमें गैर-दूरसंचार आय को भी शामिल किया जाने लगा। इससे दूरसंचार ऑपरेटरों पर भारी देनदारियां आ गईं। इससे वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल सबसे अधिक प्रभावित हुए।

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