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WPI: प्याज और सब्जियों की कीमतों में उछाल से थोक महंगाई आठ माह के उच्च स्तर पर, 0.26% पर पहुंचा आंकड़ा
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Thu, 14 Dec 2023 12:37 PM IST
सार
WPI: भारत की थोक मुद्रास्फीति मार्च 2023 के बाद पहली बार ऋणात्मक स्थिति से बाहर निकलकर नवंबर में बढ़कर 0.26 प्रतिशत हो गई। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति अक्टूबर 2023 में -0.52 प्रतिशत और नवंबर 2022 में 6.12 प्रतिशत पर थी।
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देश में थोक महंगाई कम हुई
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से 14 दिसंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति में उछाल के बाद अब थोक महंगाई भी नवंबर, 2023 में बढ़कर आठ महीने के उच्च स्तर 0.26 फीसदी पर पहुंच गई। खाने-पीने की वस्तुओं और खासकर प्याज एवं सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई बढ़ी है।
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खास बात है कि इस साल अप्रैल से लगातार सात महीने तक शून्य से नीचे रहने के बाद थोक महंगाई अब सकारात्मक दायरे में आई है। मार्च, 2023 में थोक महंगाई 1.41% थी, जबकि अक्तूबर में शून्य से 0.52% नीचे थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले माह खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर अक्तूबर के 2.53 फीसदी से बढ़कर 8.18 फीसदी पर पहुंच गई। प्याज की महंगाई दर बढ़कर 101.24 फीसदी पहुंच गई। सब्जियों की महंगाई दर भी (-)21.04 फीसदी से 10.44 फीसदी पहुंच गई।
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आपूर्ति नहीं बढ़ी तो बिगड़ेगा बजट
बार्कलेज रिसर्च के अनुसार, थोक खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी खुदरा कीमतों की तुलना में अधिक रहीं। यह दर्शाता है कि थोक विक्रेताओं ने मूल्यवृद्धि का पूरा बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला। इससे दिसंबर में आपूर्ति (विशेष रूप से सब्जियों की) नहीं बढ़ी तो खाने-पीने की वस्तुओं की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। आरबीआई ने हाल ही में मौद्रिक नीति में नवंबर और दिसंबर में खाद्य महंगाई बढ़ने के संकेत दिए थे।
नवंबर में खाद्य पदार्थों, खनिज, मशीनरी और उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑप्टिकल उत्पादों, मोटर वाहनों, अन्य उपकरणों और अन्य विनिर्माण की कीमतों में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति एक साल पहले की तुलना में 0.26 प्रतिशत बढ़ी।
शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह अप्रैल से नवंबर के बीच 23.4% बढ़ा
भारत सरकार का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 1 अप्रैल से 30 नवंबर की अवधि में 23.4% बढ़कर 10.64 ट्रिलियन रुपये (127.75 अरब डॉलर) हो गया। रिफंड को समायोजित करने से पहले सकल कर संग्रह 12.67 ट्रिलियन रुपये था, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 17.7% अधिक था।