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BPCL को खरीदने में इन तीन विदेशी कंपनियां ने दिखाई रुचि, पहले नंबर पर रूस की कंपनी

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला Published by: paliwal पालीवाल Updated Wed, 05 Feb 2020 05:01 PM IST
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three foriegn companies in race for acquiring government stake in bpcl, including Russian companies
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रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोसनेफ्ट सरकारी तेल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के अधिग्रहण के लिए बोली लगा सकती है। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ईगर सेचिन ने बुधवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात के दौरान इस पर चर्चा की। 

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मामले से जुडे़ एक अधिकारी ने बताया कि प्रधान के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान सेचिन ने बीपीसीएल में सरकार की पूरी 53 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। उसके अलावा सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको और संयुक्त अरब अमीरात की एडनॉक भी बोली लगा सकती है।
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बातचीत के दौरान सेचित ने दुनिया के तीसरे बड़े ऊर्जा बाजार में निवेश की भी इच्छा जताई। रोसनेफ्ट के पास अभी देश की निजी क्षेत्र की दूसरी बड़ी कंपनी नायरा एनर्जी जिसका पुराना नाम एस्सार ऑयल लिमिटेड था, में 49.13 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं, बीपीसीएल के पास देश में चार रिफाइनरियां हैं, जिनकी कुल क्षमता 3.83 करोड़ टन है। कंपनी के पास 15,177 पेट्रोल पंप और 6,011 एलपीजी वितरक एजेंसियां हैं। सरकार को इस विनिवेश से करीब 60 हजार करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। 

इंडियन ऑयल से करार, रोज मिलेगा 40 हजार बैरल तेल

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधाने ट्वीट कर बताया कि घरेलू ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए रोसनेफ्ट और इंडियन ऑयल के बीच पहली बार करार पर सहमति बनी। इसके तहत रूसी कंपनी भारत को सालाना 20 लाख टन या 40 हजार बैरल प्रतिदिन क्रूड ऑयल की आपूर्ति करेगी।


प्रधान ने कहा, यह सिर्फ एक शुरुआत है। भारत ऊर्जा पूर्ति के लिए आयात निर्भरता को घटाने के साथ इसे क्षेत्र विशेष तक सीमित रखने की नीति से हटकर काम कर रहा है, ताकि आपूर्ति में किसी तरह की बाधा न आ सके। भारत मध्य एशियाई देशों से तेल खरीद में धीरे-धीरे कटौती कर रहा है, जो 2018 के 65 फीसदी से घटकर 60 फीसदी तक आ चुका है। 

20 नवंबर को लिया था फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने 20 नवंबर को एक रणनीतिक निवेशक को प्रबंधन नियंत्रण के साथ सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचकर बीपीसीएल के निजीकरण का निर्णय लिया था।

55 हजार करोड़ की है बीपीसीएल

बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.29 फीसदी बेचकर सरकार का लक्ष्य 60 हजार करोड़ रुपये की उगाही करने का है। बीपीसीएल के देशभर में 15,078 पेट्रोल पंप और 6,004 एलपीजी वितरक हैं। दिसंबर 2019 में निवेशकों के लिए अमेरिका, लंदन और दुबई में प्रचार अभियान भी चलाया गया था।

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बीपीसीएल - फोटो : सोशल मीडिया

दीपम के सचिव ने दिया बयान

इस संदर्भ में निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडे ने बताया कि, हम निजीकरण के लिए जल्द ही रुचि पत्र जारी करेंगे, जिसके बाद निवेशक औपचारिक प्रक्रिया के जरिए हमसे जुड़ जाएंगे। कुछ ही दिनों में बीपीसीएल के लिए रुचि पत्र जारी कर दिया जाएगा।'

यह है सरकार का लक्ष्य

बता दें कि चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश के जरिए 1.05 लाख करोड़ रुपये मिलने का लक्ष्य रखा था। हालांकि इस लक्ष्य के पूरे होने की संभावना नहीं है। बजट 2020 के दौरान इस लक्ष्य को संशोधित कर 65 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। मौजूदा समय में सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। 

मार्च 2020 तय जताई गई थी बिक्री पूरी होने की संभावना 

बीपीसीएल के साथ ही दीपम के अधिकारी ने कहा था कि एयर इंडिया और भारतीय कंटेनर निगम (कॉनकॉर) जैसी कंपनियों का रणनीतिक विनिवेश मार्च 2020 तक पूरा होने की संभावना नहीं है। जबकि उससे पहले बीपीसीएल की बिक्री की प्रक्रिया मार्च तक पूरी होने की संभावना जताई गई थी। सरकार ने बीपीसीएल के निजीकरण के लिए समयसीमा निर्धारित करते हुए कंपनी की परिसंपत्तियों के मूल्यांकन की रिपोर्ट 50 दिन के भीतर देने को कहा था।

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