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राहतः दिसंबर में कम हुई थोक महंगाई दर, सबसे ज्यादा गिरे इनके दाम

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला Published by: paliwal पालीवाल Updated Mon, 14 Jan 2019 01:08 PM IST
सार

  • ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने से दिखी थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट
  • 3.80% रही दिसंबर में थोक महंगाई दर जो आठ में सबसे कम है
  • 3.62 प्रतिशत रही थी अप्रैल, 2018 में थोक महंगाई की दर 

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wpi inflation for december stood at 3.80 percent
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थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दिसंबर में आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। इसकी वजह ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होना रहा है। नवंबर में थोक महंगाई 4.64 प्रतिशत थी जबकि एक साल पहले दिसंबर, 2017 में यह 3.58 प्रतिशत रही थी। यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक महंगाई दर नीचे आई है।

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सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में खाद्य पदार्थों की महंगाई में 0.07 प्रतिशत कमी आई है, जो नवंबर में 3.31 प्रतिशत थी। इसी तरह सब्जियों की थोक महंगाई दर में लगातार छठे माह गिरावट दिखी और यह दिसंबर में 17.55 प्रतिशत रही जो नवंबर में  26.98 प्रतिशत थी।
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ईंधन एवं ऊर्जा क्षेत्र में दिसंबर में महंगाई घटकर 8.38 प्रतिशत रही, जो नवंबर के 16.28 प्रतिशत के मुकाबले लगभग आधी है। इसकी अहम वजह दिसंबर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आना रहा। इन्हें अगर अलग-अलग गौर करें तो दिसंबर में पेट्रोल कीमतों की मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत और डीजल कीमतों की 8.61 प्रतिशत रही है। वहीं, एलपीजी में यह 6.87 प्रतिशत रही। 

आलू सस्ता, प्याज महंगा

खाद्य वस्तुओं में पिछले महीने के मुकाबले आलू दिसंबर में सस्ता हुआ और इसकी थोक महंगाई दर 48.68 प्रतिशत रही, जो नवंबर में 86.45 प्रतिशत थी। हालांकि, प्याज कीमतों में दिसंबर में उछाल दिखा और इसकी थोक महंगाई दर 63.83 प्रतिशत पहुंच गई जो नवंबर में 47.60 प्रतिशत थी। इस दौरान दालों की महंगाई दर 2.11 प्रतिशत और अंडा, मांस व मछली की दर 4.55 प्रतिशत रही। 

फलों के दाम बढ़े

आंकड़ों के अनुसार, निर्मित वस्तुओं की थोक महंगाई दर में भी दिसंबर में गिरावट आई और यह 3.59 फीसदी रही जो नवंबर में 4.21 फीसदी थी। हालांकि, इस दौरान फलों के थोक दाम बढ़ गए। इसकी महंगाई दर 3.69 फीसदी हो गई जो नवंबर में 2.49 फीसदी थी। 

ब्याज दर घटने की उम्मीद: एसोचैम

उद्योग संगठन एसोचैम का कहना है कि थोक महंगाई दर में आई बड़ी गिरावट से इस माह होने वाली एमपीसी बैठक में आरबीआई ब्याज दरें घटा सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल सस्ता होने से भी आरबीआई को फैसला लेने में आसानी होगी जिससे औद्योगिक वृद्घि तेज करने और निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी।

सरकार एक-दो दिन में खुदरा महंगाई के आंकड़े भी जारी करेगी जिसमें कमी आने की उम्मीद है। आरबीआई ब्याज दरें तय करते समय खुदरा महंगाई की दर को ध्यान में रखती है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा महंगाई दर का अनुमान 2.7 से 3.2 के बीच रखा है, जबकि नवंबर में खुदरा महंगाई की दर इस अनुमान से कम ही रही थी। अभी आरबीआई का रेपो रेट 6.50 फीसदी है।

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