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Updates: अगस्त में पांच महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा WPI; फिच ने भारत के वृद्धि अनुमान को 6.3% पर रखा बरकरार
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Thu, 14 Sep 2023 01:35 PM IST
सार
इस बीच फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा। एजेंसी ने कहा कि कड़ी मौद्रिक नीति तथा निर्यात में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिख रहा है, हालांकि अल नीनो के खतरे पर साल के अंत में मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया गया।
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थोक महंगाई दर
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो
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विस्तार
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से आज यानी 14 सितंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार भारत की थोक महंगाई दर अगस्त में लगातार पांचवें महीने निगेटिव जोन में रहीं। हालांकि निगेटिव जोन में रहने के बावजूद थोक महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) के हाई -0.52 फीसदी पर पहुंच गई है, जो बीते पांच महीने का उच्चतम स्तर है। अगस्त में होलसेल महंगाई जुलाई के -1.36 फीसदी से बढ़कर -0.52 फीसदी पर आई है। हालांकि इसके 0.6 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था।
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अगस्त में खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई जुलाई के 7.75 फीसदी से घटकर 5.62 फीसदी पर आ गई है। अगस्त में प्राथमिक वस्तुओं की थोक महंगाई की बात करें तो यह जुलाई के 7.57 फीसदी से कम होकर 6.34 फीसदी हो गई। वहीं, ईंधन और बिजली की थोक महंगाई -12.79 फीसदी से बढ़कर -6.03 फीसदी पर आ गई। अगस्त में देश में विनिर्मित वस्तुओं की थोक महंगाई जुलाई के -2.51 फीसदी से बढ़कर 2.37 फीसदी पर रही है। अगस्त में कोर महंगाई दर 2.2 फीसदी पर बनी रही।
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थोक महंगाई के ये आंकड़े सरकार अगस्त महीने के खुदरा महंगाई (सीपीआई) के आंकड़ों के दो दिन बाद आए हैं। 12 सितंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में भारत की खुदरा महंगाई दर जुलाई के 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 फीसदी से घटकर 6.83 फीसदी आ गई।
फिच ने भारत के वृद्धि अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर रखा बरकरार
फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा। एजेंसी ने कहा कि कड़ी मौद्रिक नीति तथा निर्यात में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिख रहा है, हालांकि अल नीनो के खतरे पर साल के अंत में मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया गया। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में मजबूत सेवा क्षेत्र गतिविधि तथा मजबूत मांग के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत बढ़ी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कड़ी मौद्रिक नीति तथा निर्यात में कमजोरी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन दिख रहा है और वृद्धि के मामले में अन्य देशों से आगे निकल गया है। हालांकि, ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक के सितंबर अद्यतन में फिच ने कहा कि उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि की गति धीमी होने की आशंका है।