पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बोलीं वित्त मंत्री, कब कम होंगी ये बता पाना 'धर्म संकट'
- आईआईएम अहमदाबाद के विद्यार्थियों के साथ वित्त मंत्री ने की चर्चा
- कहा- कब तक कम होंगी कीमतें यह सवाल 'धर्म संकट' बन गया है
- किसान आंदोलन पर भी की बात, कहा- एमएसपी कानूनों में नहीं है
विस्तार
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कब कम होंगी यह बता पाना धर्म संकट है। वित्त मंत्री से अहमदाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान जब यह सवाल पूछा गया कि केंद्र सरकार ईंधन की कीमतें कब कम करेगी, उन्होंने कहा, 'मैं यह नहीं कह पाऊंगी कि कब... यह धर्म संकट है।'
वित्त मंत्री यहां भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-अहमदाबाद) के विद्यार्थियों के साथ परिचर्चा कर रही थीं। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि केंद्र और राज्यों दोनों को ईंधन पर केंद्रीय व राज्य करों को घटाने के लिए और उपभोक्ताओं पर बढ़े दामों के बोझ को कम करने के लिए बातचीत करनी चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों से राहत के लिए उपकर या अन्य करों को कम करने पर विचार कर रहा है, सीतारमण ने कहा कि इस सवाल ने उन्हें ‘धर्म-संकट’ में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य छिपा नहीं है कि इससे केंद्र को राजस्व मिलता है। राज्यों के साथ भी कुछ यही बात है।
#WATCH | "I won't be able to say 'when'.. it is a ‘dharam sankat’ (dilemma)...," says Finance Minister Nirmala Sitharaman in Ahmedabad, after being asked when would the Central Government reduce fuel prices pic.twitter.com/Mnpn76I2xR
— ANI (@ANI) February 25, 2021
वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं इस बात से सहमत हूं कि उपभोक्ताओं पर बोझ को कम किया जाना चाहिए।’ उल्लेखनीय है कि इससे पहले दिन में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल पर करों को कम करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच समन्वित कार्रवाई की जरूरत है।
'एमएसपी के बारे में नहीं हैं नए कृषि कानून'
सीतारमण ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग कर रहे लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 से पहले जब कांग्रेस शासित यूपीए सरकार सत्ता में थी, तो इसे कानून क्यों नहीं बनाया गया। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग भी कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि ये कानून एमएसपी के बारे में नहीं हैं। यह विरोध पिछले साल सितंबर में पारित कृषि कानूनों को लेकर है। इन कानूनों का एमएसपी से लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, 'एमएसपी इन तीन कानूनों का हिस्सा नहीं है। ऐसे में तीन कानूनों का विरोध करना और उसके बाद एमएसपी का मुद्दा उठाना सही नहीं है।'
सीतारमण ने कहा कि केंद्र ने किसान यूनियनों के साथ बैठक के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा एमएसपी व्यवस्था इन कानूनों का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा, '22 उत्पाद एमएसपी की सूची में हैैं। हालांकि, एमएसपी दिया जा रहा है, लेकिन किसान आ नहीं रहे हैं। बाजार के बाहर उन्हें एमएसपी से ऊंचा दाम मिल रहा है।'
इसके साथ ही यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष के विनिवेश के लक्ष्य को हासिल कर पाएगी, सीतारमण ने इसका हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व के वित्त वर्षों में विनिवेश लक्ष्य हासिल नहीं होने पाने की कई वजहें रही हैं। पिछले साल कोविड-19 महामारी थी, तो उससे पिछले साल अर्थव्यवस्था सुस्त थी।