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TCS: 10 लाख रुपये से अधिक की लग्जरी चीजों पर अब चुकाना होगा 1 प्रतिशत टीसीएस, सरकार ने जारी की अधिसूचना
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Wed, 23 Apr 2025 01:31 PM IST
सार
TCS New Rules: हैंडबैग, कलाई घड़ी, जूते और खेलकूद के कपड़े जैसे 10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले लग्जरी सामानों पर अब एक प्रतिशत स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) लगेगा। आयकर विभाग ने 22 अप्रैल, 2025 से विलासितापूर्ण वस्तुओं की बिक्री पर 1 प्रतिशत की दर से टीसीएस लगाने से जुड़ी अधिसूचना जारी की है। लग्जरी गुड्स के तहत कौन-कौन सी चीजें अधिसूचित हैं, आइए जानते हैं विस्तार से।
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टीसीएस
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
हैंडबैग, कलाई घड़ी, जूते और खेलकूद के कपड़े जैसे 10 लाख रुपये से अधिक कीमत वाले लग्जरी सामानों पर अब एक प्रतिशत स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) लगेगा। आयकर विभाग ने 22 अप्रैल, 2025 से विलासितापूर्ण वस्तुओं की बिक्री पर 1 प्रतिशत की दर से टीसीएस लगाने से जुड़ी अधिसूचना जारी की है। यह उन चीजों पर लागू होगा जहां बिक्री का मूल्य 10 लाख रुपये से अधिक होगा। विलासिता से जुड़ी वस्तुओं पर वित्त अधिनियम, 2024 के तहत टीसीएस लगाने का एलान जुलाई 2024 के बजट में किया गया था।
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टीसीएस का भुगतान करने की जिम्मेदारी विक्रेता पर होती है, जिसे वह ग्राहकों से ही वसूलते हैं। यह टैक्स अधिसूचित वस्तुओं जैसे कलाई घड़ी, कला वस्तुएं जैसे पेंटिंग, मूर्तियां और प्राचीन चीजें, संग्रहणीय चीजें जैसे सिक्के और टिकट, नौका, हेलीकॉप्टर, लग्जरी हैंडबैग, धूप के चश्मे, जूते, उच्च श्रेणी के खेल परिधान व उपकरण, होम थिएटर सिस्टम और रेसिंग या पोलो के घोड़े आदि पर लागू होगा।
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नांगिया एंडरसन एलएलपी के टैक्स पार्टनर संदीप झुनझुनवाला के अनुसार यह अधिसूचना उच्च मूल्य वाली चीजों की निगरानी बढ़ाने और लग्जरी सामानों से जुड़े खंड में ऑडिट ट्रेल को मजबूत करने की सरकार की मंशा के तहत जारी की गई है। यह कर आधार का विस्तार करने और अधिक वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देने के व्यापक नीतिगत उद्देश्य का परिचायक है।
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उन्होंने बताया कि विक्रेताओं को अब टीसीएस प्रावधानों का समय पर अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। वहीं, अधिसूचित लग्जरी वस्तुओं के खरीदारों को ऐसी चीजें खरीदते समय और अधिक केवाईसी आवश्यकताओं और दस्तावेजीकरण का सामना करना पड़ेगा।
झुनझुनवाला ने कहा, "हालांकि इस फैसले से लग्जरी सामानों से जुड़े क्षेत्र को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इस फैसले से बेहतर नियामकीय निगरानी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।"
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