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BOB: रुपये की गिरावट का खुदरा महंगाई पर मामूली असर, रिपोर्ट में दावा- खाद्य आयात पर निर्भरता कम होने से लाभ

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Fri, 05 Dec 2025 06:10 PM IST
सार

बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रुपये में तेज गिरावट का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। भारत खाद्य उत्पादों के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर है और खाद्य आयात बहुत कम होने के कारण रूपये का अवमूल्यन कीमतों को सीमित रूप से प्रभावित करता है।

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Rupee depreciation is unlikely to fuel retail inflation significantly, according to a BOB report
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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भारतीय रुपये में तेज गिरावट के बावजूद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई पर फिलहाल कोई बड़ा असर देखने की संभावना नहीं है। बैंक ऑफ बड़ौदा की एक ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया है। 

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देश के प्रमुख कृषि उत्पाद हैं आत्मनिर्भर

रिपोर्ट के अनुसार, रूपये का अवमूल्यन खाद्य मुद्रास्फीति को ज्यादा नहीं बढ़ाएगा, क्योंकि भारत का खाद्य आयात पर निर्भरता बेहद कम है और देश कई प्रमुख कृषि उत्पादों में लगभग आत्मनिर्भर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये में कमजोरी सामान्य परिस्थितियों में CPI को केवल सीमित स्तर पर प्रभावित करती है, और 5% की गिरावट से भी वार्षिक आधार पर महंगाई में लगभग 15 से 25 आधार अंक की ही बढ़ोतरी होने की आशंका रहती है।

आयात-निर्भर उत्पादों में कीमतों का दबाव बढ़ सकता है

रुपया पिछले कुछ दिनों में तेजी से फिसला है और 4 दिसंबर 2025 को यह 90.19 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ, जो इसका अब तक का न्यूनतम रिकॉर्ड है। रिपोर्ट ने हालांकि चेताया है कि सोना, खाद्य तेल और दाल जैसे कुछ आयात-निर्भर उत्पादों में कीमतों का दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि इन क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय बाजार और मुद्रा उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है।


भारत में सीपीआई बास्केट का झुकाव खाद्य उत्पादों की ओर ज्यादा है, जिनकी सूचकांक में लगभग 46 प्रतिशत हिस्सेदारी है। चूंकि भारत कृषि उत्पादों का एक प्रमुख उत्पादक है और कई फसलों में लगभग 100 प्रतिशत आत्मनिर्भर है, इसलिए खाद्य पदार्थों के लिए आयात पर निर्भरता बहुत कम है। जैसे-जैसे मुद्रा कमजोर होती है, आयातित वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ जाती है।

घरेलू अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की संभावना

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रुपये में हाल की कमजोरी से घरेलू अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंताएं पैदा होती हैं, लेकिन खाद्य उत्पादों के लिए आयात पर कम निर्भरता और सीपीआई बास्केट की संरचना से पता चलता है कि मुद्रा अवमूल्यन से उत्पन्न मुद्रास्फीति के दबाव सीमित रहने की उम्मीद है। 


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