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सिगरेट-तंबाकू के शौकीनों को झटका: संसद से पास कानून लागू, जानिए अब कितनी ढीली करनी होगी जेब?

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Fri, 12 Dec 2025 12:51 PM IST
सार

सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) अधिनियम, 2025 अधिसूचित कर तंबाकू और उससे बने सभी उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में भारी बढ़ोतरी की है। सिगरेट पर लगने वाला शुल्क 200-735 रुपये प्रति हजार स्टिक से बढ़ाकर 2,700-11,000 रुपये कर दिया गया है। निर्मित तंबाकू, चबाने वाला तंबाकू, हुक्का तंबाकू और धूम्रपान मिश्रणों पर भी शुल्क कई गुना बढ़ाया गया है।

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Tobacco and cigarettes to get more expensive: Excise duty laws notified after Parliament passes bill
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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सरकार ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन), 2025 अधिसूचित कर तंबाकू और उससे बनी सभी श्रेणियों पर उत्पाद शुल्क में बड़ा इजाफा कर दिया है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 के तहत सिगरेट पर अब तक 200 से 735 रुपये प्रति हजार स्टिक तक उत्पाद शुल्क लगता था। संशोधित कानून के लागू होने के बाद यह सीमा कई गुना बढ़ाकर 2,700 रुपये से 11,000 रुपये प्रति हजार सिगरेट कर दी गई है।

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उत्पाद शुल्क और सेस में वृद्धि

इस अधिनियम के तहत सिगरेट, सिगार, हुक्का तंबाकू, चबाने वाला तंबाकू, जर्दा और सुगंधित तंबाकू सहित सभी उत्पादों पर उत्पाद शुल्क और सेस में वृद्धि की गई है। साथ ही, यह अधिनियम सरकार को तंबाकू उपकर समाप्त होने के बाद भी केंद्रीय उत्पाद शुल्क बढ़ाने के लिए वित्तीय गुंजाइश प्रदान करता है।


नए कानून में निर्मित तंबाकू पर शुल्क में भी वृद्धि की गई है। चबाने वाले तंबाकू पर शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो जाएगा, जबकि हुक्का तंबाकू पर शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत हो जाएगा। पाइप और सिगरेट में इस्तेमाल होने वाले धूम्रपान मिश्रणों पर शुल्क 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 325 प्रतिशत कर दिया गया है।

सरकार ने बताया कानून का उद्देश्य

सरकार का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य लोगों को तंबाकू के हानिकारक प्रभावों से बचाना और इसके सेवन पर अंकुश लगाना है। इससे पहले, राज्यसभा में चल रही बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सिगरेट पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क को राज्यों के साथ साझा किया जाएगा, और स्पष्ट किया कि यह शुल्क उत्पाद शुल्क है, उपकर नहीं।

तंबाकू किसानों औ बीड़ी श्रमिकों पर नहीं पडे़गा असर

सीतारमण ने सदन को आश्वासन दिया था कि तंबाकू किसानों और बीड़ी श्रमिकों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। मंत्री ने तंबाकू की खेती से दूर जाने वाले किसानों को समर्थन देने के लिए फसल विविधीकरण कार्यक्रमों सहित कई योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने सदन को सूचित किया कि 2017-18 और 2021-22 के बीच 1.12 लाख एकड़ से अधिक भूमि पर तंबाकू की खेती छोड़कर अन्य फसलों की खेती शुरू की गई। उन्होंने आगे कहा कि देश में 49.82 लाख बीड़ी श्रमिक पंजीकृत हैं और श्रम कल्याण योजनाओं के अंतर्गत आते हैं।

सिगरेट का पर कुल टैक्स अब भी डब्ल्यूएचओ के मानकों से कम

मंत्री  ने यह भी बताया कि भारत में सिगरेट पर कुल कर खुदरा मूल्य का लगभग 53 प्रतिशत है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का मानक 75 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि नए अधिनियम के तहत कर निर्धारण डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य सिगरेट को कम किफायती बनाना है। उनके अनुसार, जीएसटी और उससे जुड़े उपकर लागू होने के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर कर डब्ल्यूएचओ के मानक तक नहीं पहुंचा है, जिससे उनकी सामर्थ्य अधिक बनी हुई है और जन स्वास्थ्य उद्देश्यों को नुकसान पहुंच रहा है। 

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