सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Business ›   Business Diary ›   SC sets aside NCLAT verdict approving transfer of grounded air carrier Jet Airways to Jalan Kalrock Consortium

Jet Airways: बंद पड़ी जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT का फैसला किया खारिज

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Thu, 07 Nov 2024 12:23 PM IST
सार

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बंद पड़ी जेट एयरवेज से जुड़े मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने एयरलाइन को जालान कलरॉक कंसोर्टियम को सौंपने के एनसीएलएटी के फैसले को खारिज कर दिया और अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए एयरलाइन की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश दिया। आइए इस फैसले के बारे में जानें।

विज्ञापन
SC sets aside NCLAT verdict approving transfer of grounded air carrier Jet Airways to Jalan Kalrock Consortium
जेट एयरवेज - फोटो : amarujala.com
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बंद पड़ी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज की परिसंपत्तियों को बेचने का आदेश दिया। इसके साथ एयरलाइन के दोबारा उड़ान भरने की संभावनाओं पर विराम लग गया। कोर्ट ने जेट एयरवेज की समाधान प्रक्रिया के दौरान सफल बोलीदाता जालान कलरॉक गठजोड़ की ओर से कंपनी में डाले गए 200 करोड़ रुपये जब्त करने और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले ऋणदाताओं के समूह को 150 करोड़ रुपये की प्रदर्शन बैंक गारंटी भुनाने की भी अनुमति दे दी।

Trending Videos


संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को खारिज करते हुए जेट एयरवेज की दिवाली कार्यवाही पर रोक लगा दी।

विज्ञापन
विज्ञापन

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आंख खोलने वाला करार दिया

पीठ ने मामले को ‘‘आंखें खोलने वाला ’’ करार दिया और जालान कलरॉक गठजोड़ (जेकेसी)  की पहली किस्त के भुगतान के मद्देनजर प्रदर्शन बैंक गारंटी (पीबीजी) के समायोजन की अनुमति देने के लिए एनसीएलएटी की खिंचाई की। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने जेकेसी को अपने भुगतान दायित्वों का पूर्णतः पालन किए बिना ही जेट एयरवेज का अधिग्रहण करने की अनुमति दे दी थी।


अदालत ने कहा, ‘‘एनसीएलएटी का वह आदेश जिसमें एसआरए (सफल समाधान आवेदक) को 350 करोड़ रुपये के भुगतान की पहली किस्त के विरुद्ध 150 करोड़ रुपये के पीबीजी को समायोजित करने का निर्देश दिया गया था, इस अदालत के आदेश की घोर अवहेलना है..."

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई और अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है।

शीर्ष अदालत ने जेट एयरवेज मामले में एनसीएलएटी के आदेश को रद्द किया

शीर्ष न्यायालय ने ऋणदाताओं की अपील स्वीकार कर ली तथा एनसीएलएटी के आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘इस फैसले में चर्चा की गई विचित्र तथा चिंताजनक परिस्थितियों में और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि एनसीएलटी द्वारा समाधान योजना को विधिवत अनुमोदित किए जाने के बाद से करीब पांच साल बीत चुके हैं और कोई प्रगति नहीं हुई है...हमारे पास संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल करने तथा कॉरपोरेट देनदार को परिसमापन के लिए निर्देश देने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।’’

संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। पीठ ने आदेश दिया कि बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी की परिसमापन प्रक्रिया शुरू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं और ‘‘एसआरए द्वारा पहले से डाली गई 200 करोड़ रुपये की राशि जब्त की जाए।’’

परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। न्यायालय ने कहा, ‘‘ ऋणदाता लेनदारों को एसआरए द्वारा प्रस्तुत 150 करोड़ रुपये की निष्पादन बैंक गारंटी को भुनाने की अनुमति दी जाती है। ’’

अदालत ने कहा- बोलीकर्ता जेकेसी ने महत्वपूर्ण बकाया राशि का भुगतान नहीं किया

उसने कहा कि आंशिक भुगतान के रूप में प्रदर्शन बैंक गारंटी को समायोजित करने की एनसीएलएटी की मंजूरी शीर्ष अदालत के पहले के निर्देश की ‘‘घोर अवहेलना’’ थी, साथ ही समाधान योजना की शर्तों और दिवाला व ऋणशोधन अक्षमता संहिता के तहत स्थापित सिद्धांतों की भी अवहेलना थी। न्यायालय ने कहा कि प्रारंभिक किस्त का भुगतान न करने के अलावा जेकेसी, ने कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया लागत और कर्मचारी बकाया सहित अन्य महत्वपूर्ण बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है।

मामले में जेकेसी का प्रतिनिधित्व करंजवाला एंड कंपनी के अधिवक्ता देबमाल्या बनर्जी और कार्तिक भटनागर ने किया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, ‘‘ यह मुकदमा एनसीएलएटी की कार्यप्रणाली सहित कई मुद्दों पर आंखें खोलने वाला रहा है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाधान योजना को लागू करने में जेकेसी की विफलता के कारण दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के ऐसे प्रावधान लागू हुए, जिनके कारण परिसमापन आवश्यक हो गया।

एनसीएलएटी ने स्थापित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत किया काम: पीठ

पीठ ने कहा, ‘‘हमारे मन में इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि एनसीएलएटी ने स्थापित कानूनी सिद्धांतों के विपरीत काम किया और मामले पर निर्णय देते समय सही तथ्यों से गलत निष्कर्ष निकालने की हद तक चला गया।’’

एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय Hindi News वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें कारोबार समाचार और Union Budget से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। कारोबार जगत की अन्य खबरें जैसे पर्सनल फाइनेंस, लाइव प्रॉपर्टी न्यूज़, लेटेस्ट बैंकिंग बीमा इन हिंदी, ऑनलाइन मार्केट न्यूज़, लेटेस्ट कॉरपोरेट समाचार और बाज़ार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed