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Rupee :भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता और डॉलर की बढ़ती मांग से रुपये में गिरावट, आनेवाले दिनों में बढ़ेगा दबाव

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: नविता स्वरूप Updated Mon, 01 Dec 2025 06:56 PM IST
सार

यदि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में कोई स्पष्टता नहीं आती तो रुपये में कमजोरी 90.00 के स्तर तक जा सकती है। सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.80 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो इस साल की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। एशियाई मुद्राओं के सामने रुपये का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है।

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Rupee depreciates due to India-US trade talks and rising dollar demand; rupee will remain under pressure
रुपया बनाम डॉलर। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 89.80 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो इस साल की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। एशियाई मुद्राओं के सामने रुपये का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है। जानकारों का कहना है साल भर में अभी तक रुपये में 4.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। रुपये में लगातार गिरावट का मुख्य कारण में पहला, डॉलर की बाजार में मजबूती मांग और उसकी सीमित सप्लाई है। दूसरा एफआईआई जिनकी गतिविधियां मिलीजुली है, इस  वजह से रुपये में लागातार कमजोरी देखी जा रही है। फिलहाल रुपया 89.25 के आसपास रुपया बना हुआ है।

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डॉलर की मजबूत मांग की वजह से रुपये में गिरावट

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ रिसर्च विशेषज्ञ दिलीप परमार कहते हैं, भारतीय रुपये में गिरावट का ट्रेंड जारी रहा और लगातार चौथे सेशन में गिरावट आई है। जिसके बाद यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह बड़ी गिरावट डॉलर की मजबूत मांग और उसकी सीमित सप्लाई की वजह से आई है। उन्होंने लगातार कमजोरी मुख्स रूप से बढ़ते राजकोषिय घाटे, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में हो रही देरी और सेंट्रल बैंक के सीमित दखल की वजह से बना हुआ है।

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एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष रिसर्च (कमोडिटी और करेंसी) जतीन त्रिवेदी कहते देखें तो रुझान कमजोर बना हुआ है क्योंकि डॉलर में लगातार मजबूती और एफआईआई द्वारा डॉलर की मांग, विशेषकर आयातकों की ओर से डॉलर की मांग मजबूत बनी हुई है। जिसकी वजह रुपये में दबाव बना हुआ है। अनुकूल कारोबार डेटा नहीं आने से एफपीआई की लगातार बिकवाली ने रुपये पर दबाव बनाया है। आयातकों ने अपनी हेजिंग को बढ़ा दिया है, वहीं डॉलर की मांग तेज हो गई है और ट्रेड बैलेंस लगातार कमजोर होने से रुपया कमजोर बना हुआ है।

आने वाले दिनों में रुपये पर दिखेगा दबाव

दिलीप कहते हैं कि आनेवाले दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव बने रहने की संभावना है, क्योंकि डॉलर की मांग और सप्लाई के बीच अंदरूनी असंतुलन बना रहने की संभावना है। जतीन त्रिवेदी कहते है,  बीते सप्ताह शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया नौ पैसे गिरकर 89.45 पर बंद हुआ था।


पिछले महीने रुपया तीन साल में सबसे अधिक गिरावट के साथ 98 पैसे गिरकर 89.66 पर बंद हुआ। इससे पहले फरवरी 2022 में एक दिन सबसे बड़ी गिरावट डॉलर के मुकाबले 99 पैये दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि जब तक भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में कोई स्पष्टता नहीं आती रुपये में कमजोरी 90.00 के स्तर तक जा सकती है। जानकारों का कहना है कि बाजार ने भारतीय रिजर्व बैंक को इसमें दखल देकर रुपये को समर्थन देने की बात कही है।

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